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RBI governor Shaktikanta Das
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल का एक साल पूरा हो चुका है. उन्होंने एक साल पहले पदभार संभालने के समय सभी को साथ साथ लेकर चलने और बातचीत के जरिये समस्याओं के हल का वादा किया था. पिछले एक साल पर निगाह डालने से दिखता है कि वह उस पर कायम रहे. उनकी लीडरशिप में आरबीआई ने जहां आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अबतक 5 बार नीतिगत दर में कटौती की, वहीं कर्ज के ब्याज को रेपो से बाह्य दरों से जोड़े जाने जैसे सुधारों को भी आगे बढ़ाया है. दास ने सेंट स्टीफंस से इतिहास में बीए आनर्स की डिग्री हासिल की है.
उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद संभाला पद
प्रशासनिक अधिकारी से केंद्रीय बैंक के मुखिया बने दास ने 12 जनवरी 2018 को कार्यभार संभाला. आरबीआई की स्वायत्तता पर बहस के बीच गवर्नर डॉ उर्जित पटेल के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद इस पर पर दास को लाया गया. उर्जित पटेल ने हालांकि व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दिया था. लेकिन विशेषज्ञों का कहना था कि आरबीआई की स्वायत्तता और अतिरिक्त नकदी सरकार को हस्तांतरित करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर वित्त मंत्रालय के साथ कथित मतभेद के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया था.
कौन से फैसले रहे अहम
सरकार को रिजर्व बैंक के पास पड़ी अतिरिक्त नकदी के ट्रांसफर का ऐतिहासिक फैसला, संकट में फंसे कुछ सरकारी बैंकों को आरबीआई की निगरानी से बाहर करना और जून में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति को लेकर नए नियम लाना, दास के कार्यकाल की कुछ बड़ी उपलब्धियां हैं. फरवरी 2019 के बाद से दास की अगुवाई में आरबीआई ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये रेपो दर में इस साल अबतक कुल पांच बार में 1.35 फीसदी अंक की कटौती की है.
इसमें अगस्त महीने में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.35 फीसदी की कटौती शामिल है. इस कटौती के बाद रेपो दर 9 साल के न्यूनतम स्तर 5.15 फीसदी पर पहुंच गया. हालांकि इन सबके बावजूद केंद्रीय बैंक ने वृद्धि अनुमान में उल्लेखनीय रूप से 2.40 फीसदी की कमी की है.
पेमेंट को सुगम बनाने के लिये आरबीआई ने जनवरी 2020 से एनईएफटी सुविधा जनवरी 2020 से सातों दिन 24 घंटे करने का निर्णय किया है.
सभी पक्षों में बनाया तालमेल
आरबीआई के केंद्रीय बैंक के सदस्य सचिन चतुर्वेदी ने दास को ऐसा शख्स बताया जिसने व्यवहारिकता, प्रतिबद्धता और पारर्दिशता लाने का काम किया. उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा कि गवर्नर कई तरीके से सरकार और अन्य पक्षों को साथ लाने और निदेशक मंडल को समन्वय वाला मंच बनाने में सफल रहे. पहले दिन से ही उन्होंने सभी पक्षों के साथ तालमेल सुनिश्चित किया, चाहे वह बैंक हो या एनबीएफसी, एमएसइर्म, उद्योग मंडल या फिर साख निर्धारण एजेंसियां. उनकी कार्य शैली से परिचित एक शख्स ने कहा कि वह पिछले 8 साल से आर्थिक नीति निर्माण से जुड़े रहे हैं.