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बिलकिस बानो के गैंगरेप मामले पर कल यानी सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) में चर्चा होगी.
Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो के गैंगरेप और उनके परिवार की हत्या करने वाले सभी 11 अपराधियों को रिहा किए जाने के एक हफ्ते बाद इस मामले पर अब कल यानी सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) में चर्चा होगी. NHRC के चेयरपर्सन जस्टिस अरुण मिश्रा के कार्यालय ने संपर्क करने पर इसकी पुष्टि की. बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के बिलकिस बानो गैंगरेप और हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को गोधरा उप-जेल से स्वतंत्रता दिवस के दिन रिहा कर दिया गया था.
NHRC पैनल क्या कर सकता है
NHRC के पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित किसी भी शिकायत की या तो Suo Motu से या हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका प्राप्त होने के बाद जांच करने का अधिकार है. NHRC अगर चाहे तो वह राज्य सरकार से रिपोर्ट मांग सकती है और सरकार के फैसले को अदालत के समक्ष चुनौती देने के लिए पीड़ित को कानूनी और वित्तीय सहायता भी सुनिश्चित कर सकती है.
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NHRC के ज्यादातर सदस्यों ने नहीं दी प्रतिक्रिया
NHRC के चेयरपर्सन जस्टिस अरुण मिश्रा के कार्यालय ने भले ही दोषियों की रिहाई के मामले पर सोमवार को चर्चा होने की पुष्टि की है, हालांकि, आयोग के ज्यादातर सदस्यों ने इस मामले पर टिप्पणी से इनकार कर दिया. अध्यक्ष के अलावा NHRC में तीन सदस्य, छह पदेन सदस्य और एक विशेष आमंत्रित हैं. इनमें से कई सदस्यों ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है. वहीं, कुछ ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
जस्टिस महेश मित्तल कुमार, जो कि एक सदस्य हैं ने कहा कि सदस्य "सभी मामलों पर नज़र नहीं रखते हैं." उन्होंने कहा, “मैं मीडिया में किसी मुद्दे का जवाब नहीं दे सकता. NHRC पर विचार-विमर्श के बाद ही टिप्पणी करेंगे.” एनएचआरसी के एक अन्य सदस्य ज्ञानेश्वर मनोहर मुले ने कहा, “मैं दिल्ली में नहीं था और न ही मुझे इस मामले की जानकारी थी. मैं सोमवार को अध्यक्ष के साथ चर्चा करूंगा.” तीसरे सदस्य, राजीव जैन का भी कहना है कि उन्हें इस मामले के बारे में जानकारी नहीं है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और NHRC के एक पदेन सदस्य, इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा, “मैं बहुत अस्वस्थ हूं और पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती हूँ. इसलिए मैं इस मामले से अनजान हूं और फिलहाल इस पर टिप्पणी नहीं कर पाऊंगा.” इसके अलावा, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा, जो NHRC की पदेन सदस्य भी हैं, ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष व विशेष आमंत्रित सदस्य प्रियांक कानूनगो का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है.
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने कहा, "मैं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में एनएचआरसी का एक पदेन सदस्य हूं, लेकिन हम एनएचआरसी के दैनिक व्यवहार में भाग नहीं लेते हैं. जहां तक बिलकिस बानो मामले का संबंध है, यह एसटी आयोग से संबंधित नहीं है और मेरे लिए टिप्पणी करना सही नहीं होगा.” इसके अलावा, अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला, जो एनएचआरसी के पदेन सदस्य भी हैं, से बात नहीं हो पाई.
2017 से 2022 तक एनएचआरसी की पूर्व सदस्य एडवोकेट ज्योतिका कालरा ने गुजरात सरकार के इस कदम की आलोचना की. उन्होंने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया. यह सिर्फ किसी यौन अपराध का मामला नहीं है बल्कि दंगों के दौरान एक बच्चे के सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला है. पीड़िता अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, इसलिए यह मामला और गंभीर हो जाता है.”
क्या है पूरा मामला
साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में फरवरी 2002 को गोधरा के पास आग लगाए जाने से 59 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे. दंगाइयों के हमले से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ अपने घर से भाग गई थीं. इस दौरान बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थीं. 20-30 लोगों ने बिलकिस बानो और उनके परिवार पर लाठियों से हमला कर दिया था. बिलकिस बानो और चार महिलाओं के साथ मारपीट कर उनके साथ रेप किया गया. इतना ही नहीं, बिलकिस की बेटी समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी.
(इनपुट-इंडियन एक्सप्रेस)