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नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश के खिलाफ ओयो की याचिका पर एक दिन बाद आज 8 अप्रैल को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएएटी) ने फैसला सुना दिया है. एनसीएलएटी के फैसले के मुताबिक एनसीएलटी के आदेश पर रोक लगा दी गई है जिसमें ओयो की सब्सिडियरी ओयो होटल्स एंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 16 लाख रुपये के पेमेंट डिफॉल्ट मामले में इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ ओयो ने अपील किया था और अब एनसीएलएएटी ने ओयो की याचिका को स्वीकार कर लिया है. NCLAT ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) गठित करने पर रोक लगा दिया है.
दिवालिया होने की उ़ड़ी थी अफवाह
NCLT ने इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत दी तो ओयो के दिवालिया होने की अफवाह उड़ गई. इसके चलते OYO Rooms के फाउंडर और सीईओ रितेश अग्रवाल ने ट्वीट कर सफाई दी कि यह अफवाह आधारहीन है और जिन 16 लाख रुपयों को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है, उसे कंपनी ने चुका दिए हैं. ओयो की सब्सिडयरी Homes Private Limited (OHHPL) के खिलाफ मामले में एनसीएलटी के आदेश को ओयो ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में चुनौती दी है, जहां से उसे राहत मिली है.
यह है पूरा मामला
ओयो होटल्स की पैरेंट कंपनी Oravel Stays ने उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एनसीएलटी ने ओएचएचपीएल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरु करने का आदेश दिया था. एनसीएलटी ने क्रेडिटर राकेश यादव की एक याचिका पर 30 मार्च 2021 को यह आदेश दिया था. राकेश यादव की याचिका के आधार पर एनसीएलटी ने 16 लाख रुपये के डिफॉल्ट मामले में यह दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. इस पर ओयो रूम्स के सीईओ और फाउंडर रितेश अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा कि ओयो ने बैंकरप्सी के लिए कोई आवेदन नहीं किया जैसा कि लोगों के बीच फैलाया जा रहा है.