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मिल्खा सिंह ने महज 1 रुपये में अपनी जीवनी पर मूवी बनाने के लिए राइट्स दे दिए. इसमें फरहान अख्तर ने मिल्खा सिंह का किरदार निभाया था. (Image- Indian Express)
'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर महान धावक मिल्खा सिंह कोरोना से जंग में पिछड़ गए. मिल्खा सिंह कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे और शुक्रवार को चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. घर के रसोइए के कोरोना संक्रमित होने के बाद मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह को सांस लेने में दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पिछले रविवार को उनकी पत्नी व भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी निर्मल मिल्खा सिंह का निधन हो गया. आईसीयू में होने के चलते मिल्खा सिंह अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे. 91 साल के मिल्खा सिंह का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था.
2013 में उनकी जीवनी पर हिंदी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' बनाए जाने के बाद से वह घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन गए और नई पीढ़ी को भी उनके संघर्षों के बारे में जानकारी मिली. उनकी जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं जिसमें पाकिस्तान के मशहूर धावक को हराए जाने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि दी थी. इसके अलावा एक किस्सा यह भी है कि वैश्विक स्तर पर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलवाने वाले मिल्खा सिंह के कहने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश भर में एक दिन की छुट्टी कर दी थी.
महज 1 रुपये में दे दिया बॉयोपिक का राइट्स
बॉलीवुड निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा मिल्खा सिंह की जीवनी पर एक मूवी बनाने के लिए उनके पास गए. मिल्खा सिंह ने महज 1 रुपये में मूवी बनाने के लिए राइट्स दे दिए. इसमें फरहान अख्तर ने मिल्खा सिंह का किरदार निभाया था. विकीपीडिया पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह मूवी 41 करोड़ रुपये में बनी थी लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इसने 210 करोड़ रुपये की कमाई की थी. इंडियन एक्स्प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने बताया था कि उन्होंने 1 रुपये में किस तरह कांट्रैक्ट साइन करने का फैसला किया था. मिल्खा सिंह ने 1960 के पहले ही मदर इंडिया, श्री 420 और आवारा जैसी मूवीज देखी और उसके बाद उन्होंने कोई मूवी नहीं देखी थी. साक्षात्कार के मुताबिक मिल्खा सिंह किसी निर्देशक या अभिनेता को नहीं जानते थे लेकिन उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह राकेश ओमप्रकाश मेहरा की आइकॉनिक फिल्म 'रंग दे बसंती' से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने ही अपने पिता मिल्खा सिंह की जीवनी पर फिल्म बनाने के लिए मेहरा को प्रॉयोरिटी दी. अपने बेटे के कहने पर मिल्खा सिंह ने 1 रुपये में स्टोरी राइट्स दे दिए. हालांकि एग्रीमेंट में एक क्लॉज जोड़ा गया जिसके तहत मुनाफे का दस फीसदी मिल्खा सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट को दिए जाने का प्रावधान रखा गया.
मिल्खा सिंह के कहने पर पीएम नेहरू ने एक दिन की कर दी छुट्टी
कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों में तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड धारक मैल्कम स्पेंस को 440 गज की दौड़ में हराकर वैश्विक स्तर पर भारत को पहला स्वर्ण पदक मिल्खा सिंह ने दिलाया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक जब इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ ने मिल्खा सिंह को स्वर्ण पदक पहनाया था तो ब्रिटेन में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त विजयलक्ष्मी पंडित ने मिल्खा सिंह को गले लगा लिया था. इसके बाद उन्होंने मिल्खा सिंह से कहा कि पीएम नेहरू ने उनसे पूछा है कि क्या इनाम चाहिए. मिल्खा सिंह ने इस पर अचानक ही कहा कि इस जीत की खुशी मं पूरे देश में एक दिन की छुट्टी की जाए और खबरों के मुताबिक उनके भारत पहुंचने के दिन वायदे के मुताबिक तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने देश भर में छुट्टी घोषित कर दी.
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल ने दिया था 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि
मिल्खा सिंह 14 भाई-बहन थे और वे वर्तमान पाकिस्तान में पैदा हुए थे. बंटवारे के समय उनके माता-पिता और आठ भाई-बहन मारे गए. मिल्खा सिंह किसी तरह भारत पहुंचे थे और एक साक्षात्कार में दिए गए बयान के बाद भारत आने के बाद वे किसी भी सूरत में पाकिस्तान की धरती पर कदम नहीं रखना चाहते थे. वर्ष 1960 में उन्हें पाकिस्तान की इंटरनेशन एथलीट प्रतियोगिता में भाग लेने का निमंत्रण मिला था लेकिन वह बंटवारे के गम में इसमें हिस्सा नहीं लेना चाहते थे. हालांकि देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समझाने पर वह पाकिस्तान गए और पाकिस्तान के सबसे तेज धावक अब्दुल खालिक उनकी रफ्तार के सामने टिक नहीं पाए. इस जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उनकी रफ्तार से अभिभूत होकर उन्हें 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि दी.
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