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RBI ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया.
RBI ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया.रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कच्चे तेल की कीमतों में उथल-पुथल जारी रहने के बीच दूध और दालों के भाव बढ़ने की आशंका को देखते हुये गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया. उसने मुद्रास्फीति के परिदृश्य को बेहद अनिश्चित करार दिया. रिजर्व बैंक ने कहा कि आने वाले समय में मुद्रास्फीति पर खाद्य मुद्रास्फीति, कच्चे तेल की कीमतों और सेवाओं की लागत जैसे कई कारकों का असर होगा.
खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी का अनुमान
रिजर्व बैंक ने खाद्य मुद्रास्फीति को लेकर कहा है कि दिसंबर के उच्च स्तर की तुलना में इसमें नरमी आने का अनुमान है. खरीफ की देरी से आने वाली फसल और रबी फसल की आवक की वजह से प्याज की कीमतें सुधर रही हैं, इसलिए चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी ज्यादा साफ दिखेगी. रिजर्व बैंक ने इस बैठक में रेपो दर को 5.15 फीसदी पर बरकरार रखा है.
उसने कहा है कि इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और 2020-21 में उत्तरी-पश्चिमी मानसून के सामान्य रहने के अनुमान के मद्देनजर खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 2019-20 की मार्च तिमाही में 6.5 फीसदी, 2020-21 की पहली दो तिमाहियों में 5.4-5 फीसदी और 2020-21 की तीसरी तिमाही में 3.2 फीसदी किया गया है. रिजर्व बैंक ने कहा कि सब्जियों को छोड़ दूसरे खाद्य पदार्थों खासकर लागत बढ़ने से दूध की कीमतों में और खरीफ उत्पादन कम रहने से दालों के दाम में हुई हालिया वृद्धि के जारी रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक ने यह भी कहा कि इन कारकों से कुल खाद्य कीमतों में कुछ तेजी आ सकती है.
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कच्चे तेल के दाम में उथल-पुथल बनी रहेगी: RBI
इसके अलावा, एक तरफ पश्चिम एशिया के भू-राजनीतिक तनावों और दूसरी तरफ अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की वजह से कच्चे तेल में उथल-पुथल बनी रह सकती है. हालिया महीनों में सेवा लागत में भी वृद्धि देखने को मिली है.
रिजर्व बैंक ने कुछ समय पहले प्याज की कीमतें 150 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाने के बारे में कहा कि दूसरी तिमाही में वास्तविक मुद्रास्फीति 5.8 फीसदी रही. अक्टूबर-नवंबर में बेमौसम बारिश की वजह से दिसंबर में प्याज का भंडार कम होने से यह तेजी आई और इसने मुद्रास्फीति में 0.7 फीसदी का योगदान दिया.
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