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Retail Inflation on Fire: बढ़ती कीमतों से आम लोगों को कोई राहत नहीं, मार्च में 6.95% पर पहुंची खुदरा महंगाई दर

Retail Inflation: यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

Retail Inflation: यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

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FE Online
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Retail Inflation

आम आदमी को फिलहाल महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रही है.

Retail Inflation (CPI): आम आदमी को फिलहाल महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रही है. खाने-पीने की चीजों के महंगा होने का असर खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों पर भी दिख रहा है. मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कंज्यूमर प्राइस पर आधारित खुदरा महंगाई दर मार्च में बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गई है. वहीं, फरवरी में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित इन्फ्लेशन 6.07 प्रतिशत था.

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रिटेल इन्फ्लेशन RBI के स्तर से अब भी ऊपर

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मार्च में खाने पीने की चीजों के खुदरा दामों में औसतन 7.68 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई है. इससे पिछले महीने इन चीजों के खुदरा दाम 5.85 फीसदी की दर से बढ़े थे. यह लगातार तीसरा महीना है जब रिटेल इन्फ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बना हुआ है. रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक समीक्षा में मुख्य रूप से रिटेल इन्फ्लेशन के आंकड़ों पर गौर करता है. सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है. लेकिन बेकाबू कीमतों ने रिजर्व बैंक का सारा गणित बिगाड़ दिया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

Knight Frank India के डायरेक्टर-रिसर्च विवेक राठी ने कहा, “मार्च 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.95% हो गई है, जो कि ईंधन और खाने-पीने की वस्तुओं के महंगा होने का असर है. मौसमी उतार-चढ़ाव के कारण तीन महीने की गिरावट के बाद खाद्य कीमतों में क्रमिक रूप से वृद्धि हुई; जबकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ईंधन की कीमतों पर दबाव बढ़ा है. भारत का रियल एस्टेट सेक्टर महामारी के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. हालांकि, जियो-पॉलिटिकल टेंशन और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के बीच, कंस्ट्रक्शन से जुड़े कच्चे माल की कीमतों में उछाल हुआ है. पिछले दो वर्षों में कंस्ट्रक्शन से जुड़े प्रमुख कच्चे माल की औसत कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा, अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव के कारण जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ेंगी, लेबर कॉस्ट में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है."

(इनपुट-पीटीआई)

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