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कई राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार बिक रहा है वहीं कुछ स्थानों पर डीजल के भाव भी 100 रुपये से अधिक हैं.
Rising Fuel Prices: पेट्रोल और डीजल के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं. सस्ते तेल को लेकर सरकार पर टैक्स कम करने का दबाव है लेकिन कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में ऑयल बांड की किश्तों व ब्याज के भुगतान का बोझ मोदी सरकार पर है, जिसके कारण इसे तेल की कीमतें कम करना संभव नहीं है. हालांकि फाइनेंशियल एक्स्प्रेस ने अपने कैलकुलेशन में पाया कि मोदी सरकार में टैक्स की दरें अगर वित्त वर्ष 2024 तक यही बनी रहती हैं तो दोनों कार्यकाल में जितना अतिरिक्त नेट रेवेन्यू हासिल होगा, उसमें ऑयल बांड का हिसाब चुकता करने के बाद 14.3 लाख करोड़ रुपये बचेंगे.
इस कैलकुलेशन के आधार पर वर्तमान दरों के मुताबिक मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में तेल पर लगाए गए टैक्स से 115.73 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रेवेन्यू मिलेगा जबकि इन 10 साल में ऑयल बांड के ब्याज और प्रिंसिपल रीपेमेंट्स की राशि 1.43 लाख करोड़ रुपये बैठता है जोकि अतिरिक्त रेवेन्यू का महज 9 फीसदी है. कई राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार बिक रहा है वहीं कुछ स्थानों पर डीजल के भाव भी 100 रुपये से अधिक हैं.
महंगे तेल ने भड़काई राजनीति, कांग्रेस का आरोप- Oil Bonds से कई गुना ‘मोदी टैक्स’ जुटा चुकी है सरकार
टैक्स कमाई में राज्यों की घटी हिस्सेदारी
मई 2014 में जब से मोदी सरकार बनी है, तेल पर 12 बार टैक्स बढ़ाए गए हैं. सबसे अधिक बढ़ोतरी पिछले साल मार्च 2020 और मई 2020 में की गई थी. इस बढ़ोतरी के चलते प्रति लीटर पेट्रोल पर 32.9 रुपये और डीजल पर 31.8 रुपये का टैक्स चुकाना होता था जबकि वित्त वर्ष 2015 में प्रति लीटर पेट्रोल पर 9.48 रुपये और डीजल पर 3.56 रुपये का टैक्स लगता था. हालांकि राज्यों का इस टैक्स में हिस्सा कम हुआ है. वित्त वर्ष 2015 में डीजल पर केंद्रीय टैक्स का 41 फीसदी हिस्सा राज्यों को मिलता था जोकि अब घटकर 5.7 फीसदी ही रह गया है यानी कि टैक्स रीस्ट्रक्चरिंग से केंद्र को फायदा हुआ है.
2005-2012 के बीच 1.44 लाख करोड़ के Oil Bond हुए थे जारी
इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीए सरकार द्वारा जारी ऑयल बांड्स के चलते तेल पर टैक्स कम करने में असमर्थता जताई थी. मोदी सरकार जब पहली बार मई 2014 में सत्ता में आई थी, उस समय ऑयल बांड की देनदारी 1,34,423 करोड़ रुपये (मूल राशि) की थी. सरकार ने 2015 में 3500 करोड़ रुपये का पेमेंट किया था और फिर आउटस्टैंडिंग अमाउंट 1,30,923 करोड़ रुपये रह गया जिसे वित्त वर्ष 2022-2026 के बीच पूरा चुकता करना है. इसमें से वित्त वर्ष 2024 तक कुछ बांडों की मेच्योरिटी पर 41150 करोड़ रुपये चुकाने हैं, जब मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल समाप्त होगा. केंद्र सरकार ने ऑयल बांड पर वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2021 के बीच 70,196 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाया है और वित्त वर्ष 2024 तक 28,382 करोड़ रुपये चुकाने हैं. यूपीए सरकार ने 2005-2012 के बीच 1.44 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बांड इशू किए थे.
(Article: Anupam Chatterjee and Prasanta Sahu)