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चुनाव आयुक्तों के साथ पीएमओ की ‘अनौपचारिक’ चर्चा पर सरकार की सफाई, कहा- CEC को नहीं दिया था बैठक का न्योता

कानून मंत्रालय के मुताबिक 12 नवंबर को पीएमओ के ओरिजिनल मीटिंग नोटिस में सिर्फ अफसरों को बुलाने की बात कही गई थी, CEC को बुलाने की नहीं.

कानून मंत्रालय के मुताबिक 12 नवंबर को पीएमओ के ओरिजिनल मीटिंग नोटिस में सिर्फ अफसरों को बुलाने की बात कही गई थी, CEC को बुलाने की नहीं.

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Row over EC’s meet: Govt says letter was for secretary or an official representative, not CEC

मोदी सरकार की तरफ से चुनाव आयोग को पत्र भेजकर बैठक में बुलाए जाने पर कानून मंत्रालय की ओर से स्पष्टीकरण आया है. (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)

मोदी सरकार की ओर से चुनाव आयोग को पत्र भेजकर बैठक में बुलाए जाने पर बढ़ते विवाद को देखते हुए अब इस पर कानून मंत्रालय की तरफ से स्पष्टीकरण आया है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि पत्र में "स्पष्ट" तौर पर कहा गया था कि बैठक में "सेक्रेटरी या विषय से परिचित मुख्य चुनाव आयुक्त के प्रतिनिधि" के शामिल होने की अपेक्षा की जाती है. इसके अलावा, मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने कॉमन इलेक्टोरल रोल पर आयोजित बैठक में बुलाए जाने से संबंधित इस पत्र पर "नाराजगी" व्यक्त की थी. इंडियन एक्सप्रेस ने 17 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट में इसका ज़िक्र किया था. बता दें कि मोदी सरकार की तरफ से चुनाव आयोग को भेजे गए पत्र ने आयोग की स्वायत्तता, निष्पक्षता और संवैधानिक शिष्टाचार को लेकर कई अहम सवाल खड़े किए हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कानून मंत्रालय की तरफ से आयोग को भेजे गए इस पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव पी के मिश्र की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई जा रही है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के उपस्थित रहने की अपेक्षा की जाती है.

बता दें कि इस मामले पर विपक्ष ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त थी. शुक्रवार को केंद्र सरकार पर हमला करते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार देश में संस्थाओं को नष्ट करने के मामले में और अधिक नीचे गिर गई है. सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘ चीजें बेनकाब हो गई हैं. अब तक जो बातें कही जा रही थी वे सच हैं.'

कानून मंत्रालय का बयान

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कानून मंत्रालय ने इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि 16 नवंबर की बैठक काफी समय से लंबित सुधारों पर कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देने के लिए थी और यह एक वर्चुअल बैठक थी. बयान में कहा गया है, "मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के साथ बाद की बातचीत अनौपचारिक थी. यह बैठक फाइनल प्रपोजल के लिए दो या तीन पहलुओं पर विचार करने के लिए आयोजित की गई थी."

कानून मंत्रालय ने आगे कहा कि 12 नवंबर को पीएमओ से ओरिजनल मीटिंग नोटिस में कैबिनेट सचिव, कानून सचिव व सचिव और लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट को संबोधित किया गया था, न कि सीईसी को. मंत्रालय ने आगे कहा कि उसने चुनाव आयोग के प्रतिनिधियों को पीएमओ की बैठक में शामिल होने के लिए एक पत्र भेजा था क्योंकि पोल पैनल के पास इलेक्टोरल रोल के संबंध में जरूरी विशेषज्ञता है.

बयान के अनुसार, कानून मंत्रालय के पत्र में आयोग में सचिव स्तर के एक अधिकारी को संबोधित किया गया था और पत्र के अंतिम ऑपरेटिव पैराग्राफ में भी चुनाव आयोग के सेक्रेटरी से बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया गया था." हालांकि, 15 नवंबर की तारीख पर जारी पत्र के सब्जेक्ट लाइन में लिखा है, "पीएमओ के साथ कॉमन इलेक्टोरल रोल पर वीडियो कॉन्फ्रेंस - सीईसी के साथ इंटरेक्शन- के संबंध में." पत्र में कहा गया है, “मुझे दिनांक 12.11.2021 को पीएमओ से प्राप्त एक नोट को संलग्न करने और यह बताने का निर्देश दिया गया है कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शाम 4 बजे कॉमन इलेक्टोरल रोल पर बैठक की अध्यक्षता करेंगे. सीईसी से उम्मीद करते हैं कि कॉन्फ्रेंस के दौरान वे उपस्थित रहें."

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मुख्य चुनाव आयुक्त ने जाहिर की थी नाराजगी

कानून मंत्रालय ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा पत्र प्राप्त होने के बाद, "मुख्य चुनाव आयुक्त ने लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी से बात की. उन्होंने पत्र के मिडिल पार्ट को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की, जिससे यह आभास हुआ कि सीईसी से इस मीटिंग में शामिल होने की अपेक्षा की गई है. लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी ने स्पष्ट किया कि यह पत्र सेक्रेटरी या विषय से परिचित सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था.

मंत्रालय ने आगे कहा, “16.11.2021 की यह बैठक वर्चुअली आयोजित की गई थी और पीएमओ में कोई फिजिकल मीटिंग नहीं हुई थी. इस वर्चुअल मीटिंग में भारत सरकार के अधिकारी और इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के अधिकारी शामिल हुए. अधिकारियों की बैठक के बाद, कुछ मुद्दों पर और चर्चा की जरूरत थी. इन मुद्दों में इलेक्टोरल रोल के अपडेशन के लिए क्वालीफाइंग डेट्स की संख्या, आधार लिंकेज के कुछ पहलू और परिसर की मांग शामिल हैं. आधिकारिक बैठक के बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के साथ एक अलग अनौपचारिक बातचीत हुई. यह ध्यान दिया जा सकता है कि चर्चा ईसीआई के सभी तीन आयुक्तों के साथ और वर्चुअली आयोजित की गई थी." इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा था कि इंटरेक्शन "अनौपचारिक" था. कानून मंत्रालय ने कहा कि 16 नवंबर की बैठक चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 में चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए हुई थी, जिसे हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी. बयान में कहा गया है कि चुनाव सुधारों के संबंध में चुनाव आयोग के कई प्रपोजल लंबित हैं.

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