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India Ratings Report on economic recovery: ग्रामीण मांग से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह शहरी मांग का विकल्प नहीं हो सकती. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 संकट की विपरीत परिस्थियों से उबरने में इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर को जबतक दिक्कत पेश आ रही है, तबतक कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था की गाड़ी दौड़ाने का इंजन बन सकता है. हालांकि, ग्रामीण मांग का एक बड़ा हिस्सा टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं से अलग होता है, लेकिन जून 2020 में मोटरसाइकिल और ट्रैक्टर की बिक्री के आंकड़े प्रोत्साहन देने वाले हैं.
GDP में 17.03% की गिरावट का अनुमान
रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भले देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान करीब 17 फीसदी है. लेकिन हमारा मानना है कि ग्रामीण मांग अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर उपभोग मांग को बढाने में मदद कर सकती है, लेकिन यह शहरी मांग का विकल्प नहीं हो सकती.’’ रिपोर्ट में 2020-21 की पहली तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर में 17.03 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया गया है.
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लॉकडाउन में कृषि क्षेत्र रहा बेअसर
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन अथवा उसके बाद भी कृषि क्षेत्र लगभग अप्रभावित रहा है. ऐसे में 2020-21 में भी इसमें सालाना आधार पर करीब 3.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है. इसमें कहा गया है कि कई सालों के बाद कृषि क्षेत्र में लगातार तीन मौसम में अच्छी फसल हुई है. रबी 2019, खरीफ 2019 और रबी 2020 में अच्छी पैदावार रही. वहीं मानसून पूर्व की अच्छी वर्षा और समय पर मानसून आने से देश के ज्यादातर हिस्सा में खरीफ 2020 की बुवाई पिछले साल के मुकाबले अच्छी रही है.