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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की है. (File Photo : PTI)
रूस के साथ जारी जंग में यूक्रेन की सेना क्या भारतीय छात्रों का इस्तेमाल इंसानी ढाल के तौर पर कर रही है? क्या इस इरादे से उसने भारतीय छात्रों को बंधक बना लिया है? क्या यूक्रेन के गार्डों द्वारा भारतीय छात्रों को सीमा पार करने से रोके जाने की असली वजह यही है? ये सवाल रूस के उस बयान की वजह से उठ रहे हैं, जो उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा देते हुए बीती रात को जारी किया है. हालांकि इस बातचीत के बाद भारत सरकार की तरफ से जारी बयान में ऐसे हालात का कोई जिक्र नहीं है. बल्कि अब तो भारत सरकार ने रूस के इस दावे का खंडन करते हुए अपनी तरफ से एक बयान भी दे दिया है. लेकिन दोनों देशों के विरोधाभासी बयानों ने युद्ध क्षेत्र में फंसे बच्चों की सुरक्षा के लिए परेशान परिवार वालों की चिंता और बढ़ा दी है.
मोदी-पुतिन वार्ता के बाद रूस का बयान
दरअसल, पीएम मोदी के साथ पुतिन की फोन वार्ता के बाद रूस की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ''राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीयों को वहां से सुरक्षित निकालने और उन्हें घर वापस भेजने के लिए सभी जरूरी निर्देश दिए जा चुके हैं. रूसी सेना इसके लिए हर संभव प्रयास कर रही है. खारकीव में फंसे भारतीय छात्रों के एक ग्रुप को सुरक्षित कॉरिडोर बनाकर जल्द से जल्द रूस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. रूस पहुंचने के बाद उन्हें हम अपने या भारतीय विमानों से घर भेजने को तैयार हैं. लेकिन हमें ताजा जानकारी ये मिल रही है कि यूक्रेन की सेना ने इन भारतीय छात्रों को बंधक बना लिया है और इनका इस्तेमाल मानव ढाल के तौर पर कर रहे हैं. यूक्रेन की सेना उन्हें रूसी इलाके की तरफ जाने से रोकने की पूरी कोशिश कर रही है. इन हालात के लिए यूक्रेन के अधिकारी पूरी तरह जिम्मेदार हैं."
रूसी रक्षा मंत्रालय ने भी मॉस्को में प्रेस से कहा कि यूक्रेन के अधिकारियों ने भारतीय छात्रों के एक बड़े समूह को खारकीव में जबरन रोक रखा है. जबकि ये छात्र यूक्रेन का इलाका छोड़कर बेलगोरोद (रूस) जाना चाहते हैं. दरअसल उन्हें बंधक बना लिया गया है और यूक्रेन-पोलैंड सीमा की तरफ जाने को कहा जा रहा है. उन्हें ऐसे इलाकों में जाने को कहा जा रहा है, जहां लड़ाई हो रही है."
भारतीय छात्रों को बंधक बनाए जाने की जानकारी नहीं : भारत सरकार
गुरुवार को भारत सरकार ने रूस के इन दावों को खारिज करने वाला बयान दिया है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का कहना है कि वे तमाम भारतीय नागरिकों के संपर्क में हैं और उन्हें अब तक ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है कि उन्हें बंधक बनाया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ''हमें किसी भी भारतीय छात्र को बंधक बनाए जाने की कोई खबर नहीं मिली है. हमने यूक्रेन के अधिकारियों से स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम करने का अनुरोध किया है ताकि खारकीव और आसपास के इलाकों में फंसे भारतीय छात्रों को यूक्रेन के पश्चिमी इलाकों की तरफ ले जाया जा सके. "
रूस की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश या यूक्रेन के गलत इरादे?
अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि रूस ने भारतीय छात्रों को बंधक बनाए जाने की बात शायद इसलिए कही है, क्योंकि वो जंग के कारण पैदा हालात की जिम्मेदारी से खुद को अलग करना चाहता है. लेकिन भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए सामने आए कई वीडियो में यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें ट्रेन में बैठने नहीं दिया जा रहा और गार्ड्स द्वारा सीमा पार करने से भी रोका जा रहा है. इन वीडियो से लगता है कि यूक्रेन की सेना और अधिकारियों का भारतीय छात्रों के प्रति रवैया कुछ अच्छा नहीं है.
इस बीच, यूक्रेन के पूर्वी और उत्तर पूर्वी इलाके में करीब चार हजार भारतीयों के फंसे होने की आशंका है. इनमें ज्यादातर छात्र हैं. ये इलाके रूस की सीमा के बेहद करीब हैं. भारत में रूस के नव-नियुक्त राजदूत डेनिस अलीपोव पहले ही कह चुके हैं कि उनका देश खारकीव, सुमी और आसपास के इलाकों से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाने पर काम कर रहा है. यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने कल जारी एडवाइजरी में कहा था कि खारकीव में फंसे सभी भारतीयों को वहां से फौरन निकल जाना चाहिए. उन्हें वहां से पेसोचिन (Pesochyn), बाबाये (Babaye) और बेज़ल्यूडोवका (Bezlyudovka) की तरफ जाने को कहा गया था. ये इलाके रूस की सीमा के बेहद करीब हैं.