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Former Rajasthan Deputy Chief Minister Sachin Pilot
Sachin Pilot Protest: राजस्थान में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच खींचतान देखने को मिल रही है. सचिन पायलट का मानना है कि कांग्रेस राजस्थान में भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर सत्ता में आई थी, लेकिन पिछले 4 सालों में किसी के ऊपर कोई कार्यवाई नहीं हई है. इसी पर कायवाई की मांग को लेकर सचिन पायलट अनशन पर बैठ गए हैं. वहीं, कांग्रेस आलाकमान इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर चुकी है. पार्टी ने सोमवार रात यह स्पष्ट कर दिया कि उनका 'उपवास' पार्टी के हितों के खिलाफ होगा और इसे "पार्टी विरोधी गतिविधि" माना जाएगा.
अनशन पर बैठे पायलट
पायलट ने मंगलवार को एक दिन के अनशन की घोषणा की है. इसको लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने एक पत्र लिखा है, जिसमें यह साफ-साफ बताया गया है कि उनके इस रवैये के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई हो सकती है. रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पायलट ने कहा था कि कांग्रेस के सहयोगी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछली वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर बैठे थे. उन्होंने आगे कहा कि वह इन मामलों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अनशन करेंगे.
पार्टी के हित में नहीं है अनशन
सोमवार देर रात राजस्थान के AICC प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के इस अनशन को लेकर पार्टी का रुख रखा. उन्होंने कहा “सचिन पायलट का कल दिन भर का उपवास पार्टी हितों के खिलाफ है और यह पार्टी विरोधी गतिविधि है. अगर उनकी अपनी सरकार से कोई समस्या है तो मीडिया और जनता के बजाय पार्टी मंचों पर चर्चा की जा सकती है." हालांकि पायलट की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. अशोक गहलोत ने अभी इसपर कोई बयान नहीं दिया है. सूत्रों ने कहा कि रंधावा ने सोमवार को पायलट से फोन पर बात की है और रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उन्हें दिल्ली आने के लिए कहा है. दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सचिन पायलट का समर्थन कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता है कि सचिन पायलट ने 'लक्ष्मण रेखा' पार की है.
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पुराना है पायलट और गहलोत का तकरार
अशोक पायलट और गहलोत के बीच यह रस्साकस्सी काफी लंबे समय से चलते आ रही है. इसकी शुरुआत 2018 के राजस्थान चुनाव हुई, जब चुनाव जीतने के बाद सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत को राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया. इसके लिए पायलट ने कांग्रेस पार्टी पर जबरदस्त दबाव बनाया था लेकिन अंत में पायलट को ही झुकना पड़ा. रविवार को भी, पायलट की प्रेस मीटिंग के बाद राजस्थान के AICC प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी किस तरफ झुक रही है. उन्होंने कहा था कि मैं पिछले पांच महीनों से एआईसीसी प्रभारी हूं और पायलट ने कभी भी मेरे साथ इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की. हालांकि, पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने इन मुद्दों को रंधावा के सामने उठाया था.