scorecardresearch

Sahara Group Case in SC: सहारा ग्रुप से जुड़े मामले की कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, हाईकोर्ट से मिली राहत को SFIO ने दी चुनौती

author-image
FE Online
New Update
Sahara Group Case in SC

SFIO ने अपनी याचिका में सहारा समूह की नौ कंपनियों के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.

Case Related to Sahara Group Firms To Be Heard In Supreme Court: सहारा ग्रुप से जुड़ी 9 कंपनियों के खिलाफ जांच किए जाने पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार 26 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. हाईकोर्ट के आदेश को सरकार के सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आज यानी बुधवार को भी जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ के सामने पेश किया गया, जिसने मामले की सुनवाई गुरुवार को करने का निर्देश दिया है.

सिब्बल के दिल्ली में मौजूद न होने के कारण सुनवाई टली

SFIO ने अपनी याचिका में सहारा समूह की नौ कंपनियों के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. बुधवार को जब SFIO की अर्जी सुप्रीम कोर्ट के सामने आई तो सहारा समूह की तरफ से पेश वकील ने सुनवाई को गुरुवार तक टालने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि उनकी टीम की अगुवाई वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कर रहे हैं, जो आज दिल्ली में मौजूद नहीं हैं, लिहाजा सुनवाई कल यानी गुरुवार को की जाए. SFIO की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे इस अनुरोध का विरोध नहीं कर रहे. मेहता ने कहा कि उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि इस मामले पर विचार किए जाने के दौरान मुकदमे से जुड़ा कोई भी महत्वपूर्ण व्यक्ति कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए देश नहीं छोड़ेगा, क्योंकि इस मामले में ऐसा जोखिम बरकरार है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल यानी गुरुवार को करने का निर्देश दे दिया.

हाईकोर्ट ने दी है सहारा समूह को राहत

Advertisment

कॉरपोरेट फ्रॉड की जांच के लिए बनाई गई वैधानिक जांच एजेंसी SFIO ने दिल्ली हाईकोर्ट के 13 दिसंबर 2021 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने अपने इस आदेश में सहारा ग्रुप के प्रमुख और अन्य लोगों के खिलाफ भविष्य में कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी, जिसमें किसी भी तरह की प्रतिरोधात्मक कार्रवाई करना या लुक-आउट नोटिस जारी करना शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को एजेंसी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उसकी याचिका पर सुनवाई किए जाने को मंजूरी दे दी थी. तुषार मेहता ने उस वक्त सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हाईकोर्ट के निर्देश से केंद्र सरकार के 31 अक्टूबर 2018 और 27 अक्टूबर 2020 को दिए गए आदेशों के तहत की जा रही हर तरह की जांच और कार्रवाई पर रोक लग गई है. यहां तक कि लुकआउट नोटिस जारी करने पर भी पाबंदी है. इससे इन अहम मामलों में जारी SFIO की जांच पर काफी बुरा असर पड़ रहा है, लिहाजा इस मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए.

दिल्ली हाईकोर्ट में क्या थी सहारा समूह की दलील

सहारा ग्रुप ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सरकार के 31 अक्टूबर 2018 के पहले आदेश में तीन कंपनियों - सहारा क्यू शॉप यूनीक प्रोडक्ट्स रेंज लिमिटेड, सहारा क्यू गोल्ड मार्ट लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के कामकाज की जांच की बात कही गई थी. इसके बाद 27 अक्टूबर 2020 के आदेश में 6 और कंपनियों - एंबी वैली लिमिटेड, किंग एंबी सिटी डेवलपर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड, सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड, सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया. लेकिन इस आदेश में इस जांच को शुरू करने की कोई वजह नहीं बताई गई.

दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों दी थी राहत?

सहारा समूह की तरफ से यह दलील भी दी गई थी कि यह 6 कंपनियां किसी भी समय उन तीन कंपनियों की सब्सिडियरी या होल्डिंग कंपनियां नहीं रही हैं, जिनके खिलाफ पहले से जांच की जा रही थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सहारा समूह को राहत देने वाला फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सहारा समूह की कंपनियों की दलीलें सुनने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि पहली नजर में वे अंतरिम राहत पाने के हकदार हैं. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो, इससे उन्हें ऐसा नुकसान हो सकता है, जिसकी कभी भरपाई नहीं हो पाएगी. हाईकोर्ट के इसी आदेश को अब SFIO ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

(इनपुट - पीटीआई)

Supreme Court Subrata Roy Subrato Roy Sahara Sahara Group