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SBI और ICRA के अर्थशास्त्रियों ने क्यों बढ़ाया भारत का ग्रोथ प्रोजेक्शन? कहां से मिल रहे हैं पॉजिटिव सिग्नल

India GDP Projection by SBI Ecowrap, ICRA : SBI के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 8.3% रहेगी, जबकि ICRA के इकॉनमिस्ट इसके 8.5% रहने की उम्मीद जाहिर कर रहे हैं. सवाल ये है कि विकास दर में तेजी के इन अनुमानों का आधार क्या है?

India GDP Projection by SBI Ecowrap, ICRA : SBI के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 8.3% रहेगी, जबकि ICRA के इकॉनमिस्ट इसके 8.5% रहने की उम्मीद जाहिर कर रहे हैं. सवाल ये है कि विकास दर में तेजी के इन अनुमानों का आधार क्या है?

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Viplav Rahi
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India GDP Projection: SBI Ecowrap और ICRA ने पहली तिमाही के दौरान भारत की ग्रोथ रेट में तेजी का अनुमान जाहिर किया है. (Representative image. Source: Pixabay)

SBI Ecowrap and ICRA predict higher GDP Growth for Q1FY24 than RBI's estimate of 8%: दुनिया के ज्यादातर देशों में भले ही आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ने की आशंकाएं जताई जा रही हों, लेकिन भारत के लिए इस मोर्चे पर अच्छी खबर है. देश के आर्थिक विकास पर नजर रखने वाले दो प्रमुख संस्थानों के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने जून तिमाही के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ रेट पिछले अनुमानों से बेहतर रहने की उम्मीद जाहिर की है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने अपनी ताजा रिपोर्ट (SBI Ecowrap) में कहा है कि अप्रैल-जून 2023 के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 8.3 फीसदी रह सकती. वहीं भारतीय रेटिंग एजेंसी ICRA के इकॉनमिस्ट इसके 8.5 फीसदी तक जाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. इनके मुकाबले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पहली तिमाही की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.8 से 8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जाहिर किया है. पहली तिमाही के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ के वास्तविक आंकड़े इस महीने के अंत तक आने की उम्मीद है.

ग्रोथ रेट में सुधार की क्या है वजह

एसबीआई और इक्रा - दोनों ही संस्थाओं के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चुनावी साल के दौरान केंद्र और राज्यों की सरकारों के पूंजीगत खर्च (capital expenditure) में तेजी आई है, जिसकी वजह से विकास की रफ्तार तेज होने की उम्मीद है. एसबीआई के ग्रुप चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने एसबीआई इकोरैप में बताया है कि केंद्र सरकार पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट में आवंटित कैपिटल एक्सपेंडीचर का 27.8 फीसदी हिस्सा पहली तिमाही के दौरान ही खर्च कर चुकी है. इतना ही नहीं, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों की सरकारों ने तो पहली तिमाही के दौरान कैपिटल एक्सपेंडीचर में 41 फीसदी तक की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की है. रेटिंग एजेंसी ICRA का यह भी कहना है कि पिछले वर्षों के लोअर बेस इफेक्ट की वजह से भी इस तिमाही में ग्रोथ रेट के आंकड़े ऊंचे रहेंगे. दोनों ही संस्थाओं ने सर्विस सेक्टर के शानदार प्रदर्शन और कॉरपोरेट सेक्टर के प्रॉफिट मार्जिन में सुधार को भी विकास की रफ्तार को तेज करने वाले संकेतों में शामिल किया है.

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पूरे वित्त वर्ष के अनुमानों में फर्क क्यों?

पहली तिमाही के लिए एसबीआई और इक्रा के अर्थशास्त्रियों के ग्रोथ प्रोजेक्शन भले ही आरबीआई से अधिक हों, लेकिन 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष के उनके अनुमान काफी अलग हैं. एसबीआई के अर्थशास्त्री वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान जीडीपी में 6.7 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद देख रहे हैं, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 6.5 फीसदी ग्रोथ से अनुमान से ज्यादा है. लेकिन पहली तिमाही में सबसे ज्यादा, 8.5 फीसदी ग्रोथ की भविष्यवाणी करने वाले इक्रा के अर्थशास्त्रियों की राय पूरे वित्त वर्ष के लिए बिलकुल अलग है. इक्रा के मुताबिक 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 6 फीसदी रहेगी, जो आरबीआई के अनुमान से काफी कम है. दरअसल, ICRA की चीफ इकॉनमिस्ट अदिति नायर का मानना है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान विकास दर धीमी पड़ने की आशंका है, जिसके चलते पूरे वित्त वर्ष का आंकड़ा नीचे जा सकता है. नायर का कहना है कि बारिश का अनियमित पैटर्न, कमोडिटी प्राइसेस का ट्रेंड और संसदीय चुनाव के करीब आने पर सरकार के कैपिटल एक्सपेंडीचर में गिरावट आने की आशंका है, जिसका असर ग्रोथ की संभावनाओं पर पड़ सकता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इक्रा ने पूरे वित्त वर्ष के लिए अपने विकास दर अनुमान को आरबीआई से कम रखा है.

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