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एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक मई के तीसरे हफ्ते से कोरोना केसेज में गिरावट आ सकती है.
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू हो चुका है और 1 मई से शुरू होने वाले तीसरे चरण में 18 वर्ष से भी अधिक उम्र के लोगों को इससे जोड़ा जाएगा. एसबीआई की रिसर्च टीम की मानें तो कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन सबसे अहम टूल है. SBI Ecowrap रिपोर्ट के मुताबिक अन्य देशों के अनुभव के मुताबिक 15 फीसदी जनसंख्या के वैक्सीन की दूसरी डोज लगने पर कोरोना संक्रमण स्टैबिलाइज हो सकता है यानि कि उसके बढ़ने का खतरा कम हो जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अक्टूबर 2021 तक 15 फीसदी जनसंख्या को दूसरी डोज लग जाएगी. एसबीआई रिसर्च टीम की रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है, उन पर यह अधिक प्रभाव डाल रहा है.
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट को बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने तैयार किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कुछ राज्यों ने लॉकडाउन/रिस्ट्रिक्शंस लगाए हैं जिसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में ग्रोथ प्रभावित हो सकता है. रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2022 के लिए ग्रोथ प्रोजेक्शन को संशोधित किया गया है और इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी 10.4 फीसदी और नॉमिनल जीडीपी 14.2 फीसदी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक मई के तीसरे हफ्ते से कोरोना संक्रमण में गिरावट आ सकती है.
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मई के मध्य तक हो सकता है कोरोना केसेज का पीक
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक मई के तीसरे हफ्ते से कोरोना केसेज में गिरावट आ सकती है. दूसरी लहर की शुरुआत में भारत का रिकवरी रेट 97 फीसदी था जो 69 दिनों में यह अब 82.5 फीसदी पहुंच गया है. अन्य देशों से तुलना करें तो भारत में कोरोना की दूसरी लहर के पीक पर रिकवरी रेट 77.8 फीसदी होगा और यह पीक मई के मध्य तक हो सकता है. एसबीआई रिसर्च टीम के आकलन के मुताबिक रिकवरी रेट में 1 फीसदी की गिरावट पर एक्टिव केसेज में 1.85 लाख की बढ़ोतरी होती है.
अन्य देश भी दूसरी लहर से हुए थे बुरी तरह प्रभावित
कोरोना महामारी की पहली लहर को भारत ने बेहतरीन तरीके से मैनेज किया था लेकिन अब दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है. हालांकि ऐसा सिर्फ भारत के साथ नहीं हो रहा है बल्कि विकसित देशों में भी जब दूसरी लहर आई तो वहां के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की सीमाएं सामने आईं. अधिकतर यूरोपीय देशों और अन्य देशों ने दूसरी लहर के चलते अपने देश में एक हफ्ते से लेकर 6 महीने तक लॉकडाउन लगाया था.
SBI Ecowrap रिपोर्ट की खास बातें
- दिसंबर 2020 के आखिरी दिनों और फरवरी 2021 के मध्य में हर दिन आने वाले कोरोना केसेज में गिरावट रही थी लेकिन इस दौरान हर दिन टेस्ट्स में भी गिरावट आई थी. हालांकि अब ऐसा नहीं होना चाहिए कि कम केसेज दिखाने के लिए टेस्ट घटा दिए जाएं क्योंकि इससे व्यापक स्तर पर संक्रमण बढ़ सकता है.
- यह माना जा रहा है कि चुनावों और सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले धार्मिक जमावड़े के चलते चुनावी राज्यों में कोरोना केसेज बढ़े हैं. हालांकि महाराष्ट्र, दिल्ली और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में आवाजाही कम हुई फिर भी यहां केसेज बढ़े. महाराष्ट्र में लॉकडाउन के बावजूद केसेज बढ़े हैं. इससे साबित होता है कि कोरोना संक्रमण सिर्फ इंसानों से ही नहीं फैल रहा है बल्कि हवा से भी फैल रहा है. ऐसे में सार्वजनिक स्थानों को व्यापक तौर पर सैनिटाइज किया जाना चाहिए.
- कोरोना के चलते मुंबई में सबसे अधिक मौतें 60-69 आयु ग्रुप में हुई है लेकिन 12 अप्रैल से 25 अप्रैल 2021 के बीच जितने लोगों की मौत हुई, उसमें 13.8 फीसदी लोग 50 साल से कम उम्र के रहे. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि म्यूटेंट से भारत में कोविड केसेज बढ़ रहे हैं और जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगाई गई है, उन पर यह अधिक प्रभाव डाल रहा है.
- मई के मध्य यानी पीक लेवल तक महाराष्ट्र में 9.5 लाख एक्टिव केसेज हो सकते हैं जबकि इस समय 6.7 लाख एक्टिव केसेज हैं. जब देश में कोरोना की दूसरी लहर का पीक होगा तो 26 फीसदी एक्टिव केसेज महाराष्ट्र से हो सकते हैं. इसके बाद सबसे अधिक संक्रमण कर्नाटक में होने के आसार हैं जहां पीक लेवल पर कोरोना के एक्टिव केसेज वर्तमान में 3 लाख से बढ़कर 3.5 लाख हो सकते हैं. 95.7 फीसदी एक्टिव केसेज सिर्फ 16 प्रमुख राज्यों से हो सकते हैं.
- वैक्सीन उत्पादन बढ़ने और नई वैक्सीन के आयात होने पर अक्टूबर 2021 तक देश भर में 104.8 करोड़ डोज लोगों को दे दी जाएगी. इसमें से 15 फीसदी जनसंख्या पूरी तरह वैक्सीनेट हो जाएगी यानी कि दोनों डोज दे दी जाएगी जबकि 63 फीसदी लोगों को एक डोज दे दी जाएगी. अन्य देशों के अनुभव के मुताबिक अगर 15 फीसदी जनसंख्या को वैक्सीन की दूसरी डोज लग जाएगी तो संक्रमण स्टैबिलाइज हो जाएगा यानी कि उसके बढ़ने का खतरा कम हो जाएगा.
- शुरुआती चरण में अगर इम्यूनाइजेशन के लिए क्लस्टर बेस्ड अप्रोच अपनाना बेहतर होगा. इसके अलावा पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव) स्कीम के तहत वैक्सीन को स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के लिए इंसेटिव दिया जाना चाहिए. इसके अलावा वृद्धों और विकलांग लोगों को घर जाकर वैक्सीन लगाया जाना चाहिए.
लॉकडाउन और रिस्ट्रिक्शंस का इकोनॉमिक एक्टिविटी पर असर
अप्रैल 2021 में एसबीआई बिजनस एक्टिविटी गिरकर 75.7 फीसदी तक पहुंच गया जो पिछले साल अगस्त 2020 के लगभग बराबर है. कोरोना से पहले के मुकाबले यह 24.3 फीसदी नीचे है जो सीधे तौर पर लॉकडाउन/रिस्ट्रिक्शंस के चलते आर्थिक गतिविधि पर गहरे असर का संकेत है. अप्रैल में लेबर पार्टिसिपेशन और इलेक्ट्रिसिटी कंजम्प्शन के अलावा अन्य इंडिकेटर्स में गिरावट दर्ज की गई है जिससे यह संकेत मिलता है कि लेबर मार्केट में जो बाधाएं आ रही हैं, उसे मैनेज किया जा सकता है जोकि कोरोना की पहली लहर में नहीं हो सका था.