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SC questions ED: सुप्रीम कोर्ट का ED से सवाल, सिसोदिया के खिलाफ कहां हैं सबूत? कहा- उन तक नहीं पहुंच रहा मनी ट्रेल?

SC questions ED in Sisodia Case: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा, पूर्व आरोपी के बयान के अलावा सिसोदिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं है? आपके केस के हिसाब से सिसोदिया तक कोई पैसा नहीं पहुंचा?

SC questions ED in Sisodia Case: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा, पूर्व आरोपी के बयान के अलावा सिसोदिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं है? आपके केस के हिसाब से सिसोदिया तक कोई पैसा नहीं पहुंचा?

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FE Hindi Desk
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SC questions ED: सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय से कई मुश्किल सवाल पूछे हैं. (File Photo : Indian Express)

SC questions ED over PMLA Case against ex Delhi Deputy CM Manish Sisodia: सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग (PMLA) के केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कई कड़े सवाल पूछे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की बेंच ने ED से पूछा कि क्या उनके पास आरोपी से वायदा माफ गवाह बने दिनेश अरोरा के बयान के अलावा मनीष सिसोदिया के खिलाफ और कोई सबूत नहीं है? बेंच ने कहा कि ईडी ने इस मामले में कोर्ट के सामने अब तक जो भी बातें रखी हैं, उनसे यह साफ नहीं होता कि मनी लॉन्डरिंग के अपराध से मनीष सिसोदिया का लिंक क्या है? कोर्ट ने ये सवाल मनीष सिसोदिया की जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान किए. इस मामले में अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होनी है.

मनीष सिसोदिया पर PMLA केस का क्या है आधार

मनीष सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. इसके 12 दिन बाद 9 मार्च को ED ने उन्हें PMLA केस में गिरफ्तार किया. तभी से जेल में बंद सिसोदिया की जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कई ऐसे प्रश्न किए, जिससे एजेंसी की अब तक की तफ्तीश पर सवाल उठ सकते हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार की एजेंसी को याद दिलाया कि किसी को PMLA के तहत आरोपी बनाने के लिए कई शर्तें पूरी होनी जरूरी हैं. जस्टिस खन्ना ने कहा कि मनी लॉन्डरिंग एक अलग अपराध है, जिसके तहत किसी को आरोपी बनाने के लिए पांच शर्तें पूरी होनी चाहिए. बेंच ने ईडी से पूछा “मनीष सिसोदिया के मामले में आप यह कैसे स्थापित करेंगे?”

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दिनेश अरोरा के बयान के अलावा कोई सबूत नहीं?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले में ईडी और सीबीआई की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से पूछा, “सबूत कहां है? दिनेश अरोरा खुद आरोपी रहा है….दिनेश अरोरा के बयान के अलावा क्या कोई और सबूत है?…आपके (ईडी के) केस के मुताबिक मनीष सिसोदिया तक कोई पैसा नहीं पहुंचा है….तो फिर शराब लॉबी से आई रकम का मनी-फ्लो क्या है? आपने दो आंकड़े लिए हैं : 100 करोड़ और 30 करोड़…उन्हें यह रकम किसने दी? पैसे देने वाले लोग बहुत सारे हो सकते हैं, जरूरी नहीं कि वो शराब से जुड़े हों…आपको ये कड़ियां जोड़नी होंगी…जो पूरी तरह जुड़ नहीं रही हैं.” जस्टिस खन्ना ने आगे कहा, “मनी का फ्लो शराब लॉबी से शुरू होकर आरोपी तक पहुंचना चाहिए. हम दोनों मानते हैं कि इन कड़ियों को साबित करना मुश्किल है, क्योंकि सबकुछ छिपाकर किया जाता है….लेकिन यहीं तो आपको अपनी काबिलियत दिखाने की जरूरत है.”

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कोर्ट की राय महत्वपूर्ण है आरोपी की नहीं

ASG राजू ने कोर्ट से कहा कि एजेंसी ने मनी फ्लो की कड़ियां जोड़ी हैं. उन्होंने कहा, “हमारे पास बयान हैं. इस चेन में शामिल हर व्यक्ति इसकी पुष्टि कर रहा है.” इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा, “इस बात की पुष्टि कौन कर रहा है कि पैसे शराब लॉबी द्वारा दिए गए थे?” लेनदेन के ब्योरे का जिक्र करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा, “मनीष सिसोदिया शामिल नहीं लग रहे. विजय नायर (सह-अभियुक्त) तो उसमें है, लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं हैं.” उन्होंने पूछा, “आप उन्हें (सिसोदिया को) मनी लॉन्डरिंग एक्ट के दायरे में कैसे लाएंगे?” ASG ने कहा कि वायदा माफ गवाह के बयान के मुताबिक नायर सिसोदिया के लिए ही काम कर रहा था. इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा, “यह बयान किसका है? यह उसकी राय है. जिरह (cross-examination) के दौरान दो सवाल पूछने पर ही यह दावा औंधे मुंह गिर जाएगा. यह उसकी राय है और वह कोई एक्सपर्ट नहीं है. एक्सपर्ट की राय का अलग मतलब होता है. यह तो अनुमान के आधार पर निकाला गया निष्कर्ष है. उसकी राय का कोई महत्व नहीं है. महत्व कोर्ट की राय का होता है.”

पैसे किसी और की जेब में गए तो आरोप स्थापित नहीं

ASG राजू ने कहा कि “वो एक ऐसा व्यक्ति है, जो आम आदमी पार्टी से जुड़ा है… पॉलिसी बनाने में उनका रोल था.” इस पर बेंच ने कहा, “मनी ट्रेल उनकी जेब तक आनी चाहिए. अगर पैसे किसी और की जेब में जा रहे हैं, तो आप कैसे (साबित करेंगे)..” कोर्ट ने कहा कि अगर पैसे किसी ऐसी कंपनी में जा रहे होते, जिससे सिसोदिया का जुड़ाव है, तो उनकी प्रतिनिधिक जवाबदेही (vicarious liability) बनती है. अगर ऐसा नहीं है, तो आरोप स्थापित नहीं होता है.

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ऐसी पॉलिसी बनाई जिससे घूसखोरी को बढ़ावा मिला : ASG

जस्टिस खन्ना ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ एजेंसी का केस यह है कि वो अपराध से होने वाली कमाई की गतिविधि या प्रॉसेस में खुद शामिल हैं. यह केस सिर्फ कोशिश करने का नहीं है. उन्होंने पूछा कि अपराधजनित कमाई (proceeds of crime) से जुड़ी वह कौन सी गतिविधि है, जिससे एजेंसी सिसोदिया को लिंक करना चाहती है. ASG ने इसके जवाब में कहा, “वे ऐसी कमाई को जेनरेट करने में सहयोगी हैं…सवाल यह है कि वे अवैध गतिविधि या प्रक्रिया में शामिल हैं या नहीं…आप एक ऐसी पॉलिसी बनाते हैं, जिससे घूसखोरी को बढ़ावा मिलता है, जो अपराधजनित कमाई है…क्या आपने (सिसोदिया ने) ऐसी पॉलिसी को बनने से रोका या नहीं?”

जब तक पैसे न लिए जाएं नीतिगत बदलाव अवैध नहीं : बेंच

जस्टिस खन्ना ने कहा कि जब तक पैसों का लेन-देन न हुआ हो, किसी पॉलिसी में बदलाव को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि पॉलिसी में बदलाव किया गया…अपने बिजनेस के लिए फायदेमंद पॉलिसी का सभी समर्थन करते हैं. प्रेशर ग्रुप हमेशा रहते हैं..नीतिगत बदलाव अगर गलत भी हों, तो भी अगर इसके लिए पैसों का लेन-देन नहीं हुआ तो यह अपराध नहीं है. यह अपराध तभी है, जब इसके लिए पैसे लिए गए हों…अगर हम ये कह दें कि कोई प्रेशर ग्रुप नहीं हो सकता, तो कोई सरकार नहीं चल पाएगी…लॉबिइंग हमेशा ही रहेगी…लेकिन रिश्वत नहीं ली जानी चाहिए.”

PMLA अपराधजनित लेन-देन पर ही लागू : बेंच

जस्टिस खन्ना ने कहा कि PMLA के तहत अपराधजनित कमाई को शेयर करना अपराध है, उसका जेनरेशन नहीं. उन्होंने कहा, “जब घूस दी जाती है, तो उसे लेने और देने वाले अपराधजनित कमाई की गतिविधि में शामिल होते हैं..मान लीजिए पैसों का कोई लेन-देन नहीं हुआ, तो क्या PMLA लागू होगा? PMLA केवल तभी लागू होगा, जब अपराधजनित पैसों का लेन-देन होता है.” बेंच ने यह भी साफ किया कि बुधवार की सुनवाई के दौरान जब उन्होंने पूछा कि आबकारी नीति का फायदा जिस राजनीतिक पार्टी को मिलने का आरोप है, उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया, तो यह सिर्फ एक कानूनी प्रश्न था. इसका मकसद किसी को आरोपी बनाने के लिए कहना नहीं था.

Supreme Court Manish Sisodia Money Laundering Case Enforcement Directorate