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Supreme Court (File Image)
Eco-Friendly Order: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 जून) को खनन को लेकर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने राष्ट्रीय पार्कों और वाइल्डलाइफ सैंक्चुरीज (वन्यजीव अभयारण्य) में खनन को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सभी संरक्षित जंगलो के पास एक एक इको-सेंसेटिव जोन बनाने का निर्देश दिया है. यह जोन संरक्षित जंगलों यानी कि राष्ट्रीय पार्क या वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी की सीमा से कम से कम एक किमी का होना चाहिए.
हालांकि जमुआ रामगढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के लिए यह 500 मीटर है. इस जोन में कौन-सी कार्यवाही हो सकती है और क्या प्रतिबंधित, इसे लेकर 9 फरवरी 2021 के गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है. ये निर्देश जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की बेंच ने जारी किए हैं.
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इन पर होगी जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि सभी राष्ट्रीय पार्कों और सैंक्चुअरीज के इको-सेंसेटिव जोन के भीतर कार्यों को लेकर गाइडलाइंस का सही से पालन हो, इसकी जवाबदेही जंगलों के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर की होगी. इसके अलावा हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिव भी गाइडलाइंस का उचित तरीके से अनुपालन कराना सुनिश्चित करना होगा. कोर्ट ने सभी राज्यों और यूनियन टेरीटरी के फॉरेस्ट्स के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर को संबंधित इको-सेंसेटिव जोन के भीतर की पूरी डिटेल्स की लिस्ट बनाने का निर्देश दिया है और पूरी रिपोर्ट तीन महीने के भीतर फाइल करने को कहा है.
गैर-प्रतिबंधित कार्यों के लिए लेनी होगी मंजूरी
किसी राष्ट्रीय पार्क या वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के इको-सेंसेटिव जोन (ESZ) में गैर-प्रतिबंधित कार्यों के लिए मंजूरी लेनी होगी. कोर्ट ने कहा कि 9 फरवरी 2021 गाइडलाइंस के तहत ESZ में जो गतिविधियां प्रतिबंधित नहीं है, उसे राज्य/यूनियन टेरीटरी के प्रिंसिफल चीफ कंजर्वेटर से मंजूरी लेकर जारी रखा सकता है और संबंधित शख्स को छह महीने के भीतर जरूरी इजाजत लेनी होगी. हालांकि एसईजेड में किसी भी नए स्थाई स्ट्रक्चर को मंजूरी नहीं मिलेगी.