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SC flags govt delay: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की 70 सिफारिशें सरकार के पास अटकीं, अटॉर्नी जनरल ने मांगा 7 दिन का समय

SC Collegium recommendations pending : बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन की याचिका में देरी के लिए सरकार के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही किए जाने की मांग.

SC Collegium recommendations pending : बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन की याचिका में देरी के लिए सरकार के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही किए जाने की मांग.

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FE Hindi Desk
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कॉलेजियम की तरफ से हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर के लिए भेजी गई 70 सिफारिशें सरकार के पास अटकी हैं. (File Photo : ANI)

SC flags government delay in appointment and transfer of HC judges : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति और तबादलों से जुड़ी सिफारिशों को लंबे समय तक लटकाए जाने पर चिंता जाहिर की है. दो जजों की बेंच ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 70 सिफारिशें सरकार के पास अटकी हुई हैं. इनमें 7 नाम तो ऐसे हैं, जिनकी सिफारिश एक बार से ज्यादा की जा चुकी है, जबकि 9 नामों का प्रस्ताव पहली बार भेजा गया है. बेंच की अगुवाई कर रहे जज जस्टिस एसके कौल ने सरकार की तरफ से हो रही देरी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मैं इस मामले में काफी कुछ कह सकता हूं, लेकिन खुद को इसलिए रोक लिया है, क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने एक हफ्ते का वक्त मांगा है.

9 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों - जस्टिस एस के कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने ये बातें बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं, जिसमें जजों की नियुक्ति में कथित देरी के लिए सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही किए जाने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि हम इस मामले को आगे बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं और अब इस पर लगातार नजर रखेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक यह मसले सुलझ नहीं जाते, इसे हर 10-12 दिन में उठाया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई अब 9 अक्टूबर को होगी.

सरकार के पास लंबित सिफारिशों का ब्योरा

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जस्टिस कौल ने यह भी बताया कि कॉलेजियम की जो 70 सिफारिशें सरकार के पास पड़ी हैं, उनमें नियुक्ति और तबादलों के कितने प्रस्ताव शामिल हैं. उन्होंने बताया कि सरकार के पास लंबित सिफारिशों में 7 नाम एक से ज्यादा बार भेजे जा चुके हैं, जबकि 9 नाम पहली बार भेजे गए हैं. जस्टिस कौल ने बताया कि इनमें चीफ जस्टिस के प्रमोशन का एक मामला और ट्रांसफर के 26 मामले शामिल हैं. इन सबको मिलाकर 11 नवंबर 2022 से अब तक भेजे गए 70 नाम सरकार के पास अटके हैं. जस्टिस कौल ने बताया कि महज 4 दिन पहले तक यह संख्या 80 थी, लेकिन उसके बाद सरकार ने 10 नाम क्लियर किए हैं. लिहाजा, यह संख्या अब 70 है. जस्टिस कौल ने कहा कि नियुक्ति में देरी की वजह से कई लोग अपने नाम वापस भी ले लेते हैं.

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सरकार की देरी का न्याय व्यवस्था पर बुरा असर : प्रशांत भूषण

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ताओं में शामिल एनजीओ कॉमन कॉज की तरफ से अपनी बात रखी. प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार की तरफ से होने वाली देरी का देश की न्यायिक प्रणाली के एडमिनिस्ट्रेशन पर बुरा असर पड़ता है. इसीलिए मेरी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर ज्यादा जोर देना चाहिए. इस पर जस्टिस कौल ने कहा, “मैंने इस मामले में काफी कुछ कहने के बारे में सोचा था, लेकिन अटॉर्नी जनरल ने 7 दिन का समय मांगा है, इसलिए मैंने खुद को रोक लिया है. मैं हर 10-12 दिन में इस मसले को उठाता रहूंगा.” उन्होंने कहा कि कुछ मायने में हमने इस पर जोर लगाया है और अब इस पर लगातार नजर रखेंगे.

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मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति भी अटकी?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सरकार के पास पड़ी फाइलों में एक ‘सेंसिटिव हाईकोर्ट’ के चीफ जस्टिस की नियुक्ति का मामला भी शामिल है. माना जा रहा है कि कोर्ट का इशारा मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति की तरफ है. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल को मणिपुर हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट 5 जुलाई 2023 को ही कर चुका है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी (R. Venkataramani) से कहा कि वे इस बारे में सरकार से बात करें. वेंकटरमणी ने कोर्ट के निर्देश पर अमल करने का भरोसा दिलाते हुए इसके लिए एक हफ्ते का समय मांगा है. जस्टिस कौल ने कहा कि अगर अटॉर्नी जनरल मसला सुलझाने में सफल रहे, तो मुझे काफी खुशी होगी.

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