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एकल पीठ ने कोविड-19 को लेकर व्याप्त भय का कॉमर्शियल लाभ उठाने के लिये 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. (File Image)
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की पंतजलि की दवा 'कोरोनिल' के नाम को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को ट्रेडमार्क 'कोरोनिल' का उपयोग करने से रोक दिया गया था. हाई कोर्ट के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और नयायाधीश वी रामासुब्रमणियम की पीठ ने कहा, ‘‘अगर हम महामारी के दौरान केवल इस आधार पर कोरोनिल के नाम के उपयोग को रोकते हैं कि इसके नाम पर कीटनाशक है, यह इस उत्पाद के लिए अच्छा नहीं होगा.’’ पीठ ने इस बात पर गौर किया कि मामला पहले ही हाई कोर्ट में सितंबर महीने में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, ऐसे में मामले को वापस लिया मानते हुए खारिज किया जाता है.
मद्रास हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश पर अमल को दो सप्ताह के लिए रोक लगा दी है. एकल पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को अपनी दवा (टैबलेट) के लिए कोरोनिल शब्द का उपयोग करने से मना किया और कोविड-19 को लेकर भय का वाणिज्यिक लाभ उठाने के लिये 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
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अरूद्र इंजीनियरिंग की थी याचिका
हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश ने चेन्नई की कंपनी अरूद्र इंजीनियरिंग प्राइवेट लि. की याचिका पर अंतरिम आदेश दिया. कंपनी का दावा है कि कोरोनिल ट्रेडमार्क उसके पास 1993 से है. कंपनी के अनुसार कोरोनिल-213 एसपीएल और कोरोनिल.92बी का पंजीकरण उसने 1993 में कराया था और उसके बाद से ट्रेडमार्क का नवीनीकरण कराया गया. अरूद्र इंजीनियरिंग रसायन और सैनिटइाजर बनाती है. कंपनी ने कहा, ‘‘फिलहाल, ट्रेडमार्क पर हमारा अधिकार 2027 तक वैध है.’’ अरूद्र इंजीनियरिंग ने कहा कि हालांकि कंपनी जो उत्पाद बेचती है, वह अलग है, लेकिन एक जैसे ट्रेडमार्क के उपयोग से हमारे बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन होता है.