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मानसून सत्र के दौरान कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रोटेस्ट को लेकर जंतर मंतर के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी कर दी गई है.
Farmer Protest: मानसून सत्र के दौरान कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रोटेस्ट को लेकर जंतर-मंतर के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी कर दी गई है. जानकारी के मुताबिक सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं और पुलिस व पैरामिलिट्री फोर्सेज की तैनाती की गई है. जंतर-मंतर संसद भवन से कुछ ही मीटर की दूरी पर है जहां इस समय मानसून सत्र चल रहा है. कृषि बिल का विरोध कर रहे सिंघू बॉर्डर पर मौजूद 200 किसानों का एक समूह जंतर मंतर पर एक पुलिस एस्कॉर्ट के साथ आएंगे और यहां 11 बजे से शाम 5 बजे तक प्रोटेस्ट करेंगे. बीकेयू नेता राकेश टिकैत का कहना है कि जंतर मंतर पर 'किसान संसद' बैठेगी और वह संसद की कार्यवाही को मॉनीटर करेंगे.
सिंघू बॉर्डर पर मौजूद किसान नेता प्रेम सिंह भंगू का कहना है कि दिल्ली के बाद उनका अगला पड़ाव उत्तर प्रदेश होगा और यह मिशन 5 सितंबर से शुरू होगा. भंगू का कहना है कि वे बीजेपी के हार्टलैंड यूपी से बीजेपी को पूरी तरह आइसोलेच करे देंगे. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
किसान संगठन देंगे कोविड प्रोटोकॉल को लेकर अंडरटेकिंग
देश भर में इस समय कोरोना महामारी की खतरा बना हुआ है. ऐसे में सभी जरूरी एहतियात बरते जा रहे हैं और सरकार ने कुछ जरूरी प्रोटोकॉल्स जारी किए हैं. किसान संगठनों की एक अंब्रेला बॉडी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से इसे लेकर एक अंडरटेकिंग देने को कहा गया है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जंतर मंतर पर प्रोटेस्ट करने के लिए आ रहे किसान कोरोना से जुड़े सभी नॉर्म्स का पालन करेंगे, इसे लेकर अंडरटेकिंग देना होगा. इसके अलावा प्रोटेस्ट शांतिपूर्वक होगा, इसका भी अंडरटेकिंग देना होगा. 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा के बाद से यह पहली बार है जब अथॉरिटीज ने किसान संगठनों को शहर में प्रोटेस्ट करने की मंजूरी दी है.
दिल्ली की तीन सीमाओं पर हजारों किसान कर रहे विरोध
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के तीन बॉर्डर प्वाइंट्स पर हजारों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शनों में शामिल किसानों का कहना है कि केंद्रीय कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सिस्टम खत्म हो जाएगा और उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा. इस मुद्दे को लेकर सरकार से 10 राउंड से अधिक की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो सका है.