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Semiconductor in India: भारत के सेमीकंडक्टर बनाने का सपना कब होगा पूरा, क्यों इतना जरूरी है स्वदेशी चिप?

Semiconductor in India: सेमीकंडक्टर आज कितना मायने रखता है इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर की सरकारें ये बनाने की क्षमता हासिल करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं.

Semiconductor in India: सेमीकंडक्टर आज कितना मायने रखता है इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर की सरकारें ये बनाने की क्षमता हासिल करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं.

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FE Hindi Desk
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Semiconductor in India: भारत में सेमीकंडक्टर की मांग लगभग 24 बिलियन डॉलर है और 2025 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

Semiconductor in India: सेमीकंडक्टर आज कितना मायने रखता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर की सरकारें इसे बनाने की क्षमता हासिल करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं. दुनिया भर की सरकारें सेमीकंडक्टर उद्योग को कितना महत्व देती हैं, यह भारत के 10 बिलियन डॉलर के सेमीकंडक्टर मिशन, अमेरिकी सरकार के 208 बिलियन डॉलर के चिप्स एक्ट और 2025 तक अपने सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए चीन के 1.4 ट्रिलियन डॉलर के विशाल निवेश से पता चलता है.

भारत में बढ़ रही सेमीकंडक्टर की मांग

फिलहाल भारत में सेमीकंडक्टर की मांग लगभग 24 बिलियन डॉलर है और 2025 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. जबकि भारत सरकार ने भारत के घरेलू सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के निर्माण और वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के भीतर भारत की भूमिका को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है. देश में सेमीकंडक्टर की मांग काफी हद तक इम्पोर्ट से पूरा होता है. ताइवान की चिप बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन के वेदांता के साथ अपने करार से बाहर निकलने से भारत के साथ स्वदेशी चिप निर्माण के प्रस्ताव पर भी गंभीर बहस छिड़ गई है. फॉक्सकॉन ने भारत में $20 बिलियन का निवेश करने की योजना बनाई थी. महत्वाकांक्षा और सरकार के प्रयास के बावजूद, सेमीकंडक्टर चिप्स के निर्माण में निवेश सबसे बड़ी समस्या उभरकर आया है. फॉक्सकॉन-वेदांता डील के ख़त्म होने से सारा मामला फिर से पटरी से उतर गया है.

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भारत को क्या करना है जरूरी?

हाल ही में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चिप बनाने वाली यूनिट्स स्थापित करने के लिए और भारत को 2027 तक इंडस्ट्री की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 10,000-13,000 कुशल ह्यूमन रिसोर्स की जरूरत है. Meity के एक अधिकारी ने आगे साफ किया कि हालांकि भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन इंजीनियरों का एक बड़ा पूल है, लेकिन सेमीकंडक्टर प्लांट (वेफर फैब) को संभालने के लिए, प्रतिभाएं शुरू में विदेशों से आएंगी, और धीरे-धीरे देश में रिसोर्स विकसित किए जाएंगे. चिप निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए इन्वेस्टमेंट और इंसेंटिव अभी भी मुख्य पहलू बना हुआ है.

क्यों भारत के लिए है ये महत्वपूर्ण?

सेमीकंडक्टर से बने चिप्स अब लड़ाकू जेट, ड्रोन, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, पनडुब्बी, मिसाइल आदि में इस्तेमाल किये जाते हैं. फिलहाल भारत की एकमात्र सैन्य अनुसंधान एजेंसी, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) मिलिट्री के लिए सेमीकंडक्टर बनाती है. हालांकि इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले अधिकतर चीजें विदेशों से आते हैं. इसके अलावा भारत में IoT और 5G/6G तकनीक पर आधारित महत्वपूर्ण सैन्य नेटवर्क के साथ, सेमीकंडक्टर चिप्स की मांग तेजी से बढ़ेगी.

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