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शारदीय नवरात्र का पहला दिन मां शक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को समर्पित है. इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.
Shardiya Navratri 2022 Ghatasthapana Muhurat: आज से पवित्र शारदीय नवरात्र शुरु हो रहे हैं. अश्विनी माह की प्रतिपदा से लेकर नौ दिनों तक नवरात्र का व्रत और उत्सव मनाया जाता है. इस बार ये नवरात्र 5 अक्टूबर को खत्म हो रहे हैं. इन दिनों में मां आदि शक्ति के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्र का पहला दिन मां शक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को समर्पित है. इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री माना जाता है. मां शैलपुत्री का नाम उनके जन्म से जुड़ा हुआ है.
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मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय राज के घर में हुआ था
वैदिक शास्त्रों में बताया गया है कि मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय के राजा के घर में एक शैल यानी पत्थर पर हुआ था, जिसकी वजह से ही मां का नाम शैलपुत्री पड़ गया. मां शैलपुत्री की पूजा में श्वेत यानी सफेद रंग का विशेष स्थान है. ऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री को श्वेत रंग बहुत ही पसंद है. इसलिए पहले नवरात्र में पूजन के लिए सफेद रंग के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही भोग में सफेद रंग की भोजन या व्यंजन चढ़ाया जाता है. इसके साथ ही मां शैलपुत्री को सफेद चंदन, पान, सुपारी, नारियल, लौंग, कुमकुम और सौलह श्रृंगार की अर्पित किये जाते हैं.
पूजन से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
पूजन के दौरान मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:' मंत्र का जाप किया जाता है. आमतौर पर इस मंत्र को भक्त श्रद्धा के साथ कितनी भी बार बोल सकते हैं, लेकिन यदि इस मंत्र का 108 बार जाप किया जाए तो उस व्यक्ति पर मां शैलपुत्री की विशेष कृपा बरसती है और मां शैलपुत्री अपने भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने वाले को धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति तो होती है. साथ ही उसके चंद्र दोषों का भी निवारण हो जाता है. क्योंकि मां शैलपुत्री चंद्रमा की दिशा व दशा को नियंत्रित करती हैं.