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कोर्ट ने करीब सात साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के फाइव स्टार होटल में सुनंदा पुष्क की मौत के मामले में शशि थरूर को बरी कर दिया है. (Image- PTI)
दिग्गज कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) को आज 18 अगस्त को दिल्ली कोर्ट से उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में बड़ी राहत मिली. दिल्ली कोर्ट ने करीब सात साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के फाइव स्टार होटल में सुनंदा पुष्कर (Sunanda Pushkar) की मौत के मामले में थरूर को बरी कर दिया है. कोर्ट का फैसला इस सवाल पर आया है कि क्या इस मामले में शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए? कोर्ट का फैसला आने के बाद शशि थरूर ने ट्विटर पर एक पत्र पोस्ट किया जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किए जाने पर खुशी जताया है और जज गीतांजलि गोयल को इस फैसले को लेकर धन्यवाद कहा है.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 18, 2021
करीब सात साल पहले हुआ थी Sunanda Pushkar की मौत
सुनंदा पुष्कर दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में 17 जनवरी 2014 को मृत पाई गई थीं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस मामले के मुख्य आरोपी थे और वह इस मामले में जमानत पर थे. दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में थरूर को आईपीसी के सेक्शन 498-ए (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा अत्याचार) और सेक्शन 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत आरोपी बनाया गया था. दिल्ली पुलिस ने थरूर के खिलाफ वर्ष 2015 में एफआईआर दर्ज किया था. इसके तीन साल बाद 2018 में उनके खिलाफ सेक्शन 306 और 498ए के तहत आरोपी बनाया गया था.
पिछले महीने भी हुई थी मामले की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई पिछले महीने 27 जुलाई को भी हुई थी. हालांकि अभियोग पक्ष यानी थरूर ने मामले से जुड़े हुए अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने को लेकर अपील किया था जिसके बाद कोर्ट ने फैसले को आज 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया था. स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की इजाजत देते हुए कहा था कि इस मामले में इसके बाद किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा. इस साल मार्च में थरूर ने कोर्ट से कहा था कि पुष्कर के परिवार और दोस्तों ने आत्महत्या की बात नहीं स्वीकार की है. ऐसे में थरूर के काउंसिल ने कोर्ट से अपील किया कि जब सुनंदा पुष्कर की मौत आत्महत्या से नहीं हुई तो थरूर के ऊपर लगे सभी आरोप हटाए जाएं क्योंकि यहां उकसाने का मामला नहीं बनता है.