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Special Parliament Session: विशेष सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ शुरू हुआ और इस दौरान पक्ष-विपक्ष के सभी बड़े नेता मौजूद रहे.
Special Parliament Session: काफी चर्चा के बीच, संसद का 'विशेष' सत्र आज, 18 सितंबर को शुरू हो गया है. विशेष सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ शुरू हुआ और इस दौरान पक्ष-विपक्ष के सभी बड़े नेता मौजूद रहे. सरकार इस सत्र में 8 विधेयक पास कराएगी. अपने संबोधन में पीएम ने G20, संसद पर हमले और देश के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों का भी जिक्र किया. बैठक के पहले दिन ने संविधान सभा के गठन से लेकर संसदीय यात्रा के 75 वर्षों को चिह्नित किया है. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पिछले 75 वर्षों की उपलब्धियों, अनुभवों, यादों और सीखों पर चर्चा होगी. इस बीच सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक के दौरान, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने पर जोर दिया. कुछ विपक्षी दलों ने सत्र के समय पर सवाल उठाया और यह भी बताया कि प्रसारित एजेंडे में यह नहीं बताया गया कि पांच दिवसीय सत्र एक विशेष सत्र होगा.
पीएम ने इन बड़े नेताओं को किया याद
लोकसभा में "संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा - उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख" विषय पर चर्चा की शुरुआत करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि जब वाजपेयी के शासनकाल के दौरान तीन नए राज्य उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ बनाए गए तो हर जगह जश्न मनाया गया. लेकिन पीएम ने अफसोस जताया कि तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करके बनाए जाने से दोनों राज्यों में केवल कड़वाहट और खून-खराबा हुआ. उन्होंने कहा, यह वह संसद है जहां पंडित नेहरू ने आधी रात को भाषण दिया था और उनके शब्द आज भी सभी को प्रेरित करते हैं. मोदी ने कहा, इन 75 वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि संसद में आम आदमी का विश्वास लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि उनकी इच्छा है कि जब संसद मंगलवार को अपने नए भवन में स्थानांतरित हो तो वह नई आशा और विश्वास की सुबह हो. मोदी ने कहा कि यह उन सभी की सराहना करने का भी अवसर है जिन्होंने इस सदन का नेतृत्व किया है और पंडित नेहरू से लेकर वाजपेयी तक भारत के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया है. उन्होंने सदन को समृद्ध बनाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल, चन्द्रशेखर और लाल कृष्ण आडवाणी को भी याद किया.
प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन का किया जिक्र
प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन का जिक्र करते हुए कहा कि इस परिसर के निर्माण का फैसला भले ही विदेशी शासकों ने किया था, लेकिन इसका निर्माण भारत के लोगों की कड़ी मेहनत, पसीने और धन से किया गया था. उन्होंने कहा कि इन 75 वर्षों में अनेक लोकतांत्रिक परंपराएं बनीं और इसमें सभी ने योगदान दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम नई इमारत में जा सकते हैं, लेकिन पुरानी इमारत भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पुराने संसद भवन को अलविदा कहना एक भावनात्मक क्षण है ; इसके साथ कई खट्टी-मीठी यादें जुड़ी हुई हैं. यह भारत की यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है. नये परिसर में जाने से पहले इस संसद भवन से जुड़े प्रेरणादायक क्षणों को याद करने का समय आ गया है. ’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेहरू से लेकर शास्त्री और वाजपेयी तक, इस संसद ने कई नेताओं को भारत के बारे में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते देखा है. मोदी ने कहा कि इस संसद भवन में अनेक अवसर ऐसे आये जब सदस्यों के आंसू भी बहे. उन्होंने तीन-तीन प्रधानमंत्रियों -पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के निधन पर सदस्यों की विह्वलता का भी उल्लेख किया.
भारत ने विश्वमित्र की जगह बनाई है, पूरी दुनिया उसमें अपना मित्र खोज रही है: प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दिनों आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता को देश के 140 करोड़ देशवासियों की उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि इसी कारण से आज भारत ‘विश्वमित्र’ के रूप में अपनी जगह बना पाया है और पूरी दुनिया भारत में अपना मित्र खोज रही है. लोकसभा में ‘देश की 75 वर्ष की संसदीय यात्रा’ पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में जब देश में नैम (गुट निरपेक्ष आंदोलन) का सम्मेलन आयोजित किया गया था तो इस सदन ने सर्वसम्मति से देश के इस प्रयास को सराहा था. उन्होंने कहा कि आज भी इस सदन ने जी20 सम्मेलन की सफलता को सराहा है जो 140 करोड़ देशवासियों की सफलता है, भारत की सफलता है. मोदी ने कहा, ‘‘यह किसी व्यक्ति की सफलता नहीं है, किसी दल की सफलता नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि भारत के संघीय ढांचे की ताकत है कि देश में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 60 स्थानों पर जी20 की 200 से अधिक बैठकें हुईं. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है. पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है.हमने ‘वेद से विवेकानंद’ तक जो पाया है, ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र, ये ही वे कारण हैं जो विश्व को साथ लाने में सफल रहे हैं.’’
मुझे नहीं पता था एक गरीब परिवार का बच्चा कभी संसद में प्रवेश कर पाएगा: पीएम मोदी
मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में जब मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर अपना पहला क़दम रखा था वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था. मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा कभी संसद में प्रवेश कर पाएगा. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे लोगों से इतना प्यार मिलेगा.
आज गर्व से कह सकते हैं नया सदन हमारे लोगों ने बनाया: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आगे कहा, “देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा इसका एक बार पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर है. हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं. आज़ादी के पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था. आज़ादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में पहचान मिली. यह सही है कि इस इमारत(पुराने संसद भवन) के निर्माण करने का निर्णय विदेश शासकों का था, लेकिन यह बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के थे.”