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किसी भी बच्चे को कक्षा में उपस्थित होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा और उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं में उपस्थित होने की मंजूरी दी जाएगी. (File Photo)
Delhi School-College Reopening: राजधानी दिल्ली में अगले महीने 1 सितंबर से स्कूल खुलेंगे. आज 30 अगस्त को इसे लेकर दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं. डीडीएमए ने राजधानी दिल्ली के सभी स्कूलों को कक्षाओं की उपस्थिति सीमा (अकुपेंसी लिमिट) और कोविड से जुड़े प्रोटोकॉल्स के मुताबिक टाइम टेबल तैयार करने को कहा है. कक्षा के अंदर अधिकतम 50 फीसदी बच्चों को ही रहने की मंजूरी रहेगी और लंच ब्रेक भी एक-साथ नहीं दिया जाएगा. डीडीएमए ने सभी स्कूलों को खुले स्थानों में लंच ब्रेक की सलाह दी है ताकि अधिक भीड़ न हो सके.
डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने इससे पहले विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था ताकि यह तय किया जा सके कि स्कूलों को फिर से कैसे खोलना है. पैनल ने चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने की सिफारिश की थी. सबसे पहले हायर क्लासेज के स्टूडेंट्स की कक्षाओं को खोलने का प्रस्ताव रखा गया और फिर मिडिल क्लास. सबसे आखिरी में प्राइमरी सेक्शन के बच्चों की कक्षाएं खोलने की सिफारिश की गई.
कंटेनमेंट जोन के स्टूडेंट्स और टीचर्स नहीं आ सकेंगे
अगले महीने 1 सितंबर से से दिल्ली में स्कूल और कॉलेज फिर से खुल रहे हैं लेकिन 1 सितंबर को 9th से लेकर 12th तक की कक्षाएं खुलेंगी. हालांकि कंटेनमेंट जोन में रहने वाले स्टूडेंट्स और टीचर्स को स्कूल और कॉलेज आने की मंजूरी नहीं रहेगी. इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों को एक आपातकालीन क्वारंटीन रूम बनाना होगा और रूटीन गेस्ट विजिट्स को मंजूरी नहीं रहेगी.
बच्चों को क्लासेज में आने के लिए नहीं किया जाएगा मजबूर
दिल्ली सरकार ने 1 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से स्कूल व कॉलेज को खोलने की मंजूरी दी है और सबसे पहले कक्षा 9 से कक्षा 12 तक की कक्षाओं को खोलने की मंजूरी दी गई है. कोचिंग क्लासेज को भी मंजूरी दी गई है. हालांकि डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया ने कहा कि किसी भी बच्चे को कक्षा में उपस्थित होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा और उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं में उपस्थित होने की मंजूरी दी जाएगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक अगर कोरोना की तीसरी लहर नहीं आती है तो सभी स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोला जाएगा.
सरकार के इस फैसले पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही. कई लोगों का मानना है कि बच्चों की शिक्षा को जो नुकसान हो रहा है, उससे बचाने के लिए स्कूल और कॉलेजों को फिर से खोलना जरूरी है, वहीं दूसरी तरफ कई लोग तीसरी लहर की आशंका के चलते इस फैसले पर को सही नहीं मान रहे हैं.