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महामारी के बाद की दूनिया में भारतीय छात्रों को विदेशों में पढ़ाई जारी रखने में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं.
World Tourism Day: बहुत पहले की बात नहीं है, जब ऐसे स्टूडेंट्स विदेश में पढ़ाई कर सकते थे जिनके पास पैसा है या जो प्रतिभाशाली हैं. लेकिन महामारी के इस समय में स्टूडेंट्स को इन दो चीजों के अलावा और भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आज के समय में पढ़ाई के लिए विदेश जाने से पहले स्टूडेंट्स इस बात को लेकर परेशान हैं कि वे जिन देशों में जाना चाहते हैं वहां ट्रैवल से संबंधित नियम-कायदे क्या हैं. इसके अलावा स्टूडेंट्स संबंधित देशों में क्वारंटाइन नियमों और इसमें आने वाले खर्चों को लेकर भी चिंतित हैं. भारतीय छात्रों के लिए अलग-अलग देशों में प्रवेश के संबंध में लगातार बदलते नियमों को लेकर भी स्टूडेंट्स के बीच भ्रम की स्थिति बनती रही है.
भारत में महामारी की दूसरी लहर समाप्त होने तक बहुत से देशों ने वहां प्रवेश करने वाले छात्रों के लिए कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराक को अनिवार्य कर दिया. इसकी वजह से उन स्टूडेंट्स को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिनकी सेमेस्टर की कक्षाएं शुरू होने वाली थी. लेकिन इन सबके बीच अच्छी बात यह रही की हाल ही में राज्य सरकारों ने स्टूडेंट्स को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी, ताकि वे जल्द से जल्द अपनी पढ़ाई शुरू कर सकें.
अलग-अलग देशों में यात्रा प्रतिबंध संबंधी नियम
भारतीय छात्रों को कई देशों द्वारा बहुत सारे यात्रा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के लिए, भारत से जाने वाली उड़ानों को अभी तक कनाडा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी. इसकी वजह से कनाडा जाने वाले यात्रियों को पहले किसी और देश में जाना पड़ रहा था, उसके बाद वे दूसरी फ्लाइट लेकर कनाडा जा रहे थे. हालांकि एक खबर के मुताबिक आज यानी 27 सितंबर से कनाडा ने भारत से आने वाली डायरेक्ट फ्लाइट पर लगी रोक को हटा दिया है.
इसी तरह, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने नागरिकों को भारत की यात्रा करने को लेकर चेतावनी जारी कर दी थी, और इसके साथ ही देश में गैर-आप्रवासी यात्रियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं और विशेष रियायतें दी जा रही हैं. उदाहरण के लिए, भारत और कुछ अन्य देशों के छात्र अमेरिका में प्रवेश कर सकते हैं यदि वे National Interest Exception के लिए आवेदन करते हैं. वहां वैलिड F-1 और M-1 वीजा वाले छात्रों को अपने प्रोग्राम शुरू होने से 30 दिन पहले देश में प्रवेश करने की अनुमति है.
अधिकांश भारतीय छात्र अपनी मास्टर डिग्री के लिए विदेशों में जाते हैं. परीक्षा रद्द होना आदि उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है. पढ़ाई की शुरुआत के समय फीस और रहने के खर्च के भुगतान में उन्हें काफी पैसा खर्च करना पड़ता है, लेकिन अब यात्रा प्रतिबंधों की वजह से उन्हें ऑनलाइन स्टडी करना पड़ रहा है. इसके अलावा, महामारी के मद्देनजर भारत में परीक्षाएं रद्द होने से स्टूडेंट्स के सामने विदेशों में स्नातक अध्ययन के लिए क्वालिफाई होने में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है. अगर छात्रों को ग्रेड नहीं दिया जाएगा तो वे आवेदन के मानदंडों को पूरा कैसे कर पाएंगे. स्थिति ऐसी है कि बिना परीक्षा के ही स्टूडेंट्स को अगली कक्षा में प्रमोट किया जा रहा है. वे विदेश में पढ़ाई के लिए भी नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि उन लाखों नए बच्चों के लिए क्या हमारे पास बुनियादी ढ़ांचा है, जहां वे अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई जारी रख सकें.
ट्रैवल एजेंटों की भूमिका
महामारी के दौरान, छात्रों को ट्रैवल एजेंटों का काफी सहयोग मिल रहा है. महामारी के प्रकोप ने ट्रैवल एजेंट सेवाओं की मांग में भारी बढ़ोतरी की है. वे अपने ग्राहकों को ना सिर्फ टिकट और आवास संबंधी मदद कर रहे हैं बल्कि वीजा और अपडेटेड ट्रैवल सपोर्ट में भी काफी सहयोग कर रहे हैं. ट्रैवल एजेंटों के पास विभिन्न देशों में यात्रा संबंधी नियम-कानूनों की काफी जानकारी होती है. ऐसे में वे महामारी के बाद की दूनिया में यात्रा करने वालों के लिए एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.
इस महामारी के दौरान, किसी भी तरह की यात्रा की योजना बनाते समय ट्रैवल एजेंट अपने ग्राहकों को जिस तरह भरोसे में लेते हैं, और जिस तरह की सुविधाएं वे अपने ग्राहकों को उपलब्ध करवा रहे हैं, वह कोई छोटी बात नहीं है. ऐसी स्थिति में आने वाले समय में जो स्टूडेंट्स अपने आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, उन्हें ट्रैवल एजेंटों का काफी हद तक सहयोग मिल सकता है. इससे वे किसी भी तरह की परेशानी से बच सकते हैं. ट्रैवल एजेंट्स को आने वाले समय में पढ़ाई के लिए बाहर जाने वाले भारतीय छात्रों को मजबूत ऑनलाइन सर्विस डिलीवरी की सुविधा प्रदान करते हुए देखा जा सकता है.
(लेखक Arun Bagaria, TravClan के को-फाउंडर हैं. ये उनके निजी विचार हैं)