/financial-express-hindi/media/post_banners/osawhydAurNix7f08FPy.jpg)
रिपोर्ट के मुताबिक महामारी से पहले जो महिलाएं कहीं काम करती थी, अक्टूबर 2020 तक उनमें से 87 लाख लोगों के पास काम नहीं था.
जैसे-जैसे कोरोना से होने वाला प्रभाव गहराता जा रहा है, कम आय वर्ग समूह की 27 करोड़ महिलाओं को विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी रिकवरी में दिक्कतें आ रही हैं. यह स्थिति तब भी है जब वे अपने समुदाय में लाइफलाइन के तौर पर और महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर कार्यरत हैं. देश में कम आय वाले परिवारों की महिलाओं पर कोरोना के प्रभाव को लेकर देश के 10 राज्यों में एक अध्ययन किया गया. इन 10 राज्यों में 63 फीसदी कम आय वर्ग वाले परिवार रहते हैं. यह स्टडी एक सोशल इंपैक्ट एडवायजरी ग्रुप डलबेर्ग ने किया जिसके परिणाम सोमवार 5 जुलाई को प्रकाशित हुए. स्टडी में पाया गया कि महामारी के पहले सिर्फ 24 फीसदी कमाने वाली महिलाएं थीं लेकिन महामारी के चलते अभी भी रिकवरी को लेकर जूझने वालों में 43 फीसदी महिलाएं हैं.
87 लाख महिलाओं ने गवां दिया रोजगार
रिपोर्ट के मुताबिक महामारी से पहले जो महिलाएं कहीं काम करती थी, अक्टूबर 2020 तक उनमें से 87 लाख लोगों के पास काम नहीं था यानी उनके रोजगार चले गए. लॉकडाउन के दौरान महिलाओं ने औसतन अपनी दो-तिहाई आय को गंवा दिया. डलबेर्ग एडवाइजर्स और रिपोर्ट लिखने वाली स्वेता तोतापल्ली के मुताबिक कोरोना का महिलाओं पर जो प्रभाव पड़ा है, वह अत्यधिक सदमा पहुंचाने वाला है लेकिन यह आश्चर्यजनक नहीं है. स्वेता के मुताबिक यह स्पष्ट हो चुका है कि महिलाओं को इस संकट से निकालने के लिए सरकार की मदद बहुत जरूरी है.
देश के 10 राज्यों में किया गया सर्वे
यह स्टडी फोर्ड फाउंडेशन, रोहिणी नीलकेणि फिलानथ्रॉपीज और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से की गई. यह रिसर्च पिछले साल 2020 में 20 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच एक टेलीफोनिक सर्वे के जरिए किया गया. सर्वे में 24 मार्च से 31 मई के बीच लगाए गए दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन और जून से लेकर अक्टूबर 2020 के बीच इन महिलाओं की स्थिति को लेकर सवाल-जवाब हुए. सर्वे में देश के 10 राज्यों बिहार, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से लोगों को शामिल किया गया. इन राज्यों में देश के 63 फीसदी कम आय वर्ग के परिवार रहते हैं.