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Gyanvapi Mosque: चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की तोड़फोड की कार्रवाई से मना कर दिया (Photo_ Indian Express)
Supreme Court on Gyanvapi Survey: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया है. इलाहाबद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे करने की अनुमति दी थी. हालांकि कोर्ट ने एएसआई को साफ-साफ कहा है कि सर्वे के दौरान कोई खुदाई नहीं होगी और ढांचे पर किसी तरह का कोई खरोच नहीं लगनी चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि सर्वे पूरी तरह से नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive) होना चाहिए.
कोर्ट ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वे के दौरान किसी भी तरह की तोड़फोड की कार्रवाई से मना कर दिया. पीठ ने एएसआई और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया कि सर्वेक्षण के दौरान कोई खुदाई नहीं की जाएगी और न ही संरचना को कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा. कोर्ट ने कहा, “साइट पर कोई खुदाई नहीं होगी. एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट को हाईकोर्ट को वापस भेजा जाएगा और रिपोर्ट पूरी तरह से सीलबंद लिफाफे में होगा.”
क्यों सुप्रीम कोर्ट गया था मुस्लिम पक्ष
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का जिक्र किया, जो 15 अगस्त, 1947 को मौजूद पूजा स्थल के चरित्र को बदलने से मना करता है. मुस्लिम निकाय के वकील ने पूछा कि क्या अदालत पूरी तरह से "तुच्छ" (frivolous) मुकदमे पर एक सर्वे का आदेश देगी, जिसमें कुछ भी दावा किया गया है. इसपर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जो एक के लिए "तुच्छ" है वह दूसरे पक्ष के लिए विश्वास है. मस्जिद पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एएसआई सर्वेक्षण का इरादा इतिहास में जाने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था और अतीत के घावों को फिर से खोल दिया जाएगा. गौरतलब है कि एक जिला अदालत ने एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण का निर्देश दिया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई थी. इस फैसले को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
क्यों हो रहा है सर्वे?
इलहाबाद हाईकोर्ट ने कल यानी गुरुवार 3 अगस्त को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था. मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के इस फैसले को कल ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दे दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट के निर्णय से पहले भी एएसआई ने सर्वे का काम शुरू कर दिया. इस सर्वेक्षण का मकसद यह पता लगाना है कि 17वीं सदी में ज्ञानवापी मस्जिद बनाए जाने से पहले वहां मंदिर था या नहीं.