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Loan Moratorium: SC ने कहा- पूरी तरह से ब्याज माफी संभव नहीं, लोन मोरेटोरिम की अवधि बढ़ाने से इनकार

SC on Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ब्याज को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता है.

SC on Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ब्याज को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता है.

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FE Online
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SC on Loan Moratorium

SC on Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ब्याज को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता है.

SC on Loan Moratorium: सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले में अपना फैसला सुनाते हुए बैंकों को राहत दी है. वहीं राहत मांग कर रहे रियल स्टेट और कुछ अन्य दूसरी इंडस्ट्री को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ब्याज को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता है. वहीं कोर्ट ने 31 अगस्त के बाद से लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने से भी इनकार कर दिया है. साथ ही कहा कि इन 6 महीनों के मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जा सकता है. अगर किसी बैंक ने ब्याज पर ब्याज लिया है तो उसको लौटाना होगा, इस पर किसी भी तरह की राहत नहीं मिलेगी.

बता दें कि कोरोना संकट के दौरान दी गई ईएमआई चुकाने से छूट के कारण 6 महीनों के दौरान जिन लोगों ने लोन की किस्‍त नहीं चुकाई, उन्‍हें डिफॉल्ट में नहीं डाला गया था. हालांकि, बैंक इन 6 महीनों के ब्याज पर ब्याज वसूल रहे थे.

सरकार को आर्थिक फैसले का अधिकार

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक पूरी तरह से ब्याज माफ नहीं कर सकते क्योंकि वे खाताधारकों और पेंशनरों के लिए उत्तरदायी हैं. सरकार को आर्थिक फैसले लेने का अधिकार है. महामारी के चलते सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. महामारी की वजह से सरकार को टैक्स भी कम मिला है. इसलिए ब्याज पर पूरी तरह से माफी संभव नहीं दिखती है. हम सरकार को पॉलिसी पर निर्देश नहीं दे सकते हैं. जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला सुनाया है.

बैंकों को राहत

इस फैसले से बैंकों को बड़ी राहत मिली है. हालांकि ब्याज माफी की मांग कर रहे रियल एस्टेट सेक्टर और कुछ अन्य इंडस्ट्री को झटका लगा है. कोर्ट ने रियल एस्टेट और बिजली क्षेत्र सहित अलग अलग क्षेत्रों के व्यावसायिक संघों की याचिकाओं पर फैसला सुनाया है. इसमें उन्होंने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लोन मोरेटोरियम को बढ़ाने के अलावा अन्य राहत की मांग की थी. न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

27 मार्च 2020 को लागू हुआ था लोन मोरेटोरियम

बता दें कि आरबीआई ने सबसे पहले 27 मार्च 2020 को लोन मोरटोरियम लागू किया था. इसके तहत 1 मार्च 2020 से लेकर 31 मई 2020 तक ईएमआई चुकाने से राहत दी गई थी. हालांकि, बाद में आरबीआई ने इसे बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 कर दिया था. आरबीआई ने सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि लोन मोरटोरियम को 6 महीने से ज्यादा समय के लिए बढ़ाने पर इकोनॉमी पर बुरा असर होगा.

केंद्र सरकार की क्या थी दलील

पिछली सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट को यह भी बताया था कि सभी वर्गो को अगर ब्याज माफी का लाभ दिया जाता है तो बैंकों पर 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ेगा. अगर बैकों को यह बोझ सहना पड़े तो उन्हें अपनी कुल नेट एसेट का एक बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ेगा. ऐसे में अधिकांश कर्ज देने वाले बैंक को भारी वित्तीय नुकसान होगा. यहां तक कि कुछ के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाएगा.

Supreme Court Rbi