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पालोनजी मिस्त्री को वर्ष 2016 में देश के तीसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया.
Pallonji Mistry Passes Away: Tata Group के सबसे बड़े इंडिविजुअल शेयरहोल्डर और शापूरजी पालोनजी समूह के प्रमुख पालोनजी मिस्त्री का सोमवार की रात निधन हो गया. कंपनी के अधिकारियों ने मंगलवार 28 जून को यह जानकारी दी है. कंपनी के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पालोनजी मिस्त्री ने 93 वर्ष की उम्र में दक्षिण मुंबई के अपने आवास पर अंतिम सांस ली. पालोनजी मिस्त्री को वर्ष 2016 में देश के तीसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था. फोर्ब्स की ताजा सूची के मुताबिक दुनिया के अमीरों में वे 143वें नंबर पर थे.
157 साल पुराना ग्रुप है कि शापूरजी पालोनजी ग्रुप
पलोनजी मिस्त्री शापूरजी पालोनजी ग्रुप के प्रमुख होने के साथ ही साथ टाटा ग्रुप के सबसे बड़े इंडिविजुअल शेयरहोल्डर भी थे. उनके पास टाटा ग्रुप की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में शुमार शापूरजी पालोनजी ग्रुप की स्थापना 1865 में हुई थी और इसकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह इंजीनियरिंग व कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल एस्टेट, पानी, ऊर्जी और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करता है. इसका कारोबार भारत के अलावा एशिया से लेकर अफ्रीका तक करीब 50 देशों में फैला हुआ है. इसी ग्रुप ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और मुंबई के होटल ताज की बिल्डिंग का निर्माण किया है.
पालोनजी मिस्त्री के पास आयरलैंड की नागरिकता थी
पालोनजी मिस्त्री का जन्म भारत के एक पारसी परिवार में हुआ था. वर्ष 2003 में आयरलैंड की एक महिला से शादी करने के बाद आयरिश नागरिक हो गए थे. हालांकि उनका अधिकतर समय भारत में ही बीता. उनके परिवार में उनकी पत्नी और चार बच्चे- शापूर मिस्त्री, सायरस मिस्त्री, लैला और अल्लू हैं. पालोनजी मिस्त्री का जन्म 1929 में हुआ था और उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा मुंबई में हुई. उच्च शिक्षा के लिए वह लंदन के इंपीरियल कॉलेज चले गए. वह 18 साल की उम्र में अपने पिता के साथ पारिवारिक कारोबार से जुड़े और 1970 के दशक में इसका विस्तार अबूधाबी, दुबई और कतर में किया.
पालोनजी मिस्त्री के बेटे हैं सायरस मिस्त्री
कुछ समय पहले सायरस मिस्त्री और टाटा ग्रुप के बीच लंबे समय तक कानूनी लड़ाई चली थी. सायरस मिस्त्री पालोनजी मिस्त्री के बेटे हैं. मामला यह था कि सायरस मिस्त्री वर्ष 2012 में रतन टाटा के बाद टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे और 2016 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया. टाटा ग्रुप का कहना था कि यह फैसला ग्रुप की बेहतरी के लिए था लेकिन शापूरजी पालोनजी ग्रुप के मुताबिक यह कंपनी के सिद्धांतों के खिलाफ था और इसे घात लगाकर किया गया हमला बताया. एनसीएलएटी में इस मसले पर सायरस मिस्त्री को जीत हासिल हुई लेकिन इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने पर फैसला टाटा ग्रुप के हक में आया.