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उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के दोनों गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण पर अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं.
Thackeray vs Shinde: उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के दोनों गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण पर अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं. इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने दोनों गुटों को अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक डॉक्यूमेंट्स जमा कराने को कहा है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों से दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा गया है, जिनमें पार्टी की विधायी और संगठनात्मक इकाइयों से समर्थन का पत्र और विरोधी गुटों के लिखित बयान शामिल हैं. चुनाव चिह्न को लेकर दावा इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्य निर्वाचन अयोग को दो हफ्ते के भीतर स्थानीय निकायों के चुनावों को अधिसूचित करने का निर्देश दिया था. महाराष्ट्र में बीएमसी समेत कई नगर निकायों में चुनाव होने हैं.
दोनों गुटों ने आयोग को लिखा था पत्र
इस हफ्ते शिवसेना के शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न उसे देने का अनुरोध किया था. शिंदे गुट ने इसके लिए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में उसे मिली मान्यता का हवाला दिया था. आयोग ने पिछले दो दिनों में दोनों गुटों द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों के आदान-प्रदान के भी निर्देश दिए हैं. वहीं उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले शिवसेना के गुट ने भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावे से जुड़े किसी भी आवेदन पर फैसला लेने से पहले उसका पक्ष सुने.
पिछले महीने दो गुटों में बंट गई थी शिवसेना
शिवसेना पिछले महीने तब दो धड़ों में बंट गई थी, जब उसके दो-तिहाई से अधिक विधायकों ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार से बगावत कर दी थी और शिंदे का समर्थन किया था. शिंदे ने 30 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोग से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. बीते मंगलवार को लोकसभा में शिवसेना के 18 में से कम से कम 12 सांसदों ने सदन के नेता विनायक राउत के प्रति अविश्वास जताया था और राहुल शेवाले को अपना नेता घोषित किया था. लोकसभा अध्यक्ष ने उसी दिन शेवाले को नेता के तौर पर स्वीकृति दे दी थी.
(इनपुट: पीटीआई)