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उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच शिवसेना पर वर्चस्व को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई हैं.
Thackeray vs Shinde: देश की सबसे बड़ी अदालत में महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करने वाले एक अहम मामले की सुनवाई चल रही है. शिवसेना के 15 विधायकों की सदस्यता से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि शिवसेना और उसके बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाएं कई संवैधानिक सवाल उठाती हैं और ऐसे में इस मामले को बड़ी पीठ को भेजे जाने की जरूरत है. इसका मतलब हुआ कि यह मामला 5 जजों की पीठ में भेजा जा सकता है. अभी इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता में जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही है. यह पीठ महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से जुड़ी पांच लंबित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.
Supreme Court says the issues in petitions may require reference to a 5-judge bench. Speaker will maintain the status quo and not decide on any disqualification applications.
— ANI (@ANI) July 20, 2022
Supreme Court also tells the Legislative Assembly secretary to keep all records in safe custody.
मामले की अगली सुनवाई एक अगस्त को
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने विभिन्न पक्षों को 27 जुलाई तक ऐसे मुद्दे तैयार करने को कहा, जिन पर बड़ी पीठ को विचार करने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह सहमति बनी है कि कुछ मुद्दों को जरूरत पड़ने पर एक बड़ी पीठ के पास भी भेजा जा सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए पक्षों को मुद्दों को तैयार कर अगले बुधवार तक इसे दाखिल करने का मौका दिया है. अब इस मामले की सुनवाई एक अगस्त को होगी. कोर्ट ने स्पीकर से यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है और किसी भी विधायक के खिलाफ अयोग्यता आवेदन पर फैसला लेने पर रोक लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने विधान सभा सचिव को सभी तथ्यों को सेफ कस्टडी में रखने को भी कहा है.
दोनों पक्षों ने रखे अपने तर्क
ठाकरे गुट की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि जब यह मामला उच्चतम न्यायालय में था तो महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नयी सरकार को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी. सिब्बल ने कहा कि पार्टी द्वारा बनाए गए आधिकारि व्हिप के अलावा किसी अन्य व्हिप को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मान्यता दिया जाना दुर्भावनापूर्ण है. सिब्बल ने कहा कि वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट की पैरवी कर रहे हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कोई नेता पार्टी के भीतर ही समर्थन (बहुमत) जुटाता है और बिना पार्टी छोड़े (नेतृत्व से) सवाल करता है तो यह यह दलबदल नहीं है. साल्वे ने कहा कि अगर पार्टी में बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि किसी अन्य नेता को नेतृत्व करना चाहिए, तो इसमें क्या गलत है. साल्वे ने कुछ मुद्दों पर जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की.
कितनी अहम है यह याचिका?
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच शिवसेना पर वर्चस्व को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई हैं. शिदे गुट का दावा है कि उनके पास शिवसेना के दो तिहाई विधायक हैं और 12 सांसद भी उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं तो शिवसेना उनकी है. हालांकि उद्धव ठाकरे के समर्थक इस दावे को खारिज कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में 15 विधायकों की सदस्यता रद्द करने से जुड़ी याचिका के आधार पर महाराष्ट्र सरकार का भविष्य तय होगा.
सुनवाई के एक दिन पहले ठाकरे गुट को लगा बड़ा झटका
एक दिन पहले यानी कल 19 जुलाई को संसद में एकनाथ शिंदे गुट को मान्यता मिल चुकी है. लोकसभा अध्यक्ष ओम प्रकाश बिरला ने राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दे दी है. पार्टी के 12 सांसदों ने बिरला से मुलाकात कर पार्टी नेता बदलने का आग्रह किया था.
ईडी के सामने आज फिर पेश होंगे राउत
उद्धव ठाकरे के लिए एक और मुश्किल खड़ी हुई है. केंद्रीय एजेंसी ईडी ने शिवसेना सांसद संजय राउत को मुंबई की एक चॉल के पुनर्विकास में कथित अनियमितताओं और उनकी पत्नी व सहयोगियों के वित्तीय लेनदेन से जुड़े मनी लांड्रिंग के एक मामले में फिर से पूछताछ के लिए आज बुलावा भेजा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. राज्यसभा सदस्य राउत उद्धव ठाकरे खेमे का हिस्सा हैं.
राउत ने किसी भी अनियमितताओं से इनकार किया है और आरोप लगाया कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के कारण निशाना बनाया जा रहा है. इस मामले में एक जुलाई को राउत से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की गई थी. ईडी ने अप्रैल में जांच के तहत राउत की पत्नी वर्षा राउत और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया था.