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Shardiya Navratri 2022 : सोमवार से शुरु हो रहा शारदीय नवरात्र का महापर्व, जानिए शुभ मुहूर्त, योग, व्रत और महत्व

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्र की शुरुआत नक्षत्रों के शुक्ल और ब्रह्म दो बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग के साथ हो रही है.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्र की शुरुआत नक्षत्रों के शुक्ल और ब्रह्म दो बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग के साथ हो रही है.

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FE Hindi Desk
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नवरात्र के पहले दिन घरों में माता की प्रतिमा, कलश स्थापना के साथ ही जौ बोए जाने की परंपरा है. (Source: Pixabay)

Shardiya Navratri 2022 : सोमवार से देश में शारदीय नवरात्र का महापर्व शुरू हो रहा है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अगले नौ दिनों तक नवरात्र का महापर्व मनाया जाएगा. मातृ शक्ति को समर्पित ये नवरात्र सनातन संस्कृति का एक बहुत ही पवित्र त्यौहार है. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. हर नवरात्र मां के एक स्वरूप को समर्पित होता है. इन नौ दिनों में भक्त माता के पूजन और उपासना में लीन रहते हैं. हिन्दू संस्कृति के अनुसार नवरात्र के दिनों में व्रत और उपवास किया जाता है. इस दौरान घरों में सिर्फ सात्विक भोजन बनाया जाता है. इन दिनों में शराब, अंडा, मांस के साथ ही प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल वर्जित हो माना जाता है.

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प्रतिमा और कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 

पहले नवरात्र के दिन घरों में माता की प्रतिमा, कलश स्थापना के साथ ही जौ बोए जाने की परंपरा है. सनातन संस्कृति में कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त के नहीं होता है. ऐसे में माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में किया जाना अनिवार्य है. प्रतिमा और कलश की स्थापना का अमृत मुहूर्त सुबह 6.22 बजे से 7.53 बजे तक रहेगा. कलश स्थापना के लिए 9.23 से 10.53 के बीच के समय को भी शुभ है. वहीं कलश के लिए अभिजीत मुहूर्त 11.59 से 12.47 बजे रहेगा.

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दुर्लभ शुभ नक्षत्र योग के साथ शुरू हो रहे हैं नवरात्र 

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कल से शुरू हो रहे नवरात्र में नक्षत्रों का दो बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. इस बार नवरात्र की शुरूआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है. 25 सितंबर को सुबह 9.06 बजे से 26 सितंबर को सुबह 8.06 बजे तक शुक्ल योग बन रहा है, जबकि 26 सितंबर को सुबह 8.06 बजे से 27 सितंबर को सुबह 6.44 बजे तक ब्रह्म योग के बना रहेगा.

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साल में पांच बार आते हैं नवरात्र के पर्व

आमतौर पर लोगों को लगता है कि नवरात्र एक साल में सिर्फ दो बार आते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. शास्त्रों के अनुसार एक साल में दो नहीं, बल्कि पांच बार नवरात्र आते हैं. इनमें से दो नवरात्र को प्रत्यक्ष नवरात्र और तीन को गुप्त नवरात्र कहा जाता है. ये नवरात्र चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ महीने में आते हैं. इन पांच में से दो नवरात्रों के बारे में तो सभी जानते हैं, जबकि बाकी तीन नवरात्रों के बारे में आम तौर लोगों को कोई जानकारी ही नहीं है. इन गुप्त नवरात्रों में सिद्धि प्राप्त करने वाले साधु संतों द्वारा विशेष पूजा व अनुष्ठान किये जाते हैं.

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