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कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) उदय कोटक ने बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) को अहम सुझाव दिए हैं.
कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) उदय कोटक (Uday Kotak) ने बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) को अहम सुझाव दिए हैं. उनका कहना है कि हाई इन्फ्लेशन (Inflation) का मुकाबला करने के लिए आरबीआई को इस साल के अंत तक बेंचमार्क ब्याज दरों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी करने की जरूरत है. कोटक के मुताबिक महंगाई दर की मौजूदा हालत के चलते 1% की बढ़ोतरी के बाद ही वास्तविक ब्याज दर 0% हो पाएगी. कोटक ने सुझाव दिया कि केंद्रीय बैंक इस वित्त वर्ष में चार बार दरों में बढ़ोतरी कर सकता है, जिसमें प्रत्येक में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.
ब्याज दरों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी क्यों है जरूरी
उदय कोटक ने ट्वीट करते हुए कहा है कि आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए भारत की मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2023 में 5.7% होगी, जो कि पहले 4.5 फीसद थी. पहले वित्त वर्ष 2023 के चौथी तिमाही में इन्फ्लेशन के 5.1 फीसदी होने का अनुमान था. वर्तमान में रेपो रेट 4 फीसदी है. अगर भारत को 0% रियल रेट यानी इन्फ्लेशन – इंटरेस्ट रेट = 0 की ओर बढ़ना है, तो हमें दरों में 1% की बढ़ोतरी करनी होगी. इसका मतलब है कि दरों में प्रत्येक तिमाही में 0.25% वृद्धि करने की जरूरत है.
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RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
वित्तीय वर्ष 2023 की अपनी पहली मॉनिटरी पॉलिसी में आरबीआई ने रेपो रेट को 4% पर और रिवर्स रेपो रेट (Reverse repo rate) को 3.35 फीसदी पर बरकरार है. हालांकि, आरबीआई ने यूक्रेन-रूस युद्ध को ध्यान में रखते मौजूदा वित्त वर्ष में इन्फ्लेशन के अनुमान को 5.7 फीसदी कर दिया है. आरबीआई ने यह भी कहा कि यह अनुमान तेल की कीमतों को 100 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए जारी किया गया है.
उदय कोटक ने आरबीआई की घोषणा के बाद कहा कि आरबीआई के पूरे वर्ष के लिए मुद्रास्फीति में 120 आधार अंकों की वृद्धि और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत मुद्रास्फीति के अनुमान के आधार पर, भारत को रियल इंटरेस्ट रेट 0 प्रतिशत की ओर बढ़ने की आवश्यकता है. रियल इंटरेस्ट रेट किसी निवेश या लोन पर भुगतान किए गए ब्याज की परचेजिंग पॉवर वैल्यू (Purchasing Power Value) को दर्शाती है और बॉरोअर व लेंडर की टाइम- प्रीफरेंस रेट को रिप्रेजेंट करती है.
(Article: Aakriti Bhalla)