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कांग्रेस ने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए हैं.
यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों को देश वापस लाने के मामले में मोदी सरकार की अब तक की कोशिशों और तैयारियों पर कांग्रेस पार्टी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. देश के मुख्य विपक्षी दल ने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी और कर्नाटक के दिग्गज बीजेपी नेता अरविंद बल्लाड द्वारा इस गंभीर मसले पर दिए गए विवादित बयानों की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें संवेदनहीनता की सारी हदें पार करने वाला बताया है. कांग्रेस ने आज इस मसले पर एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी सरकार पर चौतरफा हमला किया. पार्टी ने सरकार से मांग की है कि वो यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने का इंतजाम जल्द से जल्द करे.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा, "कांग्रेस पार्टी जानना चाहती है कि यूक्रेन में भारत के कितने छात्र-छात्राएं आज भी फंसे हुए हैं? वो छात्र-छात्राएं कौन से इलाके में फंसे हैं? कितने बच्चे बमबारी वाले इलाकों में फंसे हैं, कितने बॉर्डर पर पहुंच गए और कितने बॉर्डर पार कर चुके हैं? उन बच्चों के माता-पिता के साथ-साथ भारत के तमाम नागरिक इस बेसिक जानकारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस जानकारी को देश के सामने रखें."
सरकार बताए युद्ध में घिरे बच्चों को निकालने की क्या योजना है : कांग्रेस
उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री हंगरी, पोलैंड, रोमानिया में बैठे हैं, लेकिन बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं. ऐसे में सरकार को ये बताना चाहिए कि युद्ध क्षेत्र में फंसे बच्चों तक पहुंचने के लिए उसने क्या योजना बनाई है? भारत सरकार को भारतीय छात्रों का इवैकुएशन प्लान देश के साथ साझा करना चाहिए. भारत जैसी महाशक्ति को अपने बच्चों को बचाने में इस तरह लाचार देखना बेहद दुख की बात है.
बच्चों के पास खाना-पानी तक नहीं, क्या कर रही है सरकार?
कांग्रेस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत यूक्रेन में फंसे छात्रों का एक वीडियो दिखाकर की, जिसमें छात्र उन मुश्किल हालात का ब्योरा दे रहे हैं, जिनका उन्हें सामना करना पड़ रहा है. वीडियो दिखाने के बाद कांग्रेस प्रवक्ताओं ने सवाल किया कि अगर यूक्रेन में फंसे बच्चों के पास खाना और पीने का पानी तक नहीं है, तो हमारी सरकार क्या कर रही है? सरकार ने अपने दूतावासों और संपर्कों के जरिए क्या इतना भी इंतजाम नहीं किया कि हमारे छात्रों को वहां कम से कम खाना-पानी मिल जाए?
LIVE: Congress Party Briefing by Dr. @drshamamohd & Shri Gurdeep Sappal at the AICC HQ. https://t.co/barVhy87MZ
— Congress (@INCIndia) March 4, 2022
गुरदीप सप्पल ने कहा कि भारतीय छात्र मुश्किल हालात और खतरों का सामना करते हुए किसी तरह पोलैंड, हंगरी और रोमानिया के बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं. लेकिन वहां पहुंचने के बाद भी उन्हें बॉर्डर पार करने में ही डेढ़ दिन का वक्त लग जा रहा है. क्या भारत सरकार इतना भी नहीं कर सकती कि जो बच्चे अपने आप किसी तरह वहां पहुंच रहे हैं, उन्हें जल्द से जल्द सीमा पार करा दी जाए? सरकार के मंत्री बॉर्डर के उस पार फूल-मालाएं लेकर खड़े हैं, लेकिन बच्चे सरहद पार करके उन तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि हमारे यूक्रेन के साथ लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं, फिर भी सरकार वहां फंसे छात्रों की इतनी सी मदद क्यों नहीं कर पा रही है?
हमारे छात्रों के लिए सेफ पैसेज का इंतजाम क्यों नहीं : कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपतियों से लगातार फोन पर संपर्क में हैं. फिर भी भारतीय छात्रों के लिए सेफ पैसेज का इंतजाम क्यों नहीं हो पा रहा है? देश जानना चाहता है कि ऐसा करने में क्या दिक्कत आ रही है. गुरदीप सप्पल ने कहा कि एक तरफ रूस के राष्ट्रपति कहते हैं कि यूक्रेन की सेना ने हमारे छात्रों को बंधक बनाया है. दूसरी तरफ हमारी सरकार कहती है कि ऐसा कुछ नहीं है. हमारी सरकार दोनों देशों के संपर्क में है और दोनों से हमारे अच्छे संबंध हैं. पंडित नेहरू के जमाने से दुनिया में भारत की मजबूत हैसियत रही है, दबदबा रहा है. उसका इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों, अपने नागरिकों के लिए सेफ पैसेज का इंतजाम क्यों नहीं कर पा रहे? उन्हें बमबारी के बीच यहां-वहां भटकना क्यों पड़ रहा है?
हेल्पलाइन तक ठीक से काम नहीं कर रही : कांग्रेस
गुरदीप सप्पल ने कहा कि हम सबने देखा है, यूक्रेन में फंसे बच्चों के ऐसे वीडियो लगातार आते रहे हैं कि भारत सरकार और दूतावासों की तरफ से जो हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं, उन्हें कोई उठाता नहीं है. अगर उठा लिया, तो जवाब नहीं मिलता या फिर उठाकर काट दिया जाता है. बच्चों का कहना है कि हेल्पलाइन पर किसी से बात हो पाने में ही डेढ़-दो दिन लग जाते हैं. वहां युद्ध हो रहा है, लगातार बम गिर रहे हैं. ऐसे में हेल्पलाइन तक पहुंचने में ही डेढ़ दिन लग जाना हैरानी की बात है. सूचना तकनीक के इस दौर में, जब हम आईटी सुपरपावर हैं, क्या इतना भी नहीं किया जा सकता कि हेल्पलाइन के जरिए कम से कम छात्रों की तकलीफ, उनकी आवाज ही हम तक पहुंच जाए? इतनी व्यवस्था करने में भी सरकार क्यों विफल रही है?
बीजेपी नेताओं के बयान संवेदनहीनता की पराकाष्ठा : कांग्रेस
कांग्रेस ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भाजपा के कुछ मंत्रियों और नेताओं के बयानों पर भी तीखा हमला किया. गुरदीप सप्पल ने कहा कि बीजेपी के नेताओं-मंत्रियों ने लगातार जिस तरह की बयानबाजी की है, वो संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. जनरल वीके सिंह यूक्रेन में छात्रों को गोली लगने, उनकी मृत्यु होने पर कहते हैं 'युद्ध क्षेत्र में तो ऐसा होता है.' ये क्या बात है? ये कोई हमारा युद्ध नहीं है. हमारे तो दोनों देशों से अच्छे संबंध हैं. फिर भला हमारे बच्चों को यह सब क्यों भुगतना पड़ रहा है? हमारी सरकार इस स्थिति को ये कहकर नॉर्मलाइज़ नहीं कर सकती कि युद्ध क्षेत्र में तो ऐसा होता है. जीवन का अधिकार हमारे नागरिकों का मौलिक अधिकार है और उसकी रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है.
एडवायजरी भी ठीक से जारी नहीं की गई : कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने कहा कि वीके सिंह कहते हैं, 'हमने एडवायज़री जारी कर दी थी, उसकी मियाद निकल गई. अब बच्चे किसी भी तरह वहां पहुंच जाएं, जहां हम बता रहे हैं. वहां से हम ले लेंगे.' ये बात भी सरासर गलत है. 15 फरवरी को जो एडवायजरी जारी हुई थी, उसमें कहा गया था कि यूक्रेन में रहने वाले जिन भारतीयों के पास कोई जरूरी काम नहीं है, वे चाहें तो अस्थायी तौर पर वापस आ सकते हैं. अब इन शब्दों का क्या अर्थ निकाला जा सकता है? इसके बाद सरकार ने 2 मार्च को डेढ़ बजे जो एडवायजरी जारी की, उसमें कहा कि खारकीव में रहने वाले छात्र किसी भी तरह शाम 6 बजे तक पिसोशिन, बाबये और बेज्ल्युदोवका में से किसी एक जगह पर पहुंच जाएं. लेकिन यह किसी ने नहीं बताया कि वहां तक पहुंचें कैसे? फिर भी छात्र किसी तरह गोलाबारी के बीच पैदल चलकर पिसोशिन पहुंचे, लेकिन वहां सरकार या एंबेसी की तरफ से कोई मौजूद ही नहीं था. ये कोई पबजी का गेम नहीं है, जिसमें आप बमबारी के बीच में आराम से पहुंच जाएंगे. फिर भी जब बच्चे जान जोखिम में डालकर पहुंचे तो वहां कोई इंतजाम नहीं था. ये बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ है.
बीजेपी नेता ने मृतक छात्र की गरिमा का हनन किया : कांग्रेस
गुरदीप सप्पल ने कहा कि ऐसे गंभीर संकट के समय में भी कर्नाटक बीजेपी के बड़े नेता अरविंद बलाड बेहद संवेदनहीनता भरे बयान दे रहे हैं. वे कहते हैं कि यूक्रेन में गोलाबारी में जान गंवाने वाले छात्र नवीन का शव सरकार इसलिए नहीं ला पा रही, क्योंकि डेडबॉडी विमान में ज्यादा जगह घेरती है! इससे शर्मनाक बयान देश में पहले कभी किसी ने नहीं दिया होगा. आज ये हालत हो गई है कि बीजेपी के नेता अपने एक छात्र की विदेश में मृत्यु हो जाने के बाद उसकी गरिमा का भी हनन कर रहे हैं. ऐसा शर्मनाक बयान देने वाले अरविंद बलाड के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
प्रह्लाद जोशी ने भी दिया संवेदनहीन बयान : कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रह्लाद जोशी पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री भी बेहद असंवेदनशील बयान दे रहे हैं. वे कहते हैं कि जो बच्चे देश में फेल हो जाते हैं, वे मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन चले जाते हैं. उन्हें नहीं पता कि भारतीय बच्चे यूक्रेन इसलिए जाते हैं, क्योंकि देश के प्राइवेट कॉलेजों में मेडिकल कोर्स की फीस डेढ़-दो करोड़ रुपये तक हो गई है. इसीलिए वो मजबूरी में वहां जाते हैं, क्योंकि वहां फीस कम होती है. ऊंची फीस की वजह से सामान्य परिवारों के बच्चे बेहतर अंक पाने के बाद भी देश के अच्छे निजी कॉलेजों में एडमिशन नहीं ले पाते, जबकि पैसे वाले छात्र कम नंबर पाकर भी अच्छे कॉलेजों में एडमिशन करवा लेते हैं. केंद्रीय मंत्री को नहीं पता कि यूक्रेन भी नीट (NEET) के आधार पर ही एडमिशन देता है. देश में नीट की परीक्षा पास करने के लिए सिर्फ 18 फीसदी नंबर हासिल करने होते हैं. जबकि जिस मेधावी छात्र नवीन की मृत्यु हुई वो 97 फीसदी नंबर लाने वाला बच्चा था. इस तरह के संवेदनहीन बयानों की कांग्रेस पार्टी कड़ी निंदा करती है.
छात्रों को ही कसूरवार बताने की कोशिश : कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के लोग, बीजेपी के लोग अब प्रचार कर रहे हैं कि संकट इसलिए हुआ क्योंकि छात्रों ने ठीक से प्लानिंग नहीं की. सवाल यह है कि क्या सरकार ने प्लानिंग की थी? आज जो वायुसेना के जहाज भेज रहे हैं, क्या वे दस दिन पहले नहीं भेज सकते थे? जिस सरकार के पास सारे संसाधन और संपर्क हैं, वो वक्त रहते प्लानिंग नहीं कर पाई और कहा जा रहा है कि बच्चे प्लानिंग कर लेते! यह और कुछ नहीं, सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश है.