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Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन संकट को वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा, कच्चे तेल की महंगाई पर जताई चिंता

वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि कच्चे तेल की कीमत कहां जाएगी. FSDC की आज हुई बैठक में भी हमने उन चुनौतियों पर गौर किया जिससे देश की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को खतरा है.

वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि कच्चे तेल की कीमत कहां जाएगी. FSDC की आज हुई बैठक में भी हमने उन चुनौतियों पर गौर किया जिससे देश की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को खतरा है.

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Ukraine situation, crude prices posing challenge to financial stability: Sitharaman

रूस-यूक्रेन संकट और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भारत में वित्तीय स्थिरता के लिये चुनौती है.

Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन संकट और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भारत की वित्तीय स्थिरता के लिए चुनौती है. यह कहना है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का. सीतारमण ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि दोनों मुद्दों पर फाइनेंशियल स्टेबिलिटी डेवलपमेंट काउंसिल (FSDC) की बैठक में चर्चा हुई है. इस काउंसिल में फाइनेंशियल सेक्टर के सभी रेगुलेटर शामिल हैं. कच्चे तेल की कीमतें मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब आठ साल बाद 100 डॉलर (7473.61 रुपये) के करीब पहुंच गईं.

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हालात चिंताजनक : सीतारमण

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दो दिन के दौरे पर मुंबई आईं वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह कहना मुश्किल है कि कच्चे तेल की कीमत कहां जाएगी. FSDC की आज हुई बैठक में भी हमने उन चुनौतियों पर गौर किया जिनसे देश की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को खतरा है. कच्चा तेल उनमें से एक है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हालात चिंताजनक है. हमने यूक्रेन में बन रहे हालात के कूटनीतिक समाधान पर ज़ोर दिया है.’’

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मंगलवार को ब्रेंट क्रूड 96 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया. देश की इस पर नजर है. उन्होंने ने कहा कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां खुदरा कीमतों पर फैसला करेंगी. सीतारमण ने कहा कि जियो पॉलिटिकल तनाव का व्यापार पर असर नहीं पड़ा है लेकिन सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है. हम इस बात को लेकर सतर्क हैं कि निर्यातकों पर इन सबका असर नहीं पड़े.

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LIC के आईपीओ पर वित्त मंत्री ने क्या कहा

वित्त मंत्री ने जीवन बीमा निगम (LIC) के आईपीओ (IPO) की टाइमलाइन पर किए गए सवालों को टाल दिया. उन्होंने कहा कि 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस आईपीओ के लिये बीमा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एलआईसी ने सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल किया है. इसके बाद से बाजार में इसको लेकर चर्चा और रुचि है. सरकार इस संबंध में कदम बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में सामने आई खामियों पर भी सरकार की नज़र है.

(इनपुट-पीटीआई)

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