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केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर 2020 में शहरों में सबसे अधिक बेरोजगार 15-29 साल के युवा रहे.
Unemployment Rate: कोरोना के चलते बेरोजगारी में तेजी से बढ़ोतरी हुई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई से सितंबर 2020 में शहरों में बेरोजगारी दर बढ़कर 13.3 फीसदी हो गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 8.4 फीसदी पर थी. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MoSPI) द्वारा सोमवार को जारी तिमाही पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) से यह खुलासा हुआ है. हालांकि इससे पूर्व की तिमाही अप्रैल-जून 2020 तिमाही में यह इससे भी अधिक 20.9 फीसदी पर था. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च 2020 में बेरोजगारी दर 9.1 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर 2019 में 7.9 फीसदी, जुलाई-सितंबर 2019 में 8.4 फीसदी और अप्रैल-जून 2019 में 8.9 फीसदी था.
युवाओं में सबसे अधिक रहे बेरोजगारी दर
- केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर 2020 में शहरों में सबसे अधिक बेरोजगार 15-29 साल के युवा रहे. जुलाई-सितंबर 2020 में 15-29 वर्ष के लोगों की शहरी बेरोजगारी दर 27.7 फीसदी रही जोकि जुलाई-सितंबर 2019 में 20.6 फीसदी और अप्रैल-जून 2020 में 34.7 फीसदी पर थी.
- जुलाई-सितंबर 2020 में महिलाओं की बेरोजगारी दर 15.8 फीसदी रही जोकि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 9.7 फीसदी अधिक है. हालांकि अप्रैल-जून 2020 में यह 21.2 फीसदी पर था.
- शहरी पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर की बात करें तो जुलाई-सितंबर 2020 में यह 12.6 फीसदी पर थी जोकि जुलाई-सितंबर 2019 में 8 फीसदी और अप्रैल-जून 2020 में 20.8 फीसदी पर थी.
- सर्वे के मुताबिक जुलाई-सितंबर 2020 में Labour Force Participation Rate 31 फीसदी रही जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 36.8 फीसदी पर था. अप्रैल-जून 2020 में यह 35.9 फीसदी पर था.
- Workforce Participation Rate जुलाई-सितंबर 2020 में 32.1 फीसदी पर रहा जोकि जुलाई-सितंबर 2019 में 33.7 फीसदी पर था. अप्रैल-जून 2020 में यह 28.4 फीसदी पर रहा.
इस तरह माना जाता है किसी शख्स को बेरोजगार
शहरी इलाकों के लिए बेरोजगारी के आंकड़े वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS- करेंट वीकली स्टेटस) के आधार पर तिमाही आधार पर जारी किए जाते हैं और यह सालाना पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट से अलग होती है जिसमें गांवों व शहरों दोनों की रोजगार स्थिति को शामिल किया जाता है. सीडब्ल्यूएस से सर्वे अवधि के दौरान 7 दिनों की छोटी अवधि में बेरोजगारी का एक औसत आंकड़ा मिल जाता है. इसके तहत अगर किसी शख्स को हफ्ते भर में किसी दिन एक घंटे के लिए भी काम नहीं मिलता है लेकिन वह कार्य करने के लिए उपलब्ध था तो उसे बेरोजगार माना जाता है.
(Indian Express)