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पिछले महीने गांवों में काम की कमी की चलते बेरोजगारी दर बढ़ी.
Unemployment Rate rises in October: रोजगार को लेकर स्थिति बेहतर नहीं हो पा रही है. पिछले महीने अक्टूबर में देश में बेरोजगारी दर में फिर से बढ़ोतरी हुई. यह स्थिति तब है जब मासिक आधार पर अक्टूबर में शहरों में बेरोजगारी दर में 124 बेसिस प्वाइंट्स (1.24) फीसदी की गिरावट आई. पिछले महीने गांवों में काम की कमी की चलते बेरोजगारी दर बढ़ी. गांवों में बेरोजगारी दर एकाएक 175 बेसिस प्वाइंट्स (1.75 फीसदी) बढ़ी.
बेरोजगारी से जुड़े ये आंकड़े प्राइवेट सेक्टर थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने जारी किए हैं. इसके मुताबिक अक्टूबर में बेरोजगारी 7.75 फीसदी की दर से बढ़ी जबकि एक महीने पहले यह आंकड़ा 6.86 फीसदी था.
गांवों में चार महीने के शिखर पर बेरोजगारी दर
अक्टूबर में शहरों में बेरोजगारी बढ़ने की दर तीन महीने के निचले स्तर 7.38 फीसदी पर पहुंच गई जबकि गांवों में यह आंकड़ा चार महीने के ऊंचे स्तर 7.91 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि प्राइवेट सेक्टर थिंक टैंक द्वारा जारी आंकड़ों में कितने लोगों के रोजगार गए, इसकी जानकारी नहीं मिली है लेकिन बेरोजगारी दर में उछाल का मतलब है कि पिछले महीने बड़ी संख्या में कई लोगों के पास कोई काम नहीं रहा.
रोजगार को लेकर CMIE का पूर्वानुमान गलत साबित
अगस्त के मुकबाले सितंबर में बेरोजगारी 146 बेसिस प्वाइंट्स गिरकर 6.86 फीसदी हो गई थी और इस दौरान करीब रोजगार के 85 लाख मौके बढ़े. सितंबर में 40.62 करोड़ लोगों के पास रोजगार था जो मार्च 2020 के बाद से सबसे अधिक रहा. हालांकि यह आंकड़ा अभी भी कोरोना से पहले के स्तर के मुकाबले कम है जब 40.89 करोड़ लोगों के पास रोजगार थे.
बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी ने सीएमआईई के पूर्वानुमानों को गलत साबित किया है. सीएमआईई के एमडी व सीईओ महेश व्यास ने पिछले महीने एक आर्टिकल में लिखा था कि फेस्टिव सीजन के दौरान आने वाले महीनों में रोजगार के मौके बढ़ सकते हैं. प्राइवेट थिंक टैंक के मुताबिक रिटेल ट्रेड इंडस्ट्री में भी रोजगार के मौके बढ़ सकते हैं और इसके बड़े आकार को देखते हुए अनुमान लगाया गया था कि इसमें रोजगार के मौके बढ़ने पर ओवरऑल एंप्लॉयमेंट पर सकारात्मक असर पड़ेगा.