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नए वित्त वर्ष 2019—20 के लिए 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश किया जाएगा. इस फरवरी यह केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किया गया 6ठां और आने वाले इलेक्शन से पहले मौजूदा केन्द्र सरकार का आखिरी बजट होगा.
यूनियन बजट सरकार के फाइनेंसेज की एक डिटेल्ड रिपोर्ट होती है. इसमें एक वित्त वर्ष के लिए सभी सोर्सेज से आने वाले रेवेन्यु, हर एक्टिविटी पर सरकार द्वारा किए जाने वाला खर्च सभी का विवरण होता है. बजट आम से लेकर खास आदमी हर किसी पर प्रभाव डालता है. इसे समझने के लिए इसमें इस्तेमाल किए गए कुछ खास टर्म जानना और उन्हें समझना बेहद जरूरी है. आइए बताते हैं ऐसे ही 10 बजट टर्म्स के बारे में—
सालाना फाइनेंशियल स्टेटमेंट
सालाना फाइनेंशियल स्टेटमेंट बजट का सबसे महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट होता है. संविधान के आर्टिकल 112 के तहत सरकार को हर वित्त वर्ष के लिए रेवेन्यु और खर्च का एक अनुमानित स्टेटमेंट पेश करना होता है. इसे ही सालाना फाइनेंशियल स्टेटमेंट कहते हैं. यह तीन हिस्सों में बंटा होता है— कंसोलिडेटेड फंड, कंटीन्जेंसी फंड और पब्लिक अकाउंट. इन तीनों के लिए सरकार को रेवेन्यु और खर्च का अलग—अलग स्टेटमेंट देना होता है.
कंसोलिडेटेड फंड आॅफ इंडिया
इसमें केन्द्र सरकार द्वारा जुटाया गया कुल रेवेन्यु, कर्ज पर ली गई धनराशि और सरकार द्वारा दिए गए लोन से आई राशि शामिल होती है. कंटीन्जेंसी फंड और पब्लिक अकाउंट से पूरे किए गए कुछ असाधारण खर्चों को छोड़कर सरकार के सभी खर्च इस अकाउंट से पूरे होते हैं.
कंटीन्जेंसी फंड आॅफ इंडिया
देश में अचानक आई किसी इमर्जेन्सी में खर्च की पूर्ति के लिए राष्ट्रपति इस फंड के जरिए किसी एग्जीक्यूटिव या सरकार को एडवांस दे सकने में सक्षम होते हैं.
कट मोशन
यह एक वीटो पावर है, जो लोकसभा मेंबर्स के पास होती है. इसके जरिए वे सरकार द्वारा पेश किए गए फाइनेंशियल बिल में की गई मांगों में कटौती करवा सकते हैं. कट मोशन की मदद से इकोनॉमिक ग्राउंड या किसी पॉलिसी मैटर पर मतों में भिन्नता आधार पर किसी अमाउंट को कम कराया जा सकता है.
राजकोषीय या वित्तीय घाटा
जब सरकार की आय उसके खर्च से कम रहती है, तो इसे वित्तीय घाटा कहते हैं. इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ता है.
फाइनेंस बिल
यूनियन बजट के तुरंत बाद फाइनेंस बिल पेश किया जाता है. इसमें बजट में प्रस्तावित टैक्सेज को लगाए जाने, उनमें बदलाव किए जाने, खत्म किए गए टैक्स और उनसे जुड़े नियमों का ब्यौरा होता है.
पब्लिक अकाउंट
पब्लिक अकाउंट को भारतीय संविधान के आर्टिकल 266(1) के प्रावधानों के तहत गठित किया गया है. इसका संबंध उन सभी फंड्स से है, जिनके लिए सरकार एक बैंकर के तौर पर काम करती है. उदाहरण के लिए प्रोविडेंट फंड और स्मॉल सेविंग्स. हालांकि सरकार का इस पैसे पर कोई अधिकार नहीं होता है क्योंकि यह डिपॉजिटर्स को वापस कर दी जाती है. पब्लिक अकाउंट के फंड से खर्च को संसद से मंजूरी की जरूरत नहीं होती है.
रेवेन्यु बजट
इसमें सरकार के पास आए रेवेन्यु और खर्च का ब्यौरा होता है. हासिल हुआ रेवेन्यु टैक्स और नॉन—टैक्स रेवेन्यु में बंटा होता है. टैक्स रेवेन्यु में इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, एक्साइज, कस्टमस, सर्विस व अन्य तरह के सरकार द्वारा लिए जाने वाले टैक्स व ड्यूटी शामिल होते हैं. नॉन टैक्स रेवेन्यु के सोर्स में सरकार द्वारा दिए गए लोन पर हासिल होने वाला इंट्रेस्ट, इन्वेस्टमेंट पर डिविडेंड शामिल होता है.
रेवेन्यु डेफिसिट
रेवेन्यु डेफिसिट यानी राजस्व घाटा सरकार को हासिल हुए रेवेन्यु के कम और रेवेन्यु खर्च के ज्यादा होने पर होता है.
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