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उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जायेगी. Image: PTI
Union Budget 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार 1 फरवरी को अपने वादे का ‘अलग हटके’ बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जायेगी. साथ ही स्वास्थ्य सेवा, इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिये जाने की भी उम्मीद की जा रही है. यह एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का नौवां बजट होने वाला है.
यह बजट ऐसे समय पेश हो रहा है, जब देश कोविड-19 संकट से बाहर निकल रहा है. इसमें व्यापक रूप से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिये उदार आवंटन, औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिये नियमों को आसान किये जाने की उम्मीद की जा रही है.
Budget 2021 Live News Updates: बजट का लाइव अपडेट्स
सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में चमड़े के पारंपरिक ब्रीफकेस को बदल दिया था और लाल कपड़े में लिपटे ‘बही-खाते’ के रूप में बजट दस्तावेजों को पेश किया था. उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट इस तरीके का होगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह बजट कोरोना महामारी की वजह से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को वापस जोड़ने की शुरुआत होगा. उनका यह भी कहना है कि इस बजट को महज बही-खाते अथवा लेखा-जोखा या पुरानी योजनाओं को नये कलेवर में पेश करने से अलग हटकर होना चाहिये.
Union Budget 2021: बजट टीम के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, 1 फरवरी को पेश करेंगी बजट 2021-22
मिनी बजट्स से नहीं किया जा सकता रिप्लेस
विशेषज्ञ चाहते हैं कि यह बजट कुछ इस तरीके का हो, जो भविष्य की राह दिखाये और दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाये. सोच-समझकर तैयार किया गया बजट भरोसा बहाल करने में लंबी दौड़ का घोड़ा साबित होता है. इसे सितंबर 2019 में पेश मिनी बजट या 2020 में किस्तों में की गयी सुधार संबंधी घोषणाओं से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है. सीतारमण के पहले बजट के पेश होने के महज दो महीने बाद सितंबर 2019 कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती की गयी थी.
सरकार को अर्थव्यवस्था उठाने के लिए निभानी है अहम भूमिका
अभी बड़े स्तर पर अर्थशास्त्रियों की आम राय है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में सात से आठ फीसदी की गिरावट आने वाली है. यदि ऐसा होता है तो यह विकासशील देशों के बीच सबसे खराब प्रदर्शन में से एक होगा. सरकार को अर्थव्यवस्था को गर्त से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. अब महामारी कम संक्रामक होने के लक्षण दिखा रही है और टीकाकरण कार्यक्रम में धीरे—धीरे प्रगति हो रही है. यह एक बेहतर भविष्य की आशा को बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसे में एक स्थायी आर्थिक पुनरुद्धार के लिये नीतिगत उत्प्रेरक की जरूरत होगी. यहीं पर यह बजट विशेष प्रासंगिक हो जाता है.