/financial-express-hindi/media/media_files/main-budget-blog-3.jpg)
Govt Revenue : सरकार ने FY25 के लिए 31.29 ट्रिलियन रुपये का रेवेन्यू हासिल करने और 780 बिलियन रुपये का कैपिटल रिसिप्ट का बजट रखा है. (Image : FE)
Fiscally Prudent Budget : बजट में अर्थव्यवस्था के अलग अलग सेक्टर में संसाधनों के बेहतर तरीके से डिस्ट्रीब्यूशन ठीक उसी तरह से था, जैसे कि कोई टीम बेस्ट 11 चुनकर वर्ल्ड कप क्रिकेट जीत सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 7वीं बार भारत के विकसित भारत 2047 के विजन को ध्यान में रखते हुए यह बजट पेश किया है. कई बाधाओं के बावजूद, केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजटीय फिस्कल डेफिसिट जीडीपी के 4.9 फीसदी के साथ फिस्कल प्रूडेंस का मार्ग जारी रखा है, जो फरवरी 2024 में इंटरिम बजट के समय अनुमानित 5.1 फीसदी से कम था. इसके अलावा 1 लाख करोड़ रुपये के आरबीआई डिविडेंड का उपयोग आंशिक रूप से फिस्कल डेफिसिट को कम करने और आंशिक रूप से रेवेन्यू एक्सपेंडिचर को बढ़ाने के लिए किया गया था.
इनकम टैक्स 16.1% बढ़ने का अनुमान
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 10.5 फीसदी रहने की धारणा के साथ बजट के आंकड़े कुछ कन्जर्वेटिव दिखते हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में टैक्स रेवेन्यू भी वित्त वर्ष 2023-24 के प्रोविजनल एक्चुअल से 11 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. इसलिए, टैक्स में उछाल पर विचार भी कुछ कन्जर्वेटिव दिखता है. इस तरह, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बजट के नंबर्स भरोसेमंद हैं. साथ ही कॉर्पोरेट टैक्स का अनुमान 10.2 ट्रिलियन रुपये लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान से 10.5 फीसदी की ग्रोथ दिखाता है. FY24RE के दौरान इनकम टैक्स 16.1 फीसदी बढ़ने का अनुमान है.
सरकार के रेवेन्यू में आएगा उछाल
सरकार ने FY24-25 के लिए 31.29 ट्रिलियन रुपये का रेवेन्यू हासिल करने और 780 बिलियन रुपये का कैपिटल रिसिप्ट का बजट रखा है. इसके अलावा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कुल एक्सपेंडिचर इंटरिम बजट में 47.7 ट्रिलियन रुपये से बढ़कर फुल बजट में 48.2 ट्रिलियन रुपये हो गया है. कैपेक्स को इंटरिम बजट के समान स्तर 11.11 ट्रिलियन रुपये पर सीमित किया गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 17 फीसदी की ग्रोथ है. साथ ही फिस्कल डेफिसिट भी 16.8 ट्रिलियन रुपये से घटकर 16.1 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है.
विकसित भारत का लक्ष्य
सरकार ने अपने बजट में विकसित भारत के लक्ष्य के तहत कैपेक्स के लिए राज्यों को लोन के रूप में विशेष सहायता के रूप में 1.5 ट्रिलियन रुपये अलॉट किए हैं. इसके अलावा सरकार का लक्ष्य उत्पादकता को बढ़ावा देकर एग्रीकल्चर को बूस्ट देने पर है. बजट में एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजना शुरू करके और तनाव की अवधि के दौरान क्रेडिट सहायता प्रदान करके मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेज (विनिर्माण और सेवाओं) को सहायता प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है.
केंद्र सरकार अपने फिस्कल डेफिसिट को मुख्य रूप से डेटेड सिक्योरिटी को जारी करके फाइनेंस करती है. आरबीआई से 1 ट्रिलियन रुपये के डिविडेंड ने सरकार को कुछ हद तक अपने फिस्कल डेफिसिट को पूरा करने में मदद की. बजट में 1.40 ट्रिलियन रुपये के शुरुआती कैश बैलेंस की कमी का अनुमान लगाया गया है.
गोल्ड इंपोर्ट पर ड्यूटी घटाई
बजट में सोने और चांदी पर आयात शुल्क में कटौती की घोषणा की गई है. FY23-24 के लिए करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) जीडीपी का 0.7 फीसदी दर्ज किया गया था, जिससे सरकार को इन टैक्स को कम करने के लिए आत्मविश्वास मिला है, क्योंकि भारत के लिए बाहरी संतुलन नियंत्रण में दिख रहा है. इसके अलावा मजबूत सर्विसेज एक्सपोर्ट भी समर्थन प्रदान कर रहा है.
सॉवरेन रेटिंग हो सकती है अपग्रेड
सरकार का वित्त वर्ष 2026 में फिस्कल डेफिसिट को 4.5 फीसदी से नीचे रखने का लक्ष्य है और उधारी में कमी से सॉवरेन रेटिंग अपग्रेड हो सकती है. जैसा कि हाल ही में एसएंडपी ने संकेत दिया था, जब उसने भारतीय सॉवरेन रेटिंग के आउटलुक को पॉजिटिव में अपग्रेड किया था. ग्लोबल इंडेक्स में शामिल होने, आकर्षक यील्ड, स्थिर मैक्रो और मजबूत जीडीपी ग्रोथ के साथ भारतीय बांड मार्केट, विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बना हुआ है. यह वित्त वर्ष 2025 और उसके बाद फिक्स्ड इनकम मार्केट के लिए अच्छा संकेत है.
लेखक : दीपक अग्रवाल, सीआईओ-डेट, कोटक महिंद्रा एएमसी