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मोदी सरकार के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गर्भवती बिलकीस बानो का गैंगरेप करने और उसकी तीन साल की बच्ची समेत 14 लोगों का सामूहिक नरसंहार करने वाले सभी 11 गुनाहगारों को जेल से रिहा किए जाने का बचाव किया है. (PTI/File)
मोदी सरकार के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गर्भवती बिलकीस बानो का गैंगरेप करने और उसकी तीन साल की बच्ची समेत 14 लोगों का सामूहिक नरसंहार करने वाले सभी 11 गुनाहगारों को सजामाफी देकर जेल से रिहा करने का बचाव किया है. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इन अपराधियों की रिहाई को कानून के मुताबिक बताते हुए कहा है कि उन्हें इस फैसले में कुछ भी गलत नहीं लगता. जोशी के इस बयान के एक दिन पहले सोमवार को ही गुजरात सरकार ने इस बात का खुलासा किया था कि बिलकीस बानो के गुनाहगारों की रिहाई के फैसले में केंद्र सरकार की सहमति भी शामिल थी, जबकि सीबीआई और मुंबई के सेशन्स कोर्ट ने इसका विरोध किया था.
गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान न्यूज चैनल से बोले जोशी
एनडीटीवी के मुताबिक प्रह्लाद जोशी ने बिलकीस बानो केस के सभी 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा, "मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता, क्योंकि सब कुछ कानून की प्रक्रिया के मुताबिक किया गया." उन्होंने जोर देकर कहा कि जेल में लंबा समय गुजारने के बाद सभी सजायाफ्ता मुजरिमों की रिहाई का प्रावधान कानून में मौजूद है. लिहाजा, यह फैसला कानून के मुताबिक ही किया गया. प्रह्लाद जोशी ने यह बात गुजरात में अपनी पार्टी बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार के दौरान न्यूज़ चैनल से हुई बातचीत में कही.
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रिहाई का फैसला केंद्र की सहमति से : गुजरात सरकार
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि उसने बिलकीस बानों केस के सभी 11 गुनाहगारों को रिहा करने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि वे जेल में 14 साल की सजा काट चुके थे और सजा के दौरान उनका व्यवहार अच्छा था. राज्य सरकार ने हलफनामे में यह भी बताया है कि गैंगरेप और सामूहिक नरसंहार करने वाले इन गुनाहगारों की रिहाई का यह फैसला केंद्र सरकार की सहमति और अप्रूवल के साथ ही किया गया था. गुजरात सरकार ने यह हलफनामा बिलकीस बानो के 11 गुनाहगारों की रिहाई के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दाखिल किया है. लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा, पत्रकार रेवती लाल, सीपीएम नेता सुभाषिनी अली और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
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स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने किया था विरोध : हलफनामा
गुजरात सरकार के हलफनामे में यह भी बताया गया है कि बिलकीस बानो के गुनाहगारों की जल्द रिहाई का सीबीआई के एसपी, मुंबई की स्पेशल क्राइम ब्रांच और ग्रेटर बॉम्बे सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के स्पेशल सिविल जज (सीबीआई) ने विरोध किया था. जिन 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने इस साल 15 अगस्त को रिहा किया है, उन्हें 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान गर्भवती बिलकीस बानो का गैंगरेप करने और उसकी 3 साल की मासूम बच्ची समेत 14 लोगों की जघन्य हत्या करने का दोषी पाए जाने के बाद 2008 में उम्रकैद की सजा दी गई थी.
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रिहाई के बाद दोषियों का हुआ था फूलमालाओं से स्वागत
बेहद घृणित अपराध करने वाले इन दोषियों को सजामाफी देकर रिहा करने का फैसला गुजरात सरकार की बनाई जेल एडवाइजरी कमेटी (JAC) ने सर्वसम्मति से किया था. रिहाई के बाद इन गुनाहगारों का स्वागत मिठाई खिलाकर और फूलमालाएं पहनाकर किया गया था. जिसके बाद से ही इस फैसले की बड़े पैमाने पर आलोचना हो रही है. यहां तक कि बीजेपी के कुछ नेता भी इसे गलत बता चुके हैं. लेकिन अब गुजरात में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच पहले गुजरात सरकार के हलफनामे और अब केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के बयान ने इस मुद्दे को फिर से हवा दे दी है.