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उत्तर प्रदेश में निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिकों को किसी दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में आर्थिक मदद हो सके, इसके लिए यूपी सरकार चिकित्सा सुविधा योजना चलाती है. इस योजना के तहत 3000 रुपये तक की सरकारी मदद का प्रावधान है. चूंकि ये श्रमिक दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते हैं, इसलिए बीमारी या दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में वे मजदूरी हासिल नहीं कर सकते. ऐसे में इस योजना से उन्हें कुछ हद तक आर्थिक राहत मिलती है.
यूपी सरकार की इस चिकित्सा योजना के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को सामान्य बीमारी व चोट लगने की स्थिति में साल में एक बार सरकार की ओर से चिकित्सा सुविधा की धनराशि मिलती है. यूपी चिकित्सा सुविधा योजना के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिक के परिवार को एक इकाई मानकर चोट लगने या बीमारी की स्थिति में एकमुश्त 3000 रुपये उनके बैंक खाते में दिए जाते हैं.
अगर पति-पत्नी दोनों पंजीकृत हैं तो पैसे पत्नी के बैंक खाते में आएंगे. ऐसे पंजीकृत निर्माण श्रमिक जो अविवाहित हैं या उनके परिवार में अन्य कोई सदस्य नहीं हैं, उनके बैंक खाते में 2000 रुपये की धनराशि दी जाती है. चिकित्सा योजना का लाभ साल में केवल एक ही बार लिया जा सकता है.
पात्रता
इस योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत प्रत्येक श्रमिक पात्र है. उसका पंजीकरण यानी रजिस्ट्रेशन अपडेटेड/रिन्यूड होना चाहिए. अगर पति/पत्नी व आश्रित बेटा/बेटी निर्माण श्रमिक के रूप में पंजीकृत हैं तो परिवार को एक इकाई मानकर चिकित्सा सुविधा योजना के तहत एकमुश्त धनराशि दी जाती है. परिवार से आशय पति-पत्नी और अवयस्क बेटे या अविवाहित बेटियों समेत श्रमिक पर आश्रित माता-पिता से है. इसके लिए लाभार्थी का आधार कार्ड और किसी नेशनल बैंक की CBS शाखा में खाता होना अनिवार्य है.
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आवेदन की प्रक्रिया
चिकित्सा योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को श्रम विभाग के श्रेत्रीय/जनपदीय कार्यालय या तहसील स्तर पर श्रम प्रवर्तन अधिकारी के कार्यालय में संलग्न प्रारूप (अटैच्ड फॉर्मेट) में आवेदन करना होगा. एप्लीकेशन के साथ ये दस्तावेज भी लगाने होंगे-
- किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की CBS शाखा में खुलवाए गए खाते की खाता संख्या (बैंक पासबुक के संबंधित पृष्ठ की स्व-प्रमाणित यानी सेल्फ अटेस्टेड फोटोकॉपी). अगर पति व पत्नी दोनों पंजीकृत श्रमिक हैं तो पत्नी की बैंक खाता संख्या
- मोबाइल नंबर. व्यक्तिगत न होने की स्थिति में ऐसा मोबाइल नंबर, जिस पर श्रमिक से संपर्क किया जा सके.
- आधार कार्ड की स्व-प्रमाणित कॉपी. पति-पत्नी दोनों के श्रमिक होने के मामले में दोनों के आधार कार्ड की कॉपी
आवदेन स्वीकृत होने की प्रक्रिया
श्रमिक द्वारा किए गए आवेदन को संबंधित श्रेत्र का अपर/उप/सहायक श्रमायुक्त स्वीकृत करेगा. वहीं जिन जिलों के प्रभारी श्रम प्रवर्तन अधिकारी हैं, वहां यह स्वीकृति श्रम प्रवर्तन अधिकारी द्वारा दी जाएगी.
प्राप्त आवेदन की 15 दिन में जांच कर संबंधित अधिकारी मंजूरी दे देंगे. इसके बाद मंजूरी श्रमिक सूची पर उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की मंजूरी ली जाएगी. बोर्ड की मंजूरी के एक सप्ताह के अंदर यह लिस्ट जारी होगी और उसके बाद बोर्ड चिकित्सा योजना की धनराशि लाभार्थी के बैंक खाते में एक सप्ताह के अंदर कर देगा.