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गोद में बच्चा लिए शख्स पर यूपी पुलिस ने भांजी लाठियां, वीडियो वायरल होने पर विपक्ष ही नहीं अपनों के भी निशाने पर आई योगी सरकार

पुलिसवालों की संवेदनहीनता का वीडियो वायरल होने और विपक्ष के बढ़ते हमलों के बीच यूपी पुलिस ने मामले की जांच का एलान किया.

पुलिसवालों की संवेदनहीनता का वीडियो वायरल होने और विपक्ष के बढ़ते हमलों के बीच यूपी पुलिस ने मामले की जांच का एलान किया.

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Uttar Pradesh Row as man holding child in arms lathicharged in Kanpur; police promises action

कानपुर देहात में एक आम नागरिक के साथ ज्यादती को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं.

कानपुर देहात में एक आम नागरिक के साथ ज्यादती को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं. गोद में छोटे बच्चे को संभाल रहे शख्स पर पुलिस लाठियां भांजी. इस दौरान पुलिस के उग्र रूप से डरकर बच्चा रोता बिलखता रहा और उसे गोद में लिया शख्स लगातार बच्चे को बचाने की कोशिश करता नजर आया. उसने पुलिस वालों से ये गुहार भी लगाई कि लाठी न चलाएं बच्चे को चोट लग जाएगी, लेकिन पुलिस वालों पर कोई असर नहीं पड़ा. इतना ही नहीं, कुछ पुलिस वालों ने रोते-बिलखते बच्चे को उस शख्स के हाथ से जबरन खींचकर छीनने की कोशिश भी की.

यूपी पुलिस के इस बर्बरता भरे बर्ताव का वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा. विपक्ष ने भी इस मसले को जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया. युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने घटना का वीडियो साझा करते हुए सवाल किया कि  "योगी जी, इस मासूम की चीखें आपको सोने कैसे दे रही है?"

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वीडियो वायरल होने पर कानुपर देहात के अकबरपुर नगर के जिला अस्पताल के पास की ये घटना बड़े पुलिस अफसरों की जानकारी में भी आई. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि कानपुर देहात के एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) घनश्याम चौरसिया भी इस मामले में पुलिसिया कार्रवाई का बचाव भी करते नजर आए. ट्विटर पर जारी वीडियो बयान में उन्होंने यहां तक कह दिया कि पुलिस ने उस बच्चे की सुरक्षा का प्रयास किया था. चौरसिया का कहना है कि जिला अस्पताल में एक ग्रेड-4 कर्मचारी रजनीश शुक्ल ने 100-150 लोगों के साथ मिलकर जबरन ओपीडी बंद कराया और अस्पताल कर्मियों व रोगियों के साथ गलत व्यवहार किया. रजनीश शुक्ला ने एसएचओ पर हमला भी किया, जिसके बाद उपद्रवियों को हटाने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया.

एएसपी का कहना है कि गोद में बच्चा लिए जिस शख्स पर पुलिस ने लाठियां भांजी वो हंगामा करने वाले रजनीश शुक्ल का भाई है. लेकिन वायरल वीडियो को देखने पर ऐसा कहीं नहीं लगता कि बच्चा लिए शख्स भीड़ के साथ मिलकर हंगामा कर रहा है, वीडियो में वह अकेला ही दिख रहा है और चारों तरफ से पुलिस वालों से घिरा हुआ है. ऐसे में अगर पुलिस उसे हिरासत में लेना चाहती थी तो बिना लाठी बरसाए भी ऐसा कर सकती थी. हालांकि चौरसिया पुलिस की हरकत को तरह-तरह से जायज ठहराने के बाद मामले की जांच की बात भी करते हैं.

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विपक्ष का योगी सरकार पर हमला

इस मामले को लेकर विपक्षी पार्टियों ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजीव राय ने कहा कि यह योगी सरकार की क्रूरता की एक झलक है. उन्होंने यूपी डीजीपी और एडीजी कानपुर को टैग करते हुए लिखा है कि अगर यूपी पुलिस में थोड़ी सी भी लज्जा और मानवता बची हो तो तत्काल इस जाहिल गुंडा दरोग़ा को गिरफ्तार करो.

विपक्ष ही नहीं खुद बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने भी इस मामले में तीखी टिप्पणी की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कमजोर से कमजोर व्यक्ति को न्याय मिल सके. यह नहीं कि न्याय मांगने वालों को न्याय के स्थान पर इस बर्बरता का सामना करना पड़े, यह बहुत कष्टदायक है. भयभीत समाज कानून के राज का उदाहरण नहीं है. सशक्त कानून व्यवस्था वो है जहां कानून का भय हो, पुलिस का नहीं.

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा

विपक्ष के हमले और सोशल मीडिया पर बढ़ते दबाव के बीच यूपी पुलिस ने आखिरकार इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई करने का बयान जारी किया. इस बयान में यूपी पुलिस ने माना वायरल वीडियो में पुलिसकर्मियों ने जो संवेदनहीनता दिखाई है, उसे जायज नहीं ठहराया जा सकता. एडीजी जोन कानपुर को मामले की जांच करके दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.

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