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मामले में 15 अक्टूबर को हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो चुकी है.
Gyanpapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले को लेकर वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र पाण्डेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. 8 नवंबर को कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है. ज्ञानवापी मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ की अतंरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह की ओर से कोर्ट में दायर याचिका में ज्ञानवापी परिसर को हिन्दुओं को सौंपे जाने की मांग की गई थी. 8 नवंबर को कोर्ट के फैसले से यह तय हो जाएगा कि भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान का केस सुनने योग्य है या नहीं. मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस 15 अक्टूबर को ही पूरी हो चुकी है.
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हिंदू पक्ष की दलील
इससे पहले 15 अक्टूबर को हिन्दू पक्ष ने दलील देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मंदिर है या मस्जिद ये तो ट्रायल से ही पता चलेगा. हिन्दू पक्ष ने दावा किया है कि सर्वे से साफ है कि ज्ञानवापी में पिलर और फाउंडेशन मंदिर का है. हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में दलील दी कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने और उसकी जगह पर मस्जिद बनवाने का आदेश दिया था. इसलिए वक्फ बोर्ड एक्ट हिंदुओं पर लागू नहीं होगा और ऐसे में यह वाद सुनवाई योग्य है. इसके साथ ही हिन्दू पक्ष ने दलील दी है कि राइट टू प्रॉपर्टी के तहत देवताओं को अपनी प्रॉपर्टी पाने का मौलिक अधिकार है. भगवान की प्रॉपर्टी को माइनर मानते हुए वाद मित्र के जरिये क्लेम किया जा सकता है.
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मुस्लिम पक्ष की दलील
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने दलील दी है कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है. द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए ज्ञानवापी को वक्फ की संपत्ति बताया है.