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प्रदेश के 7,884 मतदान केन्द्रों पर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे के बीच वोट डाले जाएंगे.
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है. प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए कल यानी 12 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि इन चुनाव के नतीजों का एलान 8 दिसंबर को किया जाएगा. प्रदेश में यह चुनाव एक चरण में पूरा किया जाएगा. इस चुनाव में सभी राजनीतिक दल अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. भाजपा की मानें तो वह इस चुनाव में पिछली बार के मुकाबले ज्यादा वोटों से जीत कर इतिहास रचेगी, जबकि कांग्रेस प्रदेश की चुनावी परंपरा को देखते हुए अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नज़र आ रही है.
7,884 मतदान केन्द्रों पर होगी वोटिंग
कल प्रदेश के 7,884 मतदान केन्द्रों पर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे के बीच वोट डाले जाएंगे. चुनाव आयोग की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक लाहौल स्पीति जिले के स्पीति क्षेत्र में काजा के ताशीगंग में 15,256 फीट की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ स्थापित किया है. यहां पर 52 वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. हिमाचल प्रदेश में पिछले चार दशकों के विधानसभा चुनावों पर नज़र डाले, तो प्रदेश की जनता किसी भी सरकार को दोबारा मौका नहीं देती है. इसका मतलब है कि हर बार प्रदेश में अलग-अलग सियासी दल सरकार बनाते हैं.
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68 सीटों के लिए 55 लाख वोटर देंगे अपना वोट
शनिवार को प्रदेश के 55 लाख वोटर 68 विधानसभा सीटों के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह और पूर्व भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती समेत अलग-अलग सियासी दलों के कुल 412 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद कर देंगे.
पीएम मोदी के चेहरे के भरोसे है भाजपा
इस बार भी भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. इसके लिए पीएम मोदी ने हिमाचल प्रदेश की जनता से भाजपा को वोट देने की अपील की है. तो वहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के प्रत्याशियों के लिए कई चुनावी रैलियां की हैं.
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कांग्रेस के लिए खास है चुनाव
तो दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाल रखा है. कांग्रेस के लिए यह चुनाव जीतना कई मायनो में बहुत जरूरी है. क्योंकि इस बार पार्टी की कमान गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति के हाथ में हैं. कांग्रेस में करीब 24 सालों के बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बना है. वहीं राहुल गांधी पार्टी को मजबूत करने के लिए भारत जोड़ों यात्रा निकाल रहे हैं. पिछले दो सालों में हुए चुनावों पर नज़र डालें, तो कांग्रेस को करीब नौ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है. इनमें पश्चिम बंगाल, केरल, असम, पुडुचेरी, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर शामिल हैं.