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विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि भारत में कोरोना महामारी एंडेमिसिटी (Endemicity) फेज में प्रवेश कर सकता है.
Covid-19 Pandemic Endemicity Phase: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में कोरोना महामारी एक तरह से एंडेमिक (Endemic) फेज में प्रवेश कर सकती है. किसी महामारी के एंडेमिक फेज़ में प्रवेश करने का मतलब है कि अब वह इंफेक्शन हमेशा के लिए खत्म होने वाला नहीं है, हमें उसके साथ ही जीना पड़ेगा. लेकिन स्वामीनाथन के मुताबिक राहत की बात यह है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अब सामान्य से लेकर मॉडेरेट तक रह सकता है. भारत में कुछ महीने पहले जितनी बड़ी संख्या में कोरोना के केस आ रहे थे, वैसा दोबारा होने के आसान नहीं हैं.
WHO की मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि भारत में कोरोना महामारी का फैलाव कितना होगा, यह जनसंख्या के वितरण और लोगों की प्रतिरोधक क्षमता से तय होगा. जिन इलाकों में लोगों का वैक्सीनेशन कम हुआ है, वहां अगले कुछ महीनों में इसके मामलों में बढ़ोतरी दिख सकती है.
महामारी के Endemic बन जाने का मतलब क्या है
डॉ सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक कोई महामारी उस समय एंडेमिक की हालत में पहुंच जाती है जब उसके पूरी तरह खत्म होने की संभावना नहीं रहती. ऐसे में लोगों को हमेशा के लिए उस इंफेक्शन के साथ ही जीना पड़ता है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक एपिडेमिक (Epidemic) यानी महामारी के विपरीत इस फेज में सभी लोगों को संक्रमण होने खतरा कम रहता है.
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एंडेमिक फेज पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
दूसरी लहर आने से पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना का Pandemic फेज़ समाप्त हो रहा है और अब धीरे-धीरे हम Endemic फेज़ की तरफ बढ़ रहे हैं. जैन ने स्वाइन फ्लू का उदाहरण देते हुए कहा कि 10 साल पहले दिल्ली में स्वाइन फ्लू बड़ा खतरा था लेकिन अब हर साल कुछ ही मामले आते हैं. इसी तरह कोरोना पूरी तरह से जाने वाला नहीं है. हमें इसके साथ ही जीना होगा और लोगों को मास्क पहनना जारी रखना होगा. हालांकि 1 अप्रैल से दिल्ली में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी होने लगी. 1 अप्रैल को जहां इसके 2720 नए मामले सामने आए थे, वहीं अगले 10 दिनों में हर दिन 10 हजार नए केस सामने आने लगे. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक एलएनजीपी के मेडिकल डायरेक्टर समेत कई विशेषज्ञों का मानना है कि एक से दो साल के भीतर कोरोना महामारी पूरी दुनिया में एंडेमिक फेज में पहुंच जाएगी.
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महामारी पूरी तरह समाप्त नहीं होती?
पिछले कुछ दशकों में जितनी भी बीमारियों के रोगाणुओं ने लोगों को प्रभावित किया है, वे पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं बल्कि किसी न किसी रूप में मौजूद रहे हैं. इन्हें पूरी तरह से समाप्त करना असंभव है. मलेरिया जैसी बीमारियां मानव सभ्यता के विकास के साथ ही चली आ रही है और अभी भी मौजूद है. इसी प्रकार टीबी, खसरा, कुष्ठ रोग और इबोला वायरस, मेर्स, सार्स व सार्स-कोवी-2 (कोरोना) भी हैं. यहां तक कि प्लेग भी हर दशक में वापस लोगों को प्रभावित करती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिर्फ स्मॉलपॉक्स ही है, जिसे बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के जरिए समाप्त किया जा सका है.
डेल्टा वैरिएंट का खतरा बरकरार
इम्यूनोलॉजिस्ट योनाटन ग्रैड के मुताबिक कोरोना महामारी के एंडेमिक बनने का मतलब है कि पर्याप्त लोगों ने इसके प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेंगे. उनके अंदर या तो वैक्सीनेशन के जरिए या संक्रमण के जरिए यह क्षमता विकसित होगी. इस प्रकार संक्रमण की दर में गिरावट आएगी. हालांकि डेल्टा वैरिएंट जैसे नए वैरिएंट्स के चलते अभी ‘Heard Immunity’ पाना संभव नहीं लग रहा है.