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H3N2 Influenza : क्या है H3N2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण?, कैसे फैलती है दूसरों में ये बीमारी?

H3N2 इन्फ्लूएंजा का दूसरा नाम हॉन्ग-कॉन्ग फ्लू (Hong Kong flu) है. इन्फ्लूएंजा ए वायरस (Influenza A virus) का सब-टाइप H3N2 इन्फ्लूएंजा है.

H3N2 इन्फ्लूएंजा का दूसरा नाम हॉन्ग-कॉन्ग फ्लू (Hong Kong flu) है. इन्फ्लूएंजा ए वायरस (Influenza A virus) का सब-टाइप H3N2 इन्फ्लूएंजा है.

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FE Hindi Desk
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H3N2 Influenza

H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस की चपेट में आने से मरीज को सांस संबधी परेशानियों का समना करना पड़ सकता है.

What is H3N2 Influenza and How to Stay Safe: देश में H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस की चपेट में आने से दो लोगों की जान जाने की खबर सामने आ रही है. H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण पहली मौत की खबर कर्नाटक और दूसरी हरियाणा से बताई गई है. ये भी कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस की तरह देश में H3N2 के मामलों में तेजी बढ़ रहे है. अब तक देश में H3N2 इन्फ्लूएंजा से जुड़े कुल 90 मामले सामने भी आ चुके हैं. कोविड-19 जैसे लक्षणों वाला एक वायरल संक्रमण पूरे देश में तेजी से फैल रहा है. H3N2 इन्फ्लूएंजा लोगों में बड़ी आसानी से फैलता है और इस वायरस ने अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ा दी है. तो आइए जानते हैं H3N2 इन्फ्लूएंजा क्या है? और इससे सुरक्षित कैसे रहें इस बारे में यहां जानकारी दी गई है.

क्या है H3N2 इन्फ्लूएंजा?

H3N2 इन्फ्लूएंजा का दूसरा नाम हॉन्ग-कॉन्ग फ्लू (Hong Kong flu) है. इन्फ्लूएंजा ए वायरस (Influenza A virus) का सब-टाइप H3N2 इन्फ्लूएंजा है. इस वायरस की चपेट में आने से मरीज को सांस संबधी परेशानियों का समना करना पड़ सकता है. इसका संक्रमण लोगों में आसानी से फैलता है. H3N2 इन्फ्लूएंजा ने अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की है. वायरस के इस सब-टाइप ने अतीत में कई इन्फ्लूएंजा का प्रकोप किया है.

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हाल ही में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के लिए बनी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्टैंडिंग कमिटी ने एक बयान में कहा कि वायरल संक्रमण के मामलों में तेजी की वजहों में से वायु प्रदूषण भी एक हो सकती है. इसके अलावा मौसम में बदलाव भी एक कारण हो सकती है. उम्मीद है कि अप्रैल के महीने में गर्मी बढ़ने से संक्रमण के मामलों में कमी आएगी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक दूसरे फ्लू सब-टाइप की तुलना में H3N2 इन्फ्लूएंजा के कारण ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती हुए हैं. काउंसिल के अनुसार H3N2 इन्फ्लूएंजा के कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों में 92 फीसदी लोगों को बुखार, 86 फीसदी को जुकाम, 27 फीसदी को सांस फूलने और 16 फीसदी लोगों की श्वास नली आंशिक तौर जमाव हो की शिकायत है. श्वास नली में बाधा के कारण सांस लेने के दौरान घरघराहट के साथ तीखी सीटी या खुरदरी खड़खड़ाहट की आवाज आती है. H3N2 इन्फ्लूएंजा के कारण 10 फीसदी मरीजों में गंभीर सांस संबंधी समस्याएं देखने को मिलती है. ऐसे में उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. वहीं 7 फीसदी लोगों को इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में रखने की जरूरत पड़ जाती है.

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H3N2 इन्फ्लूएंजा संक्रमित मरीज में दिखाई देने वाले लक्षण

बाकी मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण के कारण मरीज में नजर आने वाले लक्षणों के समान ही H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामले में लक्षण दिखाई देते हैं.

  • H3N2 इन्फ्लूएंजा संक्रमण होने पर मरीज को 3 से 5 दिन बुखार आ सकता है.
  • करीब 3 हफ्ते तक जुकाम की समस्या हो सकती है.
  • नाक बहना, गले में खराश, बदन दर्द, सिर दर्द, ठंड लगना, थकान, सिर दर्द, उल्टी और डायरिया की शिकायत मरीज में देखने में मिल सकती है.
  • H3N2 इन्फ्लूएंजा का संक्रमण होने पर आमतौर पर मरीज में उपरोक्त अधिकांश लक्षण करीब एक हफ्ते तक नजर आ सकते हैं.

कैसे फैलता है H3N2 इन्फ्लूएंजा का संक्रमण

H3N2 इन्फ्लुएंजा अत्यधिक संक्रामक है. यह एक संक्रमित शख्स से दूसरे शख्स में फैल सकता है. संक्रमित शख्स या कंटामिनेटेड सतह के संपर्क में आने से H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस दूसरे इंसान को अपनी चपेट में ले सकता है. संक्रमित शख्स के साथ बातचीत के दौरान, जुकाम, उसके छींकने से दूसरे शख्स में इन्फ्लुएंजा A वायरस का ये सब-टाइप पहुंच सकता है. प्रेगनेंट महिला, यंग बच्चों, बुजुर्गों और मेडिकल कंडिशन वाले शख्स में H3N2 इन्फ्लुएंजा का संक्रमण खतरनाक है.

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क्या करें

अगर आप इस फ्लू से बीमार हैं, तो बुखार कम होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहें, ताकि दूसरों तक यह बीमारी फैलने से रोका जा सके.

  • समय-समय पर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं
  • बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें
  • छीकतें समय या जुकाम होने पर अपने मुंह को अच्छी तरह से ढकें
  • बीमार होने के बाद घर पर रहें

क्या न करें

  • अपने चेहरे, मुंह और नाक को छूनें से बचें
  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएं

उपचार

उपरोक्त में से जटिल लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें.

  • भरपूर आराम करें
  • शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं
  • फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर 48 घंटे की भीतर डॉक्टर की सलाह पर एंटी वायरल मेडिसिन लें.
  • 55 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, 5 साल से कम उम्र के बच्चों, मेडिकल कंडिशन वाले मरीजों और प्रेगनेंट महिला का खास ख्याल रखने की जरूरत है.

(नोट: हाल ही में आईएमए ने मौसमी सर्दी और खांसी के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल बचने की सलाह दी है.)

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