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Wheat Price : 5-6 रुपये/किलो तक घट सकते हैं गेहूं-आटे के दाम, आटा मिल मालिकों को उम्मीद, सरकार के फैसले का जल्द होगा असर

Wheat prices may come down : मार्च तक खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचा जाएगा. गेहूं की नई फसल की खरीद अप्रैल 2023 में शुरू होगी. देखना ये है कि देश के किसान इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

Wheat prices may come down : मार्च तक खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचा जाएगा. गेहूं की नई फसल की खरीद अप्रैल 2023 में शुरू होगी. देखना ये है कि देश के किसान इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

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FE Hindi Desk
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Wheat prices may come down: सरकार ने मार्च तक खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने का एलान किया है. (Representative Image)

Wheat prices may come down by Rs 5-6 per kg: खुले बाजार में गेहूं बेचने के मोदी सरकार के फैसले की वजह से देश में गेहूं और आटे की कीमतें बहुत जल्द 5-6 रुपये प्रति किलो तक घट सकती हैं. ये अनुमान आटा मिल मालिकों के संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने जाहिर किए हैं. मिल मालिकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. मोदी सरकार ने बुधवार को ही एलान किया है कि खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचा जाएगा. यह गेहूं अगले दो महीने में, यानी मार्च 2023 तक उपलब्ध करा दिया जाएगा. गेहूं की नई फसल की खरीद का काम अप्रैल 2023 में शुरू होना है. ऐसे में ये देखना होगा कि देश के किसान और उनके संगठन सरकार के इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी पर काबू पाने की कोशिश

खाद्य मंत्रालय ने इस सिलसिले में जारी बयान में कहा है कि केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचेगी. जिससे गेहूं और आटे की तेजी से बढ़ती कीमतों पर फौरन काबू पाने में मदद मिलेगी. इससे देश के आम लोगों को भारी राहत मिलने की उम्मीद है. RFMFI के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिलकुल सही फैसला किया है. हालांकि यह फैसला एक महीने पहले लिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस फैसले से गेहूं और आटे की थोक और खुदरा कीमतों में 5-6 रुपये प्रति किलो की कमी आने की उम्मीद है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को देश के प्रमुख शहरों में गेहूं का औसत दाम 33.43 रुपये प्रति किलो हो चुका था, जबकि आटे का औसत दाम 37.95 रुपये प्रति किलो था. इसकी तुलना में एक साल पहले देश में गेहूं का औसत भाव 28.24 रुपये प्रति किलो और आटे का 31.41 रुपये प्रति किलो था.

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अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला

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दरअसल, गेहूं और आटे की कीमतों के मसले पर विचार के लिए बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की बैठक हुई थी. इसी बैठक के दौरान देश में बफर स्टॉक की स्थिति पर विचार करने के बाद खुले बाजार में गेहूं बेचने का फैसला लिया गया. बड़े खरीदारों को ई-ऑक्शन के जरिए गेहूं बेचते समय एक नीलामी में एक खरीदार को अधिकतम 3000 टन गेहूं बेचने का फैसला किया गया है. इसके अलावा राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी उनकी योजनाओं के लिए ई-ऑक्शन के बिना 2350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की सप्लाई की जाएगी. एफसीआई गेहूं की बिक्री के लिए ई-ऑक्शन का काम फौरन शुरू कर देगा और मार्च 2023 तक पूरे 30 लाख टन गेहूं उपलब्ध करा दिया जाएगा. एफसीआई ही केंद्र सरकार की तरफ से अनाज की खरीद और डिस्ट्रीब्यूशन करने वाली मुख्य एजेंसी है, जिसके पास 1 जनवरी को गेहूं का 171.70 लाख टन बफर स्टॉक उपलब्ध था.

सरकारी संस्थाओं को सीधे मिलेगा रियायती दर पर गेहूं

सरकारी संस्था फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) गेहूं के इस स्टॉक को अगले दो महीनों के दौरान अलग-अलग माध्यमों से बेचेगी. आटा मिलों जैसे बड़े खरीदारों को एफसीआई सीधे-सीधे ई-ऑक्शन के जरिए गेहूं बेचेगा, जबकि पब्लिक सेक्टर से जुड़ी इकाइयों, कोऑपरेटिव संस्थाओं, फेडरेशन्स, केंद्रीय भंडारों, NCCF और NAFED को यही गेहूं 23.50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा. ये संस्थान इस गेहूं का आटा पिसवाकर उसे आम जनता को अधिकतम 29.50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचेंगे.

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पिछले साल आधी से भी कम रही गेहूं की खरीद

केंद्र सरकार ने एफसीआई की खरीद में गिरावट और कीमतों में तेजी को ध्यान में रखते हुए पिछले साल मई में गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी. 2021-22 के क्रॉप इयर (जुलाई-जून) के दौरान देश में गेहूं का उत्पादन घटकर 106.84 मिलियन टन रह गया था, जबकि इसके पिछले साल यह प्रोडक्शन 109.59 मिलियन टन था. प्रोडक्शन में इस मामूली गिरावट की तुलना में 2021-22 क्रॉप इयर में एफसीआई की तरफ से होने वाली गेहूं की खरीद घटकर महज 19 मिलियन टन यानी आधी से भी कम रह गयी थी. उसके पिछले साल एफसीआई ने 43 मिलियन टन गेहूं खरीदा था. मौजूदा रबी सीजन के दौरान गेहूं की बुवाई का एरिया पिछले साल के मुकाबले कुछ बढ़ा है.

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