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Maria Corina Machado: कौन हैं मारिया कोरीना माचाडो? जो ट्रंप को पछाड़कर बनीं नोबेल पीस प्राइज विनर

Nobel Peace Prize Winner : वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को शुक्रवार को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई. इस साल उन्होंने कई बड़े नामों जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पीछे छोड़ते हुए यह सम्मान जीता.

Nobel Peace Prize Winner : वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को शुक्रवार को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई. इस साल उन्होंने कई बड़े नामों जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पीछे छोड़ते हुए यह सम्मान जीता.

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FE Hindi Desk
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Nobel Peace prize winner Maria

वेनेजुएला की मारिया कोरीना को 2025 का नोबेल शांति पुरष्कार मिलेगा. (Image: X/MariaCorinaYA)

Nobel Peace Prize Winner Maria Corina Machado: वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो ( कुछ लोग इस स्पेनिश शब्द का उच्चारण मारिआ कोरीना मचाडो भी कर रहे हैं) को शुक्रवार को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई. इस साल उन्होंने कई बड़े नामों जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पीछे छोड़ते हुए यह सम्मान जीता. पेशे से इंजीनियर मारिया वेनेजुएला की निकोलस मादुरो की सरकार की मुखर विरोधी हैं.

कौन हैं नोबेल शांति पुरष्कार विजेता?

वनेज़ुएला की जानी-मानी विपक्षी नेता मारिया कोरीना देश में लोकतंत्र और आजादी की सबसे मुखर आवाजों में से एक हैं. तीन बच्चों की मां और पेशे से इंजीनियर मारीया खुद को एक उदार यानी लिबरल (Liberal) विचारधारा वाली वेनेज़ुएलन सिटिजन बताती हैं. एक्स पर अपने बारे में कहती हैं कि मैं अपनी जिंदगी सिर्फ वेनेज़ुएला में और लोकतंत्र के साथ ही देख सकती हूं. आजादी हर दिन जीती जाती है.

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मारिया ने साल 2013 से निकोलस मादुरो की सरकार (President Nicholas Maduro) के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और उन्होंने एक वें वेनेजुएला (Vente Venezuela) नामक आंदोलन की शुरुआत की. स्पेनिश शब्द वें वेनेजुएला के हिंदी में मायने आओ वेनेज़ुएला या उठो वेनेज़ुएला है. दरअसल, ये दोनों शब्द एक साथ एक स्लोगन की तरह इस्तेमाल होते हैं, जिसका मायने बताए जा रहे हैं - आओ, अपने देश के लिए कुछ करें’ या ‘वेनेज़ुएला को बदलने के लिए साथ चलो’. यह एक तरह से लोगों को प्रेरित करने और देश के लिए एक्टिव होने का आव्हान है.

दुनियाभर में प्रतिष्ठित सम्मान की घोषणा करते हुए नोबेल पुरस्कार कमेटी ने कहा कि इस गहराते अंधेरे में मरिया ने लोकतंत्र की मशाल को जलाए रखा. 

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (X) पर अपने बायो में अपना परिचय देते हुए मारिआ स्पेनिश लिखती हैं कि Venezolana, mamá de 3, ingeniero y liberal. Sólo concibo mi vida en Venezuela y en democracia. La libertad se conquista cada día. 

जिसका हिंदी तर्जुमा है - मैं वेनेज़ुएला की एक महिला हूं. तीन बच्चों की मां, इंजीनियर और विचारों में स्वतंत्र. मैं अपनी जिंदगी सिर्फ वेनेज़ुएला में और लोकतंत्र के साथ ही देख सकती हूं. आज़ादी वो चीज़ है जिसे हमें हर दिन हासिल करना पड़ता है.

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिआ (Maria Corina Machado) 58 साल पूरी कर चुकी है. नोबेल कमेटी ने यह पुरस्कार मारिआ के जरिए यह संदेश दिया है कि तानाशाही का खाक देखने वालों को उनकी जगह बताने के लिए दिया गया है.

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मारिया कोरीना की सुरक्षा पर नोबेल समिति ने जताई चिंता

वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है, अगस्त 2024 से छिपी हुई हैं. नोबेल समिति के सदस्य जॉर्गन वॉटने फ्राइडनेस ने कहा कि यह हर साल चर्चा का विषय होता है, खासकर तब जब पुरस्कार पाने वाला व्यक्ति अपनी जान को गंभीर खतरे में होने के कारण छिपा हो. फ्राइडनेस ने बताया कि माचाडो वेनेज़ुएला में सक्रिय हैं और अपना काम जारी रखेंगी. इसलिए समिति ने यह ध्यान रखा है कि पुरस्कार उनके मकसद को बढ़ावा दे, लेकिन सीमित न करे.

दिसंबर में नोबेल शांति पुरस्कार लेने नार्वे पहुंचेगी माचाडो

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या माचाडो दिसंबर में ऑस्लो में पुरस्कार लेने आएंगी, तो फ्राइडनेस ने कहा कि वे उम्मीद करेंगे, लेकिन सुरक्षा की गंभीर स्थिति को भी ध्यान में रखते हैं. नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने उन्हें राजनीतिक विरोधियों को एकजुट करने वाली अहम और प्रेरणादायक शख्सियत बताया. समिति के आधिकारिक बयान के अनुसार, "नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरीना माचाडो को दिया है. यह उनके वेनेज़ुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव के लिए किए गए अथक प्रयासों के लिए है."

नोबेल पीस प्राइस का ऐलान करते हुए नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी के चेयरमैन जॉर्गन वाट्ने फ्रिडनेस ने कहा कि 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार एक बहादुर और समर्पित शांति सेनानी को दिया गया है. एक ऐसी महिला को, जो गहराते अंधकार के बीच भी लोकतंत्र की मशाल जलाए रखती है. नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी ने 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मारिया कोरीना माचाडो को चुना है.

उन्हें यह पुरस्कार वेनेज़ुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव की उनकी लगातार कोशिशों के लिए दिया गया है. वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक ताकतों की नेता के रूप में, मारिया कोरीना माचाडो हाल के समय की लैटिन अमेरिका की सबसे प्रेरणादायक नागरिक बहादुरी का उदाहरण मानी जाती हैं.

माचाडो ने पहले गहरे विभाजित विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई. यह विपक्ष अंततः फ्री और निष्पक्ष चुनाव व जनता की सरकार बनाने की मांग में एक जुट हो पाया. यही लोकतंत्र की असली ताकत है. भले ही हम अलग-अलग राय रखें, फिर भी जनता के शासन के सिद्धांतों की रक्षा करने की साझा प्रतिबद्धता हमें जोड़ती है.

ऐसे समय में जब लोकतंत्र खतरे में है, इसे बचाना पहले से कहीं ज्यादा ज़रूरी हो गया है. वेनेज़ुएला पहले एक अपेक्षाकृत लोकतांत्रिक और समृद्ध देश था, लेकिन अब यह एक कठोर और तानाशाही राज्य बन गया है, जो गंभीर मानवतावादी और आर्थिक संकट झेल रहा है.

अधिकांश वेनेज़ुएला वासी गहरी गरीबी में जी रहे हैं, जबकि कुछ ऊपरी स्तर पर बैठे लोग अपनी संपत्ति बढ़ा रहे हैं. राज्य की हिंसक मशीनरी अपने ही लोगों के खिलाफ काम कर रही है. लगभग 8 मिलियन लोग देश छोड़ चुके हैं. विपक्ष को चुनावों में धोखाधड़ी, कानूनी कार्रवाई और जेल के जरिए लगातार दबाया गया है.

वेनेज़ुएला का तानाशाही शासन राजनीतिक काम को बेहद खतरनाक बना देता है. Sumate नामक लोकतंत्र के विकास के लिए काम करने वाले संगठन की संस्थापक मारिया कोरीना माचाडो ने 20 साल से भी पहले मुफ़्त और निष्पक्ष चुनाव के लिए आवाज़ उठाई थी.

जैसा कि उन्होंने कहा, यह गोली की बजाय वोट चुनने का मामला था. तब से लेकर अब तक, राजनीतिक पदों पर और विभिन्न संगठनों में सेवा करते हुए, मारिया कोरीना माचाडो ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और जनता का प्रतिनिधित्व हमेशा आवाज़ दी है.

उन्होंने वेनेज़ुएला के लोगों की आज़ादी के लिए सालों तक काम किया. 2024 के चुनावों से पहले, माचाडो विपक्ष की राष्ट्रपति उम्मीदवार थीं, लेकिन तानाशाही ने उनकी उम्मीदवारी को रोक दिया.

इसके बाद उन्होंने अलग पार्टी के प्रतिनिधि, एडमुंडो गोंजालेज उरुतिया का समर्थन किया. चुनाव के लिए राजनीतिक भेदभाव को पार करते हुए सैकड़ों हजारों स्वयंसेवक जुटे. उन्हें चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में प्रशिक्षित किया गया ताकि चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष रहे.

हैरासमेंट, गिरफ्तारी और यातना के खतरों के बावजूद, देश भर के नागरिक मतदान केंद्रों पर नजर रखे. उन्होंने सुनिश्चित किया कि अंतिम मतगणना दर्ज हो जाए, इससे पहले कि तानाशाही बैलट नष्ट करे और नतीजे के बारे में झूठ बोले.

चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान विपक्ष के प्रयास न केवल साहसिक और नवोन्मेषी थे, बल्कि शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक भी थे.

विपक्ष को अंतरराष्ट्रीय समर्थन तब मिला जब उसके नेताओं ने देश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से जुटाए गए मतगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए, जो दिखा रहे थे कि विपक्ष ने स्पष्ट बहुमत से जीत हासिल की थी.

लेकिन तानाशाही ने चुनाव के नतीजे को स्वीकार नहीं किया और सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी. लोकतंत्र ही स्थायी शांति का आधार है.

फिर भी, हम ऐसे दुनिया में जी रहे हैं जहाँ लोकतंत्र पीछे हट रहा है और अधिक से अधिक तानाशाही शासन नियमों को चुनौती दे रहे हैं और हिंसा का सहारा ले रहे हैं. वेनेज़ुएला का तानाशाही शासन और उसकी जनता पर दमन की नीति दुनिया में अनोखी नहीं है.

हम यही प्रवृत्ति वैश्विक स्तर पर भी देख सकते हैं. सत्ता में बैठे लोग कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं, स्वतंत्र मीडिया को दबाया जा रहा है, आलोचकों को जेल में डाला जा रहा है, और समाजों को तानाशाही और सैन्यीकरण की ओर धकेला जा रहा है.

2024 में अब तक की सबसे ज़्यादा चुनाव हुए, लेकिन उनमें से कम ही स्वतंत्र और निष्पक्ष रहे.

अपने लंबे इतिहास में, नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी ने उन बहादुर महिलाओं और पुरुषों को सम्मानित किया है, जिन्होंने दमन का सामना किया, जिन्होंने कैदखानों, सड़कों और सार्वजनिक स्थानों में आज़ादी की उम्मीद बनाए रखी, और अपने काम से यह दिखाया कि शांतिपूर्ण प्रतिरोध दुनिया बदल सकता है.

पिछले साल, मारिया कोरीना माचाडो को गंभीर जान के खतरे के बावजूद छिपकर रहना पड़ा, लेकिन उन्होंने देश में ही रहना चुना, और इस फैसले ने करोड़ों लोगों को प्रेरित किया.

जब तानाशाही शासन सत्ता पर कब्ज़ा करता है, तो यह बेहद जरूरी है कि वे लोग पहचाने जाएं जो बहादुरी से आज़ादी की रक्षा करते हैं और विरोध करते हैं.

लोकतंत्र लोगों पर निर्भर करता है — उन लोगों पर जो चुप नहीं रहते, जो गंभीर खतरे के बावजूद आगे बढ़ने की हिम्मत करते हैं, और जो हमें याद दिलाते हैं कि आजादी को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि इसे हमेशा शब्दों, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ बचाना चाहिए.

मारिया कोरीना माचाडो ने अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में बताए गए तीनों मापदंडों को पूरा किया है. उन्होंने अपने देश के विपक्ष को एकजुट किया, वेनेज़ुएला के समाज में सैन्यीकरण का विरोध करने में कभी नहीं डगी, और लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव के लिए हमेशा दृढ़ रहीं.

मारिया कोरीना माचाडो ने यह दिखा दिया है कि लोकतंत्र के औजार ही शांति के औजार भी हैं. वे एक ऐसे भविष्य की उम्मीद हैं, जहाँ नागरिकों के मूलभूत अधिकार सुरक्षित हों और उनकी आवाज़ सुनी जाए. इस भविष्य में लोग अंततः शांति से जीवन जी सकेंगे.

नॉर्वेजियन नोबेल इंस्टीट्यूट में पुरस्कार घोषणा के समय पूछे गए सवाल और उनके चेयरमैन द्वारा दिए गए जवाब यहां पढ़ें

  • सवाल: इस साल मीडिया का ध्यान थोड़ी उत्तर की ओर ज़्यादा रहा है. आप समिति के रूप में यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार का मुख्य विषय, यानी वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक विकास, आने वाले दिनों और हफ्तों में लोगों के सामने आए?

जवाब: सबसे पहले, हम आपकी मदद चाहते हैं क्योंकि मीडिया का वेनेज़ुएला के मानवीय संकट और विपक्ष के प्रभावशाली काम को उजागर करने में बहुत अहम रोल है. इससे लोगों को पता चलेगा कि वहाँ लोग अभी भी अपने देश के लिए आजादी और स्वतंत्र भविष्य की लड़ाई में उम्मीद बनाए रख सकते हैं.

  • सवाल: पिछले कुछ महीनों में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार कहा कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए और अगर उन्हें नहीं मिलता तो यह अमेरिका के लिए अपमान की बात होगी. आप, नोबेल शांति पुरस्कार समिति के अध्यक्ष के रूप में, इस पर क्या सोचते हैं? और राष्ट्रपति और उनके समर्थकों की यह प्रचार-सी गतिविधि, देश और विदेश में, समिति के विचारों और निर्णय को कैसे प्रभावित करती है?

जवाब: नोबेल शांति पुरस्कार के लंबे इतिहास में, हमने हर तरह के प्रचार और मीडिया ध्यान देखा है. हर साल हमें हजारों-पड़ हजारों पत्र आते हैं, जिसमें लोग बताते हैं कि उनके अनुसार शांति के लिए क्या काम जरूरी है. हमारी समिति उस कमरे में बैठती है जहाँ सभी पूर्व विजेताओं के चित्र लगे हैं और वह कमरा साहस और ईमानदारी से भरा है. इसलिए हम अपने निर्णय को केवल काम और अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के आधार पर लेते हैं, किसी प्रचार या दबाव से प्रभावित नहीं होते.

  • सवाल: जैसा कि आप अपने बयान में कहते हैं, अब ज़्यादातर देश तानाशाही की दिशा में बढ़ रहे हैं. क्या आप कहेंगे कि इस पुरस्कार के जरिए समिति दुनिया को चेतावनी दे रही है?

जवाब: हाँ, बिल्कुल. जब दुनिया में लोकतंत्र कम होता जा रहा है और तानाशाही बढ़ रही है, तो दुनिया अधिक असुरक्षित होती जा रही है. हम मानते हैं कि लोकतंत्र ही शांति की नींव है, इसलिए यह संदेश है कि हमें लोकतांत्रिक ताकतों का समर्थन करना चाहिए, और यह समर्थन शांति के लिए भी जरूरी है.

  • सवाल: इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार महिला को दिया गया है. क्या आपको लगता है कि दुनिया भर की महिलाएँ, खासकर कुछ देशों में, लोकतंत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जैसे कि 2023 की ईरानी सक्रिय महिला और अब वेनेज़ुएला की लोकतंत्र की रक्षक?

जवाब: हाँ, बिल्कुल. नोबेल शांति पुरस्कार के लंबे इतिहास में बहादुर महिलाएँ और पुरुष बार-बार दमन का सामना कर चुके हैं. यही शांति पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य है. इस बार भी मारिया कोरीना माचाडो ने वेनेज़ुएला में विपक्ष को एकजुट किया और 2024 के चुनाव में उनका काम अविश्वसनीय था, जिसने पूरे देश को उम्मीद दी.

  • सवाल: पिछले वर्षों में देखा गया है कि शांति पुरस्कार पाने वाले विपक्षी नेताओं की जिंदगी और अधिक जोखिम में आ सकती है. आपने खुद कहा कि उन्हें लंबे समय तक छिपकर रहना पड़ा. अब जब वे सार्वजनिक हो गई हैं, तो उनकी सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

जवाब: यह समिति के सबसे मुश्किल फैसलों में से एक है. हर साल हम यह चर्चा करते हैं, खासकर जब पुरस्कार पाने वाला व्यक्ति गंभीर खतरे के कारण छिपा हुआ हो. मारिया कोरीना माचाडो वेनेज़ुएला में सक्रिय रही हैं और रहेंगी. हम यह ध्यान रखते हैं कि यह पुरस्कार उनके काम को समर्थन दे, उसे सीमित न करे.

  • सवाल: क्या आप उम्मीद करते हैं कि वह दिसंबर में ओस्लो में होंगी?

जवाब: यह सुरक्षा का सवाल है. अभी कहना जल्दबाजी होगी. हम हमेशा चाहते हैं कि विजेता ओस्लो में हमारे साथ हों, लेकिन यह सुरक्षा की गंभीर स्थिति है जिसे पहले संभालना जरूरी है.

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