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Why Petrol, Diesel Costlier: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड तोड़ रही हैं.
Why Petrol, Diesel Costlier: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड तोड़ रही हैं. राजस्थान के श्रीगंगा नगर में नॉर्मल पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर पार कर गया है. जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ शहरों में यह 99 रुपये प्रति लीटर के पार है या उसके करीब है. पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और 1 साल के अंदर ही तेल के दाम 18 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं. मोदी सरकार के बीते करीब 6.5 साल में तेल के दाम हाई ही बने रहे, जबकि क्रूड आयल की कीमतें इस दौरान करीब 40 फीसदी घट गई हैं. टैकस, कमिशन और तेल पर लगने वाले कई तरह के चार्ज की वजह से आम आदमी को क्रूड आयल की कीमत की तुलना में करीब 4 गुना प्रति लीटर पे करना पड़ रहा है.
1 साल में ही भारी इजाफा
बीते 1 साल की बात करें तो पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2020 को 1 लीटर क्रूड ऑयल का भाव 28.84 रुपये प्रति लीटर था. तब 1 लीटर पेट्रोल का भाव दिल्ली में 77.79 रुपये था. वहीं जनवरी 2021 को 1 लीटर क्रूड ऑयल का भाव 25.20 रुपये हुआ तो 1 लीटर पेट्रोल का भाव 87 रुपये प्रति लीटर पार कर गया. यानी क्रूड सस्ता होने पर भी पेट्रोल महंगा हो रहा है.
यहां तक कि अप्रैल 2020 में जब 1 लीटर क्रूड आयल का भाव 10 रुपये से भी कम हो गया तो भी दिल्ली में पेट्रोल 73 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था. अप्रैल के बाद से पेट्रोल और डीजल में लगातार इजाफा ही देखने को मिला. जून 2020 में पेट्रोल 80 रुपये प्रति लीटर के आस पास आ गया तो अक्टूबर 2020 में यह 85 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया. दिसंबर 2020 में पेट्रोल 86 रुपये पार कर गया. अब दिल्ली में यह 88 रुपये के करीब बिक रहा है.
क्यों बेस प्राइस से 4 गुना है दाम
पेट्रोल पर मौजूदा चार्जेज
बेस प्राइस: 29.34 रुपये प्रति लीटर
ढुलाई का खर्च 0.37 रुपये
एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपये प्रति लीटर
VAT: 19.92 रुपये
डीलर का कमीशन: 3.70 रुपये
प्राइस चार्ज टु डीलर्स: 29.70 रुपये
डीजल पर मौजूदा चार्जेज
बेस प्राइस: 30.55 रुपये प्रति लीटर
ढुलाई का खर्च 0.34 रुपये
एक्साइज ड्यूटी 31.83 रुपये प्रति लीटर
VAT: 11.22 रुपये
डीलर का कमीशन: 2.54 रुपये
प्राइस चार्ज टु डीलर्स: 30.89 रुपये
6.5 साल में तेल का सफर
साल 2014
क्रूड की इंटरनेशनल कीमतें: 106 डॉलर/बैरल
पेट्रोल की कीमतें: (मई, 2014): 71.41 रु/लीटर
पेट्रोल पर टैक्स: 9.48 रुपये/लीटर
डीजल पर टैक्स: 3.56 रुपये/लीटर
साल 2021 में
क्रूड की इंटरनेशनल कीमतें: 60 डॉलर/बैरल
पेट्रोल की कीमतें: (अक्टूबर,2020): 87.57 रु/लीटर
पेट्रोल पर टैक्स: 32.98 रुपये/लीटर
डीजल पर टैक्स: 31.83 रुपये/लीटर
(नोट: ये आंकड़े जनवरी 2021 तक के हैं.)
यानी बीते 6.5 साल में क्रूड का भाव 40 फीसदी कम हुआ है, लेकिन पेट्रोल और डीजल में 17 से 18 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो गया. क्रूड की कीमतों में कमी आने के बाद भी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में कंज्यूमर्स को कोई राहत नहीं दी है. असल में इस दौरान जहां सरकार को सस्ते क्रूड का फायदा मिला, वहीं इस पर लगातार टैक्स बढ़ाकर सरकार ने अपना खजाना बढ़ाया है.
मोदी सरकार में बढ़ा टैक्स
बता दें कि जब मोदी सरकार बनी थी तो 2014 मई के आस पास पेट्रोल पर कुल टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रहत लीटर था. तबसे आजतक पेट्रोल पर टैक्स बढ़कर 32.98 प्रति लीटर और डीजल पर टैक्स 31.83 रुपये प्रति लीटर है. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगातार टैक्स बढ़ाए जाने से क्रूड के सस्ते होने का फायदा ग्रहकों को नहीं मिल पा रहा है, बल्कि उन्हें पेट्रोल और डीजल के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है.
1 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से कितना फायदा
पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी में हर एक रुपये की बढ़ोतरी से केंद्र सरकार के खजाने में 13,000-14,000 करोड़ रुपये सालाना की बढ़ोतरी होती है. वहीं क्रूड की कीमतें घटने से सरकार को व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलती है. असल में भारत अपनी जरूरतों का करीब 82 फीसदी क्रूड खरीदता है. ऐसे में क्रूड की कीमतें घटने से देश का करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) भी घट सकता है.